छत्तीसगढ़ के कोरबा में नील कुसुम पन्ना हत्याकांड के बाद से बवाल जारी है। एक तरफ बीजेपी इसे ‘लव जिहाद’ का उदाहरण बता रही है, लेकिन छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार ने इस एंगल को नकार दिया है। बता दें कि लड़की के शरीर में 51 बार पेचकस घुसा कर उसकी हत्या की गई थी।
बीजेपी और कांग्रेस की इस नूरा-कुश्ती के बीच मृतक लड़की का परिवार दुख से उबर नहीं पा रहा है। सबसे पहले लाश देखने वाला कुसुम का भाई अब तक सदमे में है। कुसुम के भाई ने कहा कि उसके लिए यह घटना अपने माता पिता को बता पाना बेहद कठिन था।
कुसुम के भाई ने बताया, ’24 दिसंबर को दूधवाला आया था। जब बहन ने 10 मिनट से ज्यादा समय तक दरवाजा नहीं खोला तो मैं पिछले दरवाजे से घर में घुसा। अंदर प्रवेश करते ही मैंने खून से सनी बहन की लाश देखी, उसका मुंह तकिये के नीचे था और शरीर पर एक भी कपड़ा नहीं था। मैंने उसके शरीर को शॉल से ढक कर उसे जगाने की कोशिश की, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला। उसके शरीर पर गहरे घाव थे। मैंने मदद के लिए शोर मचाया तो पड़ोसी आ गए। सूचना मिलने पर कुछ देर में माता-पिता भी आ गए।
कुसुम के पिता बुधराम पन्ना ने दुख जताते हुए बताया कि हम उत्सव क्रिसमस का त्योहार मनाने के लिए बेहद उत्साहित थे। लेकिन अब लगता है, जैसे हमारा सब कुछ बर्बाद हो गया। कुसुम की मां ने आंखों के आंसू पोछते हुए कहा कि वह आरोपी को सजा मिलने का इंतजार कर रही हैं. मामले में आरोपी शाहबाज घटना के बाद से ही फरार है।
इस वारदात के बाद अब छत्तीसगढ़ बीजेपी ने लव जिहाद के एंगल पर बहस शुरू कर दी है। पार्टी जल्द से जल्द राज्य में धर्मांतरण विरोधी कानून लाने की मांग कर रही है। हालांकि, आजतक से बातचीत में गृह मंत्री ताम्रध्वज साहू ने लव जिहाद का एंगल होने से इनकार किया है। उन्होंने कहा कि पीड़िता एक ईसाई परिवार से थी। बीजेपी राज्य में वैमनस्य फैलाने की कोशिश कर रही है। पुलिस के मुताबिक आरोपी शाहबाज की तलाश के लिए पुलिस की 4 टीम लगाई गई हैं।
राज्य के गृहमंत्री के बयान के बाद बीजेपी ने उन पर निशाना साधा है। बीजेपी के राजेश मूणत का कहना है कि लव जिहाद के एंगल को खारिज कर गृह मंत्री ने राज्य में धर्मांतरण को बढ़ावा दिया है। वह इसका समर्थन कर रहे हैं।
छत्तीसगढ़ में पिछले कुछ महीनों से धर्मांतरण सुर्खियों में है। यूनाइटेड क्रिश्चियन फोरम के पास उपलब्ध रिकॉर्ड के मुताबिक, 2021 में ईसाइयों के खिलाफ हिंसा और उत्पीड़न के 478 मामले सामने आए हैं, जो 2020 के मुकाबले 70% अधिक हैं। उनकी हेल्पलाइन पर ऐसे 279 मामले दर्ज किए गए थे।
हालांकि, कहा जा रहा है कि कुसुम पन्ना की हत्या का धर्मांतरण से कोई लेना-देना नहीं है। शुरुआती जांच के मुातबिक शाहबाज की 3 साल पहले कुसुम से दोस्ती हुई थी और वे हत्या तक मैसेज और फोन कॉल के जरिए संपर्क में थे। हालांकि, इस बात पर भी आश्चर्य व्यक्त किया जा रहा है कि शाहबाज ने अहमदाबाद से कोरबा तक की यात्रा सिर्फ कुसुम को मौत के घाट उतारने के लिए की।