भारतीय सेना का गठन ब्रिटिश सम्राज्य के आधीन किया गया था। ये वह समय था जब सेना में वरिष्ठ अधिकारी ब्रिटिश हुआ करते थे। गौर करने वाली बात है कि देश के आजाद होने के बाद भी सेना में जो वरिष्ठ अधिकारी थे। वे ब्रिटिश मूल के ही थे। साल 1949 में जनरल फ्रांसिस बुचर आखिरी ब्रिटिश कमांडर थे। उनके जाने के बाद लेफ्टिनेंट जनरल के एम करियप्पा आजाद भारत के पहले भारतीय सैन्य अधिकारी बने।
इंडियन आर्मी यानी हमारी भारतीय सेना, जिनके वीरता की जितनी तारीफ की जाए उतनी कम है। इतिहास के पन्नों को पलटने पर हमें इन जवानों के शौर्य और वीरता की अनगिनत कहानियां सुनने को मिलती हैं। हर साल 15 जनवरी का यह दिन विशेष तौर पर हमारे भारतीय रणबांकुरों के लिए ही मनाया जाता है। नाम दिया गया है ‘आर्मी डे’। लेकिन 15 जनवरी ही सेना के लिए खास तारीख के रूप में क्यों चुनी गई, इसके बारे में आगे बताएंगे। उससे पहले बता दें कि देश आज 76वां आर्मी डे मनाया जा रहा है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह मुख्य अतिथि होंगे। यह आयोजन यूपी की राजधानी लखनऊ में होगा। तो आइए आपको बताते हैं कि 15 जनवरी भारतीय सेना के लिए क्यों है ख़ास ?
आर्मी डे का महत्व
आजका 76वां सेना दिवस उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में मनाया जा रहा है। यह लगातार दूसरी बार होगा जब आर्मी डे का आयोजन देश की राजधानी दिल्ली से बाहर हो रहा है। इससे पहले 2023 में बेंगलुरु के गोविंदस्वामी परेड ग्राउंड में आयोजित हुआ था। आर्मी चीफ मनोज पांडे भी कार्यक्रम में शामिल हुए थे। आज लखनऊ में मनाए जा रहे सेना दिवस के दौरान सूर्य खेल परिसर में परेड के बाद शौर्य संध्या का आयोजन किया जाएगा। जिसमें रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह मुख्य अतिथि के रूप में शामिल होंगे। इस आयोजन में मार्शल आर्ट के विभिन्न रूपों सुखोई और किरण विमानों द्वारा फ्लाई पास्ट के साथ-साथ कई सैन्य प्रदर्शन होंगे। सेना दिवस यानि आर्मी डे सभी सेना कमान मुख्यालयों में मनाया जाता है। इस दिन भारतीय सेना के उन सैनिकों को सम्मानित किया जाता है, जिन्होंने निस्वार्थ भाव से देश की सेवा की और भाईचारे की सबसे बड़ी मिसाल कायम की। सलामी उन सभी बहादुर सेनानियों को दी जाती है जिन्होंने मातृभूमि की रक्षा और राष्ट्र की अखंडता को बनाए रखने के लिए अपना सब कुछ त्याग दिया।
कब बनी हमारी इंडियन आर्मी?
इंडियन आर्मी यानी हमारी भारतीय सेना जब देश गुलाम था तब ही बन गई थी। भारतीय सेना की शुरुआता 1 अप्रैल 1895 में हुई थी। लेकिन तब हम अंग्रेजों के गुलाम थे। भारतीय सेना की शुरुआत ईस्ट इंडिया कंपनी की सेना से हुई थी, जिसे बाद में ‘ब्रिटिश भारतीय सेना’ के नाम से जाना गया। आखिरकार, स्वतंत्रता के बाद, इसे राष्ट्रीय सेना के रूप में जाना जाने लगा। हमारे पास खुद का सेना प्रमुख नहीं था। वह भी अंग्रेज को ही बनाया गया था। तब सेना प्रमुख ब्रिटिश कमांडर जनरल फ्रांसिस बुचर थे। आजादी के दो साल बाद 15 जनवरी 1949 को हमें पहला भारतीय सेना प्रमुख मिला। नाम था फील्ड मार्शल के. एम. करिअप्पा।
15 जनवरी को क्यों मनाया जाता है आर्मी डे, क्यों है खास?
आपके मन में सवाल होगा कि आखिर हमारी सेना 15 जनवरी के दिन ही हर साल सेना दिवस क्यों मनाती है। चलिए आपको ये भी बता देते हैं। दरअसल, जैसा पहले बताया गया, भारत ने लगभग 200 साल के ब्रिटिश शासन के बाद 15 अगस्त, 1947 को स्वतंत्रता प्राप्त की थी। उस समय देश सांप्रदायिक दंगों से गुजर रहा था, शरणार्थी पाकिस्तान से आ रहे थे और कुछ लोग पाकिस्तान की ओर पलायन कर रहे थे। इस तरह के अराजकतापूर्ण माहौल के कारण कई प्रशासनिक समस्याएं उभरने लगीं। तब सेना को स्थिति नियंत्रित करने के लिए आगे आना पड़ा ताकि विभाजन के दौरान शांति सुनिश्चित की जा सके। इसके बाद एक तारीख चुनी गई 15 जनवरी। चूंकि बाद में इसी रोज फील्ड मार्शल करिअप्पा पहले सेना प्रमुख बने थे इसलिए यह तरीख बाद के दिनों में और भी खास हो गई। यह दिन हमारे सैनिकों के बलिदान और राष्ट्र की रक्षा के लिए उनकी प्रतिबद्धता का सम्मान करने का अवसर है।
आजादी के बाद स्वतंत्र भारत का निर्माण करते समय, यह बेहद जरूरी था कि देश की रक्षा का दायित्व उसी के वीर सपूतों को सौंपा जाए। यही वजह थी कि 15 जनवरी 1949 को फील्ड मार्शल के.एम. करिअप्पा भारत के पहले स्वतंत्र सेना प्रमुख बने। उस समय तक भारतीय सेना की कमान ब्रिटिश जनरल सर फ्रांसिस बुचर के हाथों में थी। लेकिन स्वतंत्रता के साथ ही यह जरूरी हो गया था कि सेना का नेतृत्व अपने ही वीर हथिया लें। इसलिए इस ऐतिहासिक क्षण को सम्मानित करने और भारतीय सेना के जज्बे को सलाम करने के लिए हर साल 15 जनवरी को सेना दिवस मनाया जाता है।
इस दिन होने वाली खास बातें
इस खास दिन देशभर के सभी सेना मुख्यालयों और राष्ट्रीय राजधानी में सेना परेड का आयोजन किया जाता है। ये परेड सैनिकों के अनुशासन, शौर्य और देशभक्ति का शानदार प्रदर्शन करती है । सेना दिवस के मुख्य समारोह का आयोजन दिल्ली छावनी के करियप्पा परेड ग्राउंड में होता है। यहां भारतीय सेना प्रमुख परेड की सलामी लेते हैं, जो एक सम्मानजनक परंपरा है। इसके अलावा, विभिन्न सैन्य प्रदर्शन, सांस्कृतिक कार्यक्रमों और रक्षा उपकरणों के प्रदर्शन के जरिए भी सेना दिवस मनाया जाता है। यह दिन हमें याद दिलाता है कि कैसे 1949 में फील्ड मार्शल के.एम. करिअप्पा भारत के पहले स्वतंत्र सेना प्रमुख बने, जिससे बाद से एक नए युग की शुरुआत हुई।