Pipalrava: नगर सहित क्षेत्र में मसुर, लहसुन प्याज चना गेहूं एवं अन्य फसल काफी प्रभावित हुई है। शुक्रवार शाम से लेकर शनिवार की शाम में हुई जोरदार बारिश एवं हवाओं के चलते कई किसानों के गेहूं के कई खेत बर्बाद हो चुके हैं। किसानों को हर बार मौसम की मार झेलना पड़ रही है। किसान रामसिंह पाटीदार ने बताया कि प्रतिवर्ष एक बीघा में 10 से 12 क्विंटल गेहूं उत्पादन होता है किंतु इस वर्ष मौसम के प्रकोप से 2- 3 किवंटल बिघा ही गेहूं का उत्पादन हो रहा हैं। इस दुख की घड़ी में अन्नदाताओं के साथ सरकार भी खड़ी दिखाई नहीं देती है।
पिछले कुछ दिनों से मौसम में आए बदलाव और बादलों की लुका छुपी से कृषक बेहाल व चिंतित नजर आ रहे हैं। बे मौसम की बरसात में आंशकित कृषक अपनी गेहूं, चने की पकी अधपकी फसलों को बटोरने में लगे हुए हैं। अधिकांश कृषक खेतों में गेहूं काटने और थ्रेसर से निकालने में लगे हुए हैं। किसानों का कहना है कि एक तो भाव नहीं मिलने से पहले ही दुखी है, ऊपर से मौसम की मार से किसान पूरी तरह से टूट चुका है एवं कर्ज लेने पर मजबूर हो रहा है।
अब देखना है कि शासन प्रशासन अपनी गहरी नींद से कब जागता है और नष्ट हुई फसलों का सर्वे कब हो पाता है। श्री रामकृष्ण पाटीदार ने शासन से तत्काल बर्बाद हुई फसलों की अनावरी कराने की मांग की है। वही प्रत्येक फसल का बीमा करवाया जाता है एवं उसकी राशि भी सेवा सहकारी संस्था पर भुगतान की जाती है। ऐसी स्थिति में बीमा कंपनी की मौन स्वीकृति देना चिंता जनक है।