मुस्लिम समुदाय की गहरी आस्था से जुड़ा मोहर्रम (Moharram) शुरू हो चुका है। 10 दिन तक मोहर्रम को लेकर शिया और सुन्नी दोनों वर्गो के लोगों के लिए काफी अहम माने जाते हैं। रामपुर रियासत के अंतिम नवाब रजा अली खान के द्वारा 1949 में अपनी कोई खास परिसर में ऐतिहासिक इमामबाड़े को स्थापित करवाया था, तब से ही यहाँ पर या फिर के मानने वाले लोग अपने तरीके से मोहर्रम के अवसर पर खुदा की इबादत करते हैं। मौका खास है इस लिहाज से इस इमामबाड़े मे अंतिम 10 तारीख को लेकर तैयारियां शुरू कर दी गई हैं। इसी सिलसिले में पूर्व मंत्री नवाब काजिम अली खान ने तहसील से इसकी अहमियत के बारे में कुछ खास जानकारियां साझा की है।
नवाब खानदान की निजी संपत्ति में से एक कोठी खास बाग परिसर में रियासत के मर्जर के दौरान अंतिम नवाब रजा अली खान के द्वारा इमामबाड़े को स्थापित किया गया था, जिसके बाद से यहाँ पर अकीदतमंदो का तांता लगा रहता है। खास तौर पर मोहर्रम के मौके पर शिया समुदाय के लोग यहाँ पहुंच कर अपने तरीके से इबादत करते हैं और शहीदाने कर्बला को याद करते हैं।
इमामबाड़े के जिम्मेदारी पूर्व मंत्री नवाब काजिम अली खान उर्फ नवेद मियां पर है। यही कारण कि उनकी देखरेख में मोहर्रम (Moharram) और चेहलुम के मौके पर इसे सजाया जाता है और मजलिस से लेकर जरी के अलावा मातम आदि भी किया जाता है। इमामबाड़े में हजरत अली रजितालाअनाहु, हजरत इमाम हसन और हजरत इमाम हुसैन आदि शहीदाने करबला से जुड़े किशोर का बखान किया जाता है। वर्तमान समय में मोहर्रम का असर है लिहाजा यहाँ पर तैयारियां की जा रही हैं। इसी सिलसिले में पूर्व मंत्री नवाब काजिम अली खान ने इमामबाड़ा से जुड़ी दुर्लभ जानकारियों को सांझा किया है।