मोहन भागवत: हमे ध्यान रखना होगा कि हम पहले भारत के है

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Mohan Bhagwat

14 अप्रैल को पूरा देश अंबेडकर जयंती मनाया। इस बीच कई नेताओं ने भी उन्हे याद करते हुए उनके लिए कुछ शब्द भी कहे। जहां राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने संविधान निर्माता भीमराव अंबेडकर को याद करते हुए शुक्रवार को कहा कि, भारतीयों को देश को आगे ले जाने के लिए जाति विभाजन के ‘दुष्चक्र’ से बाहर आने की आवश्यकता है। मोहन भागवत (Mohan Bhagwat) ने देश में विभिन्न जातियों और संप्रदायों के बीच एकता का भी मैसेज दिया। आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने यहां जीएमडीसी मैदान में ‘समाज शक्ति संगम’ नामक एक कार्यक्रम में करीब 10,000 आरएसएस (RSS) कार्यकर्ताओं और अन्य लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि, देश में विभिन्न संस्कृतियां होने के बावजूद सभी भारतीयों का ‘डीएनए’ एक ही है।

आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत (Mohan Bhagwat) ने अंबेडकर जी की 132वीं जयंती के अवसर पर उन्हे याद किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि, “अंबेडकर जी ने कहा था कि भारत विदेशियों से इसलिए नहीं हारा, क्योंकि वे मजबूत थे, बल्कि हमने उन्हें अपने देश को चांदी की थाल में सजा कर पेश किया, क्योंकि हम अपने मतभेदों के कारण आपस में लड़ते थे। अन्यथा हमारी आजादी को कोई छीनने में सक्षम नहीं था।”

वही, मोहन भागवत (Mohan Bhagwat) ने अंबेडकर जी के भाषणों का उल्लेख करते हुए कहा कि, अंबेडकर जी ने इस बात पर जोर दिया था कि मतभेदों के बावजूद भारतीयों को देश के लिए एकजुट रहने की जरूरत है। उन्होंने आगे कहा कि, “अंबेडकर जी ने यह भी कहा था कि एक न्यायपूर्ण और समान समाज बनाए बिना, भारत राजनीतिक और आर्थिक स्वतंत्रता हासिल नहीं कर सकता है। इसे हासिल करने के लिए हमें अपने समाज से मतभेदों को समाप्त करने की आवश्यकता है। हम अतीत में एक संयुक्त समाज थे। बाद में हमने इन जातियों और वर्गों का निर्माण किया, जिससे हमारे बीच मतभेद पैदा हुए।”

आरएसएस प्रमुख ने आगे कहा कि,”भारत में व्याप्त सभी विविधताओं को स्वीकार और उनका सम्मान करते हुए हमें यह ध्यान रखना होगा कि हम पहले भारत के हैं। भारतीय संस्कृति, कई लोग इसे हिंदू संस्कृति या सनातन संस्कृति कहते हैं। इसके कई नाम हैं। अलग-अलग भाषाएं, रीति-रिवाज या क्षेत्रीय पहचान होने के बावजूद हमारा डीएनए आखिरकार एक ही है।”

आरएसएस प्रमुख ने कहा कि, “अब मैं कह रहा हूं कि विदेशी ताकतों ने उस स्थिति का फायदा उठाया और इस दरार को और चौड़ा किया। हमें इस दुष्चक्र से बाहर आना होगा और एकजुट होना होगा। नहीं तो हम देश को आगे ले जाने के अपने सपनों को कैसे साकार करेंगे।” उनके भाषण के दौरान वहां कई लोग मौजूद रहे।