दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) के सामने एक बड़ी परेशानी खड़ी हो गयी है। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) के बंगले की मरम्मत पर हुए खर्च के सीएजी ऑडिट का आदेश दिया गया है। बता दें कि, दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना (VK Saxena) की सिफारिश के बाद केंद्रीय गृह मंत्रालय की तरफ से सीएजी ऑडिट कराने का फैसला हुआ है।
बता दें कि, कुछ समय पहले भारतीय जनता पार्टी ने आरोप लगाया था कि, शहर के सिविल लाइंस इलाके स्थित अरविन्द केजरीवाल (Arvind Kejriwal) के सरकारी आवास के ‘सौंदर्यीकरण’ पर लगभग 45 करोड़ रुपये खर्च किए गए। पार्टी ने अरविन्द केजरीवाल (Arvind Kejriwal) से ‘नैतिक’ आधार पर इस्तीफे की मांग की थी।
PWD के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा था, यह नवीनीकरण नहीं था और पुराने ढांचे के स्थान पर एक नया ढांचा बनाया गया है। वहां उनका कैंप ऑफिस भी है। खर्च लगभग 44 करोड़ रुपये है। वही कुछ दस्तावेजों से पता चला था कि 43.70 करोड़ रुपये की स्वीकृत राशि के मुकाबले कुल 44.78 करोड़ रुपये सिविल लाइंस में 6-फ्लैगस्टाफ रोड पर केजरीवाल के सरकारी आवास के ‘अतिरिक्त निर्माण या बदलाव’ पर खर्च किए गए।
दस्तावेजों से पता चला है कि यह 9 सितंबर, 2020 से जून, 2022 के बीच 6 किस्तों में खर्च की गई थी। दस्तावेजों के मुताबिक, कुल खर्च में 11.30 करोड़ रुपये इंटीरियर डेकोरेशन, 6.02 करोड़ रुपये पत्थर और मार्बल फर्श, एक करोड़ रुपये इंटीरियर कंसल्टेंसी, 2.58 करोड़ रुपये बिजली संबंधी फिटिंग और उपकरण, 2.85 करोड़ रुपये अग्निशमन प्रणाली, 1.41 करोड़ रुपये वार्डरोब और एसेसरीज फिटिंग पर और किचन उपकरणों पर 1.1 करोड़ रुपये का खर्च शामिल है।
आम आदमी पार्टी ने बंगले के मरम्मत पर हुए खर्चे को लेकर सफाई दी थी। पार्टी के वरिष्ठ नेता राघव चड्ढा ने कहा है कि, मुख्यमंत्री आवास 75-80 साल पहले 1942 में बनाया गया था। उन्होंने कहा कि, दिल्ली सरकार के लोक निर्माण विभाग (PWD) ने ऑडिट के बाद इसके जीर्णोद्धार की सिफारिश की थी। पार्टी के विधायक नरेश बालियान सहित आम आदमी पार्टी के अन्य नेताओं ने तब सोशल मीडिया पर मुख्यमंत्री के पुराने आवास की छत से गिरे मलबे के कथित वीडियो साझा किए थे और दावा किया था कि 1942 में बना घर जर्जर अवस्था में था।