आत्मा के अध्ययन को अध्यात्म कहते हैं जब हम अपने शरीर में स्थित आत्मा को पहचान लेते हैं जान लेते हैं इसे ही अध्यात्म कहते हैं शरीर तो नश्वर है इसकी एक निश्चित आयु है जो कभी भी नष्ट हो सकता है जबकि आत्मा अजर और अमर है अविनाशी है यह कभी भी नष्ट नहीं होती है हमारा शरीर भौतिक पदार्थों के ग्रहण करने के द्वारा सुख दुख का अनुभव करता है जबकि आत्मा से इसका कोई लेना देना नहीं होता है अपने आत्म तत्व को पहचान लेना ही अध्यात्म है इसके द्वारा हम अपने मन कर्म वचन आदि पर नियंत्रण करके सुख की अनुभूति कर सकते हैं व आनंद प्राप्त कर सकते हैं
क्या है अध्यात्मिक ज्ञान
अध्यात्म ज्ञान में स्वयं के द्वारा मन, बुद्धि,इन्द्रियां शरीर जीव आत्मा और परमात्मा के अध्ययन को ही अध्यात्म का ज्ञान का गया है।स्वयं के द्वारा आत्मा का मंथन करना आत्मा का प्रयोगशाला ही अध्यात्म है।संपूर्ण विश्व में रहने वाला मनुष्य किसी न किसी प्रकार से दुख में जी रहे हैं, ऐसे बहुत कम ही मनुष्य है जो संपूर्ण रूप से आनंद में है ,और जीवन में आनंद के न होने के कारण मन में घबराहट उत्पन्न होता है । जब व्यक्ति अध्यात्म का ज्ञान प्राप्त कर लेता है। तो उसके मन में घबराहट ईर्ष्या चिंता से मुक्ति मिल जाती है। यही आध्यात्मिक ज्ञान है।
क्या हैं लाभ ?
आध्यात्मिक जीवन का सबसे बड़ा लाभ आत्मा का उद्धार माना गया है।आध्यात्मिक व्यक्ति किसी भी दिशा में किया हुआ पुरुषार्थ परमार्थ का ही दूसरा रूप होता है।वह प्रत्येक कार्य को परमात्मा का कार्य और परिणाम को उसका प्रसाद मानता है।पुरुषार्थ द्वारा परमार्थ लगन व्यक्ति के ईर्ष्या, द्वेष ,माया, लोभ, स्वार्थ ,तृष्णा, वासना के संस्कार व्यक्ति में नष्ट हो जाते हैं। और उनके स्थान पर तपस्या ,संतोष, त्याग सेवा परोपकार आदि के शुभ संस्कार विकसित होने लगते हैं। ये आध्यात्मिक जीवन की सहज उपलब्धियां हैं, इन्हें पाकर मनुष्य को कुछ भी तो पाना शेष नहीं रह जाता है। मनुष्य के जीवन में इसके समान और कोई दूसरा लाभ नहीं है।
अध्यात्म में विज्ञान क्या है
विज्ञान व्यक्ति के जीवन को सुखी बनाने के लिए उसके शरीर को स्वस्थ बनाने के लिए उसको भौतिक सुख-सुविधाओं के साथ सुख और आनंद प्राप्त करने के लिए है या हम यह कह सकते हैं कि व्यक्ति के विकास के लिए विज्ञान निरंतर नई-नई खोजें करता है और व्यक्ति को सुख पहुंचाने के लिए।
ठीक इसी प्रकार अध्यात्म भी व्यक्ति को सुख शांति व जीवन में आनंद प्राप्त करने का तरीका बताता है ।जीवन में सुख प्राप्त करने की कला को जन्म देता है। देखने में दोनों भले ही अलग हो लेकिन अंतर दोनों में नहीं है ।विज्ञान व्यक्ति के वाह्य शारीरिक ,मानसिक विकास और उससे शरीर तक संबंधित विकास के लिए है। जबकि अध्यात्म व्यक्ति के आंतरिक विकास,प्राण के लिए है ,व्यक्ति के आंतरिक मनोभावों को सुधारने के लिए अध्यात्म है । इसलिए अध्यात्म और विज्ञान एक दूसरे के पूरक है