प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) ने आज नए संसद भवन के शुभारम्भ का बहिष्कार करने के विपक्ष के फैसले पर निशाना साधा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जापान, पापुआ न्यू गिनी और ऑस्ट्रेलिया की अपनी तीन देशों की यात्रा के समापन के बाद दिल्ली के पालम हवाई अड्डे पर पहुंचे है। यहां भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष जेपी नड्डा और कई अन्य नेताओं ने उनका अभिनंदन किया।
हाल ही में सिडनी में अपने सामुदायिक कार्यक्रम का जिक्र करते हुए, जिसमें 20,000 से अधिक लोगों की भीड़ उन्हें सुनने के लिए उमड़ी थी। पीएम मोदी ने कहा कि, न केवल ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री, एंथनी अल्बनीस, दर्शकों में शामिल थे। बल्कि देश के पूर्व पीएम और पूरा विपक्ष अपने देश के लिए एक साथ था। पीएम मोदी ने कहा, “पूर्व प्रधानमंत्री भी उस समारोह में मौजूद थे। वहां विपक्ष और सत्ता पक्ष के सांसद थे। उन सभी ने सामुदायिक कार्यक्रम में हिस्सा लिया।”
कोरोना महामारी के चरम पर विदेशों को कोविड वैक्सीन निर्यात करने के लिए केंद्र पर सवाल उठाने के लिए भी पीएम मोदी ने विपक्ष की खिंचाई की। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, “संकट के समय, उन्होंने पूछा कि मोदी दुनिया को टीका क्यों दे रहे हैं? याद रखें, यह बुद्ध की भूमि है, यह गांधी की भूमि है! हम अपने दुश्मनों की भी परवाह करते हैं, हम करुणा से प्रेरित लोग हैं।”
बता दे कि, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (PM Modi) रविवार (28 मई) को नए संसद भवन का उद्घाटन करने वाले हैं। विपक्षी दलों का तर्क है कि नए संसद भवन के उद्घाटन का सम्मान राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को मिलना चाहिए, क्योंकि राष्ट्रपति न केवल राष्ट्राध्यक्ष होते हैं। बल्कि वह संसद का अभिन्न अंग भी हैं क्योंकि वही संसद सत्र आहूत करते हैं। उसका अवसान करते हैं और साल के पहले सत्र के दौरान दोनों सदनों की संयुक्त बैठक को संबोधित भी करते हैं।
वही केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि, संसद के नए भवन के उद्घाटन समारोह के लिए सभी राजनीतिक दलों को निमंत्रण भेजा गया है और वे अपने विवेक से इस संबंध में फैसला लेने को स्वतंत्र हैं। केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा था कि, तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने 24 अक्टूबर 1975 को संसदीय सौध का उद्घाटन किया था, जबकि उनके उत्तराधिकारी राजीव गांधी ने 15 अगस्त 1987 को संसद के पुस्तकालय की आधारशिला रखी थी।
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