मेहता अस्पताल से हरे भरे पेड़ काटने वालों पर नहीं हुई कार्रवाई

चायल और सिराथू रेंजर क्षेत्र बंटवारे को लेकर आपस में लड़ रहे हैं और डीएफओ देख रहे हैं तमाशा।

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कौशांबी: भरवारी कस्बे के मेहता अस्पताल (Mehta Hospital) परिसर को हरा-भरा करने के लिए कई दशक पूर्व ट्रस्ट के लोगों द्वारा पौधारोपण किया गया था। जो विशाल वृक्ष बनकर तैयार हो गए हैं लेकिन बीते कुछ महीने पहले मेहता अस्पताल (Mehta Hospital) परिसर के 500 से अधिक विशाल फलदार हरे पेड़ों को माफियाओं ने काट दिया है। बताया जाता है कि एक माननीय का संरक्षण भी इन माफियाओं को मिला था। मामले की अफसरों से शिकायत हुई लेकिन महीनों बीत जाने के बाद भी लकड़ी काटने वाले माफियाओं पर कार्रवाई नहीं हुई है। जिससे योगी सरकार के पर्यावरण दिवस मनाने की सार्थकता का अंदाजा लगाया जा सकता है।

पर्यावरण दिवस बीत गया है। एक दिन अधिकारी से लेकर नेता औए माननीय पौध रोपड़ करके फोटो खिंचा करके केवल वाहवाही लूटने तक सीमित रह गए हैं। अफसरों को यह मानना होगा कि 365 दिन पर्यावरण की सुरक्षा करनी होगी। केवल एक दिन पौधरोपण कर फोटो खिंचवाने से पर्यावरण की सुरक्षा नहीं होगी। पूरे वर्ष लकड़ी माफिया द्वारा पेड़ काटे जाते हैं और अधिकारी हरे पेड़ की कटान को नहीं रोक पाते हैं जबकि हरे पेड़ के कटान में योगी सरकार ने शत-प्रतिशत प्रतिबन्ध लगा रखा है। उसके बाद भी पूरे वर्ष जिले के विभिन्न क्षेत्र में हरे पेड़ों की कटान होती है। अवैध तरीके से आरा मशीनों में हरे पेड़ की लकड़ियां पहुंचती है। बिना ट्रांजिट परमिट के पूरे दिन हरे पेड़ को काटकर लकड़िया एक स्थान से दूसरे स्थान पहुंचाई जाती है। फिर भी विभागीय अफसर तमाश बीन बने रहते हैं।

अधिकारियों की चौखट पर आए दिन हरे पेड़ कटान की शिकायती प्रार्थना पत्र पहुंचते हैं। सोशल मीडिया से लेकर समाचार पत्रों में हरे पेड़ के कटान को रोकने की आवाज बुलंद होती है लेकिन उसके बाद पूरे वर्ष हरे पेड़ों की कटान बेखौफ तरीके से होती है। पर्यावरण सुरक्षा की बात करने वाले अफसर पूरे वर्ष हरे पेड़ों के कटान पर रोक नहीं लगा पाते हैं।

भरवारी कस्बे के मेहता अस्पताल (Mehta Hospital) परिसर में बल्लभराम सालिग ग्राम मेहता परिवार द्वारा 6 दशक पूर्व 500 से अधिक विशाल बृक्ष तैयार किए गए थे। इन पेड़ों से मेहता अस्पताल परिसर पूरी तरह से हरा भरा था लेकिन बीते कुछ महीने पहले अस्पताल परिसर के भवन को तोड़कर वीरान कर दिया। मेहता परिसर में लगे लगभग 500 हरे भरे विशाल फलदार पेड़ काटकर जेसीबी मशीन से जड़ तक उखाड़ कर माफिया उठा ले गए। करोड़ों रुपए की लकड़ी बिक गयी लेकिन अफसरों को पता नहीं चला। 2 महीने लगातार मेहता अस्पताल परिसर में लकड़ी माफियाओं का जमावड़ा रहा लेकिन थाना पुलिस तहसील वन विभाग से लेकर किसी भी अफसर ने हरे भरे पुराने विशाल पेड़ काटे जाने को रोकने की कोशिश नहीं की। पेड़ काटने वाले माफिया इतने शक्तिशाली थे कि उन्होंने पेड़ काटने के बाद जड़ खोद कर सबूत नष्ट कर दिया हैं। मामले की कई बार शिकायतें भी हुई लेकिन उसके बाद माफियाओं पर मुकदमा दर्ज करा कर कार्यवाही नहीं की गई।

चायल और सिराथू रेंजर क्षेत्र बंटवारे को लेकर आपस में लड़ रहे हैं और डीएफओ तमाशा देख रहे हैं। आखिर पर्यावरण दिवस का झूठा ढिंढोरा पीटने का ड्रामा अफसर क्यों करते हैं? जब उन्हें हरे भरे विशाल फलदार वृक्षों के कटान पर रोक नहीं लगानी है। मेहता अस्पताल परिसर भरवारी में हरे भरे फलदार 500 से अधिक विशाल पेड़ काटे जाने के मामले को सरकार को गंभीरता से लेकर पेड़ काटने वाले माफियाओं और उन्हें शरण देने वाले कथित भाजपाइयों पर मुकदमा दर्ज करा कर कठोर कार्यवाही किए जाने की जरूरत है। जिससे लकड़ी माफियाओं के मंसूबे कमजोर हो और धरती हरी भरी रहे तभी योगी सरकार की पर्यावरण दिवस मनाने की सार्थकता सिद्ध होगी।