चंद्रग्रहण: आज रात को 1 घंटा 19 मिनट रहेगा चंद्रग्रहण

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साल का दूसरा और आखिरी चंद्रग्रहण (Lunar eclipse) शनिवार को लगने जा रहा है। यह चंद्रग्रहण भारत के अलावा अन्य कई देशों में भी देखा जायेगा। भारत में ग्रहण की कुल अवधि 1 घंटे 19 मिनट होगी।

जब पृथ्वी’ सूर्य और चंद्रमा के बीच आ जाती है तब चंद्रग्रहण (Lunar eclipse) लगता है। वैज्ञानिक दृष्टि से ग्रहण एक खगोलीय घटना मात्र होता है, लेकिन धार्मिक दृष्टि से ग्रहण की घटना को शुभ नही माना जाता है। चंद्रग्रहण को चंद्रमा के ग्रहण के रूप में जाना जाता है।अक्टूबर में इस साल का दूसरा और आखिरी चंद्रग्रहण लगने जा रहा है। इसके पहले साल 2023 का पहला चंद्रग्रहण 5 मई को लगा था। उस समय यह ग्रहण दुनिया भर के कई हिस्सों में देखा गया था लेकिन भारत में दिखाई नही दिया। 28 अक्टूबर को चंद्रग्रहण (Lunar eclipse) रात 1 बजकर 5 मिनट पर शुरू होगा। मध्य रात्रि 1 बजकर 44 मिनट तक व मोक्ष 2 बजकर 34 मिनट पर होगा। ग्रहण का स्पर्श मध्य मोक्ष पूरे भारत में दिखाई देगा।

सूतक काल में क्या करना चाहिये?

सूतक व ग्रहण के समय भगवान की मूर्ति को स्पर्श नही करना चाहिए। खाना, पीना, सोना, नाखून काटना, तेल लगाना वर्जित है। सूतक शुरू होने से पूर्व अचार, मुरब्बा, दूध दही व अन्य खाद्य पदार्थों में कुशा, तृण या तुलसी दल डाल देना चाहिए जिससे खाद्य पदार्थ ग्रहण से दूषित नही होंगे।

सूतक काल में क्या करें?

सूतक काल में दान और जप आदि का महत्व माना गया है। पवित्र नदियों अथवा सरोवरो में स्नान किया जाता है। मंत्रो का जाप करने से शीघ्र लाभ मिलता है।

राशियों पर ग्रहण फल-:

  • मेष- घात
  • वृष – हानि
  • मिथुन – लाभ
  • कर्क- सुख
  • सिंह – माननाश
  • कन्या – मृत्युतुल कष्ट
  • तुला – स्त्री पीड़ा
  • वृश्चिक – शौख्य
  • धनु – चिंता
  • मकर – यथा
  • कुंभ – श्री
  • मीन – क्षति

शरद पूर्णिमा= आज चंद्रमा की किरणों से बरसेगा अमृत।

शरद पूर्णिमा पर व्रत रखकर मां लक्ष्मी का पूजन करने से नही होती धन-धान्य की कमी।

आज शरद पूर्णिमा है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन चंद्रमा की किरणों से अमृत बरसता है। इसके अलावा इस दिन कोजागरी व्रत रखने का भी विधान है। शास्त्रों के मुताबिक इस रात जागरण कर मां लक्ष्मी की पूजा करने वाला धन- धान्य से परिपूर्ण रहता है। उस पर मां लक्ष्मी की कृपा बरसती है।

अश्वनी मास ( क्वार) का महीना के पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा कहते हैं। इसे कौमुदी व्रत व कोजागरी व्रत के नाम से जाना जाता है। पंडित ओमप्रकाशानंद महाराज ने बताया कि इस दिन चंद्रमा 16 कलाओं से परिपूर्ण होता है। इसलिए चंद्रमा की किरणों से अमृत की बूंदे टपकती हैं। इसके अलावा यह रात मां लक्ष्मी को विशेष प्रिय है। इस दिन मां लक्ष्मी रात में भ्रमण कर देखती है कि कौन उनकी पूजा कर रहा है।

भगवान कृष्ण ने इसी दिन रचाया था रास

अश्विन मास की पूर्णिमा की रात काफी मनमोहक होती है। चंद्रमा को 16 कलाओं से परिपूर्ण होने के कारण इससे चांदनी रात का महत्व बढ़ जाता है। भगवान श्रीकृष्ण ने इसी रात गोपियों के साथ रास रचाया था।

नही लगेगा इस बार खीर का भोग

शरद पूर्णिमा के दिन इस बार खीर का भोग नही लगा पाएंगे। शरद पूर्णिमा को चंद्रमा से अमृत की वर्षा होती है। चांद की रोशनी में खीर रखी जाती है, लेकिन इस बार चंद्रग्रहण होने के कारण यह काम नही कर पाएंगे। 28 तारीख को शाम 4 बजे से सूतक शुरू हो जाएगा। सूतक के समय मंदिर बंद रहता है और पूजा पाठ वर्जित माना जाता है। चंद्रग्रहण के कारण इस बार शरद पूर्णिमा के रात में अमृत वर्षा के दौरान खीर नही रखी जा सकेगी। चंद्रग्रहण समाप्त हो जाने के बाद खीर बनाकर रखा जा सकता है।