बिरसा मुंडा के गांव जाने वाले बने पहले पीएम मोदी, जाने कौन थे?

उलिहातू का दौरा करने वाले पहले प्रधानमंत्री मोदी का स्थानीय लोगों ने ढोल और मांदर जैसे पारंपरिक वाद्ययंत्रों की धुन पर नृत्य करते हुए गर्मजोशी के साथ स्वागत किया।

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आज स्वतंत्रता सेनानी बिरसा मुंडा की जयंती है और इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने झारखंड के खूंटी जिले में उनकी जन्मस्थली उलिहातू का दौरा किया और उनकी जयंती पर उन्हें पुष्पांजलि अर्पित की। उनकी जयंती को जनजातीय गौरव दिवस के रूप में मनाया जाता है। उलिहातू का दौरा करने वाले पहले प्रधानमंत्री मोदी का स्थानीय लोगों ने ढोल और मांदर जैसे पारंपरिक वाद्ययंत्रों की धुन पर नृत्य करते हुए गर्मजोशी के साथ स्वागत किया।

यात्रा के दौरान उनके साथ मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन और केंद्रीय जनजातीय मामलों के मंत्री अर्जुन मुंडा भी मौजूद रहे। बिरसा मुंडा की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित करने के बाद मोदी ने स्वतंत्रता संग्राम में उनके योगदान को याद किया। इसके बाद उन्होंने आदिवासी किंवदंती के वंशजों से बातचीत की। प्रधानमंत्री ने बिरसा मुंडा के जन्मस्थान की मिट्टी को पवित्र बताते हुए उससे ‘तिलक’ भी लगाया।

आज पीएम मोदी झारखंड के उस गांव में पहुंचे हैं। जहां आज तक देश का कोई प्रधानमंत्री नहीं पहुंचा था। ये ऐतिहासिक मौका है कि अमर शहीद बिरसा मुंडा के गांव में देश के कोई प्रधानमंत्री आए हैं। पहले पीएम मोदी ने रांची में भगवान बिरसा मुंडा मेमोरियल पार्क और स्वतंत्रता सेनानी संग्रहालय का दौरा किया। इसके बाद वह बिरसा मुंडा की जन्मस्थली उलिहातू गांव पहुंचे हैं।

क्यों खास है पीएम का ये दौरा?

बिरसा मुंडा के गांव उलिहातू में प्रधानमंत्री मोदी का ये दौरा बेहद खास है। पीएम नरेंद्र मोदी अमर शहीद बिरसा मुंडा की जयंती के कार्यक्रम में शामिल होंगे इस दौरान पीएम PVTG डेवलपमेंट मिशन के शुभारंभ के साथ 24000 करोड़ रुपए की कई योजनाओं की शुरुआत करेंगे। मोदी सरकार के इस कदम का लक्ष्य आदिवासी आबादी को मजबूत बनाना है।

दरअसल 18 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में 75 PVTG हैं। वे 22,544 गांवों में रहते हैं और उनकी आबादी करीब 28 लाख है। इसके अलावा पीएम 8 करोड़ किसानों के खाते में किसान सम्मान निधि की 15वीं किस्त भी किसानों के खाते में भेजेंगे।

जाने कौन हैं बिरसा मुंडा?

बिरसा मुंडा आदिवासियों के लोकनायक हैं, आदिवासी उन्हें भगवान की तरह मानते हैं। बिरसा मुंडा का जन्म 15 नवंबर 1875 को झारखंड के उलिहातु में हुआ था।
उन्होंने आदिवासी धार्मिक सहस्राब्दी आंदोलन का नेतृत्व किया, साथ ही आदिवासी समाज में फैले अंधविश्वास को दूर करने के लिए अभियान शुरू किया। इसके अलावा बिरसा मुंडा ने जमींदारों के आर्थिक शोषण के खिलाफ आदिवासियों में जागरुकता फैलाई।

साल 1894 में बिरसा मुंडा ने लगान माफी के लिए अंग्रेजों के खिलाफ आंदोलन चलाया, इस आंदोलन को मुंडा विद्रोह या उलगुलान कहा जाता है। वही 1895 में अंग्रेजों ने उन्हे गिरफ्तार कर लिया, जेल से रिहा होने के बाद बिरसा मुंडा ने अंग्रेजों के इंडियन फॉरेस्ट एक्ट के खिलाफ आदिवासी समाज को एकजुट किया।

24 दिसंबर 1899 को बिरसा मुंडा ने अंग्रेजों के खिलाफ सशस्त्र विद्रोह कर दिया जिसके बाद 3 मार्च 1900 को अंग्रेजों ने उन्हे गिरफ्तार कर लिया। 9 जून 1900 को रांची जेल में उनकी मृत्यु हो गई, मृत्य के समय बिरसा मुंडा की उम्र सिर्फ 25 साल थी।