Pipalrava News: एमपी के पिपलरावा में पं. गोवर्धन जोशी ने भक्तों से कहा, 84 लाख योनियों का त्रास भोगने के बाद ईश्वर हमें मानव योनी देता है। जिसको संरचना एक मंदिर से कम नहीं होती परन्तु आज के समय में इस मानव देह को लोगों ने कचरा घर बना डाला है। इसमें कोई तम्बाकू, कोई सिगरेट, कोई शराब डालने के साथ ही कई व्यसनों का आदी हो गया है जिससे ईश्वर की दी गई इस देह के साथ-साथ अपने अगले जन्म का भी नाश कर रहा है। यह विचार शनिवार को घिचलाय में चल रही भागवत कथा के दौरान पंडित गोवर्धन जोशी ने व्यक्त किए।
उन्होंने कहा कि जैसे रुक्मिणी के पांच भाई थे और पांचों भाई रुक्मिणी का विवाह शिशुपाल से करना चाहते थे परन्तु रुक्मिणी भगवान कृष्ण को चाहती थीं जिसने अपने टूद संकल्प से भगवान कृष्ण को प्राप्त भी कियाl हमारा शरीर भी पांच तत्वों से बना है जिसमें आत्मा रुक्मिणी का स्वरूप है। सांसारिक मोह माया हमें शिशुपाल की तरफ ले जाती है। शराब पीने वाला, जुआ खेलने वाला, गलत व्यसन करने वाला ही आज शिशुपाल बना हुआ है।
हालांकि हमारी आत्मा रूपी रुक्मिणी परमात्मा को वरण करना चाहती है परन्तु हम आत्मा की आवाज को सुनना नहीं चाहते हैं। जोशी ने कहा कि हमारा शरीर भी जीता जागता एक मंदिर है, जब हम पालकी लगाकर बैठते हैं तो यह शरीर रूपी मंदिर का चबूतरा है, हमारी आंख, कान, नाक, मुंह इस शरीर रूपी मंदिर के खिड़की दरवाजे हैं, हमारी आत्मा ही इस शरीर रूपी मंदिर का परमात्मा है और हमारा सिर इस शरीर रूपी मंदिर का शिखर है।
इसलिए मानव को आत्मा को उतारने का प्रयास करना चाहिए। यह शरीर तो पांच तत्वों से बना है और अंत में पांच तत्व में विलीन हो जाता है। आत्मा अजर और अमर है. आत्मा को उतारने का प्रयास करना चाहिए। रुक्मिणी विवाह प्रसंग के अवसर पर दो बालिकाओं को कृष्ण एवं रुक्मिणी का स्वरूप देकर झांकी सजाई गई। साथ ही उपस्थित श्रद्धलुओं द्वारा यथाशक्ति कन्यादान भेंट किया गया।