मार्गशीर्ष की एकादशी को मनाते है मोक्षदा एकादशी, जाने इसका महत्त्व व् इससे जुडी कथा

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हिंदू कलैंडर के अनुसार, मार्गशीर्ष की एकादशी को मोक्षदा (Mokshada Ekadashi) कहा जाता है। इसके साथ ही यह धनुर्मास की एकादशी कहलाती है, जिसके कारण कई गुना वृद्धि होती है। इस साल मोक्षदा एकादशी 23 दिसंबर को मनाई जाएगी। यह तिथि अति पावन और भगवान नारायण की अति प्रिय है। इस दिन नियम पूर्वक व्रत रख कर जो भक्त श्री हरि की शरण लेते हैं उनके दुःख-संताप तो नष्ट होते ही हैं। साथ ही उन्हें जीवन के अंत में परम गति मिलती है अर्थात मोक्ष की प्राप्ति होती है।

मोक्षदा एकादशी व्रत महत्व

शास्त्रों के अनुसार जो लोग इस दिन पूर्ण श्रद्धा एवं भक्ति भाव से व्रत रख कर भगवान नारायण की उपासना करते हैं। उनके सभी पाप नष्ट हो जाते हैं। ऐसा भी माना जाता है इस दिन श्री हरि की पूजा करने से पूर्वजों को मोक्ष की प्राप्त होती है। इसी के साथ यह तिथि व्रत रखने वालों के लिए मोक्ष का द्वार खोलती है। इस दिन एकादशी (Mokshada Ekadashi) का व्रत रखने से जीवन के समस्त कष्ट मिट जाते हैं और अंत में श्री हरि का बैकुंठ धाम प्राप्त होता है। इसी के साथ श्रद्धापूर्वक व्रत रखने वालों को जीवन परियंत सुख-समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

एकादशी की कथा

पदमपुराण में वर्णित इस एकादशी (Mokshada Ekadashi) की कथा के अनुसार पूर्व काल की बात है,वैष्णवों से विभूषित परम रमणीय चंपक नगर में वैखानस नाम के राजा रहते थे। वे अपनी प्रजा का पुत्र की भांति पालन करते थे। एक रात राजा ने सपने में अपने पितरों को नीच योनियों में पड़ा देखा, जो उनसे उन्हें नरक से मुक्ति दिलाने को कह रहे थे।उन सबको इस अवस्था में देखकर राजा के मन में बड़ा विस्मय हुआ और प्रातः काल ब्राह्मणों को उन्होंने उस स्वप्न के बारे में बताया। ब्राह्मणों के कहने पर राजा पर्वत मुनि के आश्रम में जाकर उनसे मिले। मुनि की आज्ञा से राजा ने अपने पितरों की मुक्ति के उद्देश्य से मोक्षदा एकादशी का विधि-विधान से व्रत किया एवं व्रत का पुण्य अपने समस्त पितरों को प्रदान किया। पुण्य देते ही क्षण भर में आकाश से फूलों की बर्षा होने लगी। वैखानस के पिता पितरों सहित नरक से छुटकारा पा गए और आकाश में आकर राजा के प्रति यह पवित्र वचन बोले-‘ बेटा!तुम्हारा कल्याण हो।’ ये कहकर वे स्वर्ग में चले गए।