जानें क्यों करते है, नवरात्रि के तीसरे दिन माँ चन्द्रघंटा की आराधना

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इस समय शारदीय नवरात्रि की शुरुआत हो चुकी है। नवरात्रि के नौ दिनों तक मां दुर्गा के अलग-अलग स्वरूपों की पूजा करने का विधान है। मां दुर्गा की तीसरी शक्ति का नाम चंद्रघंटा है। मां चंद्रघंटा का स्वरूप परम शान्तिदायक और कल्याणकारी है। नवरात्रि के तीसरे दिन मां दुर्गा के तीसरे स्वरूप मां चंद्रघंटा की आराधना की जाती है। माना जाता है कि मां चंद्रघंटा की पूजा और भक्ति करने से आध्यात्मिक शक्ति मिलती है।

धर्म शास्त्रों के अनुसार, नवरात्रि के तीसरे दिन जो भी जातक माता के तीसरे रूप मां चंद्रघंटा की पूजा अर्चना करता है, उसे माता की कृपा प्राप्त होती है।

पौराणिक कथा

प्राचीन समय में देवताओं और असुरों के बीच लंबे समय तक युद्ध चला। असुरों का स्वामी महिषासुर था और देवताओं के स्वामी इंद्र थे। महिषासुर ने देवाताओं पर विजय प्राप्ता कर इंद्र का सिंहासन हासिल कर लिया और स्वओर्गलोक पर राज करने लगा। इसे देखकर सभी देवतागण परेशान हो गए और इस समस्या से निकलने का उपाय जानने के लिए त्रिदेव ब्रह्मा, विष्णु और महेश के पास गए।

देवाताओं ने बताया कि महिषासुर के अत्याचार के कारण अब देवता पृथ्वी पर विचरण कर रहे हैं और स्वर्ग में उनके लिए कोई जगह नहीं है। ये सुनकर ब्रह्मा, विष्णु और भगवान शंकर को बहुत गुस्सा आया। गुस्से की वजह से तीनों के मुख से ऊर्जा उत्पन्न हुई और दसों दिशाओं में व्या्प्त होने लगी। तभी वहां एक देवी का अवतरण हुआ। भगवान शंकर ने देवी को त्रिशूल और भगवान विष्णु ने चक्र प्रदान किया। इसी प्रकार अन्य देवी देवताओं ने भी माता के हाथों में अस्त्र शस्त्र सजा दिए। इंद्र ने भी अपना वज्र और ऐरावत हाथी से उतरकर एक घंटा दिया। सूर्य ने अपना तेज और तलवार दिया और सवारी के लिए शेर दिया। तभी उनका नाम चंद्रघंटा पड़ा।

पूजन विधि

  • नवरात्रि के तीसरे दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें।
  • इसके बाद पूजा स्थल पर गंगाजल छिड़कें।
  • फिर मां चंद्रहार का ध्यान करें और उनके सामने दीपक जलाएं।
  • अब माता रानी को अक्षत, सिन्दूर, फूल आदि चीजें अर्पित करें।
  • इसके बाद माता को प्रसाद के रूप में फल और केसर-दूध से बनी मिठाई या खीर का भोग लगाना चाहिए।
  • फिर मां चंद्रहार की आरती करें।
  • पूजा के बाद किसी भी गलती के लिए क्षमा मांगें।

माँ चंद्रघंटा का भोग प्रिय रंग

मां चंद्रघंटा की पूजा के समय सफेद, भूरे या सुनहरे रंग के कपड़े पहनना शुभ माना जाता है। इसके साथ ही भक्त इस दिन दूध से बनी मिठाई का भोग लगा सकते हैं। मान्यता है कि मां को भी शहद प्रिय है।