दिवाली के साथ भाई दूज का त्योहार पूरे भारत में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। हर जगह इसे मनाने की अलग-अलग मान्यता है। जहां उत्तर भारत में बहनें भाइयों को तिलक और अक्षत नारियल का गोला देती हैं तो वहीं, पूर्वी भारत में शंखनाद के बाद तिलक लगाकर कोई भी चीज उपहार में देने की मान्यता है। इस दिन बहने अपने भाइयों की लंबी उम्र के लिए व्रत रखती हैं और भाई को खाना खिलाने के बाद ही व्रत खोलती हैं।
क्यों मनाया जाता है?
भाई दूज पर भाई को झुकाकर भोजन करने की धार्मिक मान्यता है। ऐसा कहा जाता है कि जो बहन पूरी श्रद्धा और आदर के साथ तिलक और भोजन कराती है और जो भाई अपनी बहन का आतिथ्य स्वीकार करता है, उनकी सभी इच्छाएं पूरी होती हैं और यमराज का भय नहीं रहता है।मान्यता है कि यदि भाई अपनी बहन के घर जाकर भोजन करे तो वह अकाल मृत्यु से बच सकता है। ऐसा कहा जाता है कि जो भी भाई-बहन इस त्यौहार को पूरे विधि-विधान से मनाते हैं, उनकी दुर्घटना में मृत्यु की संभावना बहुत कम हो जाती है। साथ ही भाई दूज मनाने से बहनों और भाइयों को सुख, समृद्धि, धन और वैभव की प्राप्ति होती है।
भाई दूज की पौराणिक कथा
स्कंदपुराण की कथा के अनुसार भगवान सूर्य और उनकी पत्नी संज्ञा की दो संतानें थीं, पुत्र यमराज और पुत्री यमुना। यम पापियों को दण्ड देते थे। यमुना मन से पवित्र थीं और लोगों को परेशानी में देखकर दुखी होती थीं, इसलिए वह गोलोक में रहती थीं। एक दिन गोलोक में बहन यमुना ने भाई यमराज को भोजन के लिए बुलाया तो यम ने बहन के घर जाने से पहले ही नरकवासियों को मुक्त कर दिया था। दूसरी कथा के अनुसार, भगवान कृष्ण राक्षस नरकासुर को हराने के बाद अपनी बहन सुभद्रा से मिलने गए, तभी से यह दिन भाई दूज के रूप में मनाया जाता है।