तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा को ‘पैसे लेकर सवाल पूछने’ के मामले में आज यानि शुक्रवार को सदन की सदस्यता से निष्कासित कर दिया गया। संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने महुआ मोइत्रा के निष्कासन का प्रस्ताव पेश किया जिसे सदन ने ध्वनिमत से मंजूरी दे दी। इससे पहले सदन में लोकसभा की आचार समिति की रिपोर्ट पर चर्चा के बाद उसे मंजूरी दी गई, जिसमें महुआ मोइत्रा को निष्कासित करने की सिफारिश की गई थी।
विपक्ष विशेषकर तृणमूल कांग्रेस ने यह आग्रह किया कि महुआ मोइत्रा को सदन में उनका पक्ष रखने का मौका मिले, लेकिन लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने पहले की संसदीय परिपाटी का हवाला देते हुए इससे इनकार कर दिया।
लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने कहा कि सदन की गरिमा और मर्यादा को कायम रखने के लिए यदि कुछ कड़े फैसले लेने की जरूरत पड़ी तो लेने होंगे। वहीं कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी ने चर्चा के दौरान कहा कि 406 पन्नों की रिपोर्ट इतनी जल्दी कैसे पढ़ें, इसे पढ़ने के लिए 3 से 4 दिन का समय दिया जाए।
वहीं कांग्रेस के नेता मनीष तिवारी ने कहा कि 12 बजे एथिक्स कमेटी की रिपोर्ट आई और 2 बजे बहस शुरू हो गई। यह बहुत ही संवेदनशील मामला है। महुआ मोइत्रा को अपनी पूरी बात कहने का मौका मिलना चाहिए।
वहीं बीजेपी सांसद हिना गावित ने मनीष तिवारी के सवाल का जवाब देते हुए कहा कि ऐसा पहली बार नहीं हो रहा है। 2005 में कांग्रेस सरकार के दौरान एक ही दिन रिपोर्ट पेश की गई और उसी दिन 10 सांसदों को निष्कासित कर दिया गया था। मैंने 2 घंटे तक पूरी रिपोर्ट पढ़ी है। हिना गावित ने कहा कि 47 बार दुबई से महुआ मोइत्रा का अकाउंट लॉगइन हुआ। जबकि रूल में साफ लिखा है कि अपना संसदीय आईडी पासवर्ड किसी के साथ शेयर नहीं किया जा सकता। चार अलग-अलग शहरों से महुआ का अकाउंट लॉगइन हुआ।
बीजेपी सांसद हिना गावित ने कहा, ये पक्ष या विपक्ष का सवाल नहीं बल्कि संसद की मर्यादा का सवाल है। एक घटना की वजह से दुनियाभर में सांसदों की छवि खराब हुई है। एथिक्स कमेटी की रिपोर्ट पर TMC सांसद सुदीप बंदोपाध्याय ने कहा कि महुआ मोइत्रा को बोलने का मौका दिया जाए। प्रभावित पक्ष को नहीं सुनना अन्याय है। इस पर लोकसभा अध्यक्ष ने नियमों का हवाला देकर कहा कि सब कुछ नियमों और संसद की परंपराओं के अनुरूप हो रहा है।
भाजपा सांसद विनोद कुमार सोनकर की अध्यक्षता वाली आचार समिति ने गत नौ नवंबर को अपनी एक बैठक में महुआ मोइत्रा को ‘पैसे लेकर सदन में सवाल पूछने’ के आरोपों में लोकसभा से निष्कासित करने की सिफारिश वाली रिपोर्ट को स्वीकार किया था। समिति के छह सदस्यों ने रिपोर्ट के पक्ष में मतदान किया था। इनमें कांग्रेस से निलंबित सांसद परणीत कौर भी शामिल थीं। समिति के चार विपक्षी सदस्यों ने रिपोर्ट पर असहमति नोट दिए थे।