मौर्या के बाद ‘Ramcharitmanas’ विवाद पर मायावती का बड़ा बयान

मायावती ने कहा- इन्हें शूद्र कहकर सपा इनका अपमान न करे और न ही संविधान की अवहेलना करे।

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उत्तर प्रदेश में रामचरितमानस (Ramcharitmanas) पर विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा। जहाँ लगातार इस विषय पर आये दिन कोई ना कोई नेता अपनी राय देते नज़र आ रहे है। बीते दिन सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्या ने इसे लेकर बयान दिया था। जिसके बाद वो लगातार चर्चा का विषय बने हुए है। वहीं, इस बयान के बाद से ही सामजवादी पार्टी और भारतीय जनता पार्टी आमने-सामने हैं।

इसी बीच बसपा की मुखिया मायावती ने भी इस विवाद पर अपनी राय दी है। बसपा की प्रमुख मायावती ने रामचरितमानस (Ramcharitmanas) पर चल रहे विवाद के बहाने फिर से समाजवादी पार्टी को गेस्ट हाउस कांड की यादें ताज़ा कराई है। इतना ही नहीं इसी के साथ भाजपा और कांग्रेस पर भी हमला बोल दिया है।

बसपा की मुखिया मायावती ने कहा, “देश में कमजोर व उपेक्षित वर्गों का रामचरितमानस (Ramcharitmanas) व मनुस्मृति आदि ग्रंथ नहीं, बल्कि भारतीय संविधान है, जिसमें बाबा साहेब डा. भीमराव अम्बेडकर ने इनको शूद्रों की नहीं, बल्कि एससी, एसटी व ओबीसी की संज्ञा दी है। अत: इन्हें शूद्र कहकर सपा इनका अपमान न करे और न ही संविधान की अवहेलना करे।”

मायावती ने समाजवादी पार्टी को 1995 की घटना याद दिलाई

मायावती ने कहा, समाजवादी पार्टी के प्रमुख की ओर से इनकी वकालत करने से पहले उन्हें लखनऊ स्टेट गेस्ट हाउस (Lucknow State Guest House) तारीख़ 2 जून, 1995 की घटना को भी यादकर अपने गिरेबान में अवश्य झांककर देखना चाहिए, जब मुख्यमंत्री बनने जा रही एक दलित की बेटी पर सपा सरकार में जानलेवा हमला कराया गया था।

उन्होंने आगे कहा कि, यह जगजाहिर है कि देश में एससी, एसटी, ओबीसी, मुस्लिम व अन्य धार्मिक अल्पसंख्यकों आदि के आत्म-सम्मान एवं स्वाभिमान की कद्र बीएसपी में ही हमेशा से निहित व सुरक्षित है, जबकि बाकी पार्टियां इनके वोटों के स्वार्थ की खातिर किस्म-किस्म की नाटकबाजी ही ज्यादा करती रहती हैं।

बसपा प्रमुख ने कहा, देश के अन्य राज्यों की तरह यूपी में भी दलितों, आदिवासियों व ओबीसी समाज के शोषण, अन्याय, नाइंसाफी और इन वर्गों में जन्मे महान संतों, गुरुओं व महापुरुषों आदि की उपेक्षा एवं तिरस्कार के मामले में कांग्रेस, बीजेपी व समाजवादी पार्टी भी कोई किसी से कम नहीं।