बिहार में जाति गणना रिपोर्ट जारी होने के बाद आरक्षण का दायरा बढ़ाने की कवायद तेज हो गई है। नीतीश कुमार सरकार ने विधानसभा में आरक्षण का दायरा 50 प्रतिशत से बढ़ाकर 65 प्रतिशत करने का प्रस्ताव पेश किया है। बताया जा रहा है कि नीतीश कुमार सरकार ने ओबीसी और ईबीसी वर्ग के लिए ये प्रस्ताव पेश किया है।
बिहार विधानसभा में मंगलवार को देश का पहला जातिगत आर्थिक सर्वे पेश किया गया। इस रिपोर्ट में बताया गया है कि किस वर्ग और किस जाति में कितनी गरीबी है। रिपोर्ट के अनुसार, बिहार में पिछड़ा वर्ग के 33.16%, सामान्य वर्ग में 25.09%, अत्यंत पिछड़ा वर्ग में 33.58%, SC के 42.93% और ST 42.7% गरीब परिवार हैं।
बिहार सरकार ने जिन जातियों को सवर्णों में शामिल किया है, उसमें हिन्दू और मुस्लिम धर्म की 7 जातियां हैं। सामान्य वर्ग में भूमिहार सबसे ज्यादा 25.32% गरीब हैं। कायस्थ 13.83% गरीब आबादी के साथ सबसे संपन्न हैं। वहीं, पिछड़ा वर्ग में यादव जाति के लोग सबसे गरीब हैं।
नीतीश कुमार ने 2 अक्टूबर को जातिगत गणना के आंकड़े जारी किए। इसके एक दिन बाद सीएम नीतीश कुमार की अध्यक्षता में सर्वदलीय बैठक हुई। इसमें आरजेडी, जेडीयू, कांग्रेस और तीनों लेफ्ट पार्टियों के साथ असदुद्दीन ओवैसी की AIMIM ने सर्वे के आधार पर आरक्षण का दायरा बढ़ाने की मांग की थी।