भगवान श्री कृष्ण को लगाए जाने वाले 56 भोग के पीछे क्या है, वजह जाने इस कथा से

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आपने भगवान श्री कृष्ण को छप्पन भोग लगाए जाने की बात सुनी होगी लेकिन क्या आपको इसके पीछे का रहस्य पता है ? सनातन धर्म में मान्यता है कि भगवान कृष्ण को 56 प्रकार के व्यंजन बहुत पसंद थे। माता यशोदा अपने लल्ला को दिन के आठ पहर तरह-तरह के स्वादिष्ट व्यंजन खिलाती थीं जिसमें दूध मक्खन और मिश्री के अलावा भी बहुत कुछ था। छप्पन भोग लगाने की सनातन परंपरा के पीछे एक कथा जुड़ी हुई है।

एक बार समस्त ब्रजवासी इंद्र देव को प्रसन्न करने की तैयारियों में जुटे हुए थे। ब्रज के लोगों का मानना था कि इंद्रदेव की प्रसन्नता के बिना वर्षा का होना असंभव है। भगवान कृष्ण ने उन्हें समझाया कि वर्षा करना इंद्र का दायित्व है इसलिए उनकी पूजा करने की क्या आवश्यकता है। पूजा तो उस गोवर्धन पर्वत की करनी चाहिए जिससे समस्त बृजवासी प्राकृतिक आपदाओं से सुरक्षित रहते हैं। गोवर्धन पर्वत से न केवल मनुष्य बल्कि पशुओं को भी भोजन और चारा इत्यादि मिलता है। भगवान कृष्ण की सलाह ब्रज वासियों को अच्छी लगी और उन्होंने बड़े श्रद्धा भाव से गोवर्धन पर्वत की पूजा की।

गोवर्धन की पूजा करने से इंद्रदेव क्रोधित हो गए। उन्होंने वरुण देव की सहायता से इतनी अधिक वर्षा करवाई जिसके कारण ब्रज में त्राहि-त्राहि मच गई। जब ब्रजवासी आंधी तूफान और भारी वर्षा के कारण आतंकित हो गए तो भगवान कृष्ण उनके पास पहुंचे। भगवान कृष्ण ने सभी लोगों को गोवर्धन पर्वत की तरफ चलने को कहा और वे स्वयं भी उनके साथ वहां पहुंच गए। इसके बाद भगवान कृष्ण ने अपनी एक उंगली से समूचे गोवर्धन पर्वत को उठा लिया। समस्त बृजवासी अपने परिवार और पशुओं के साथ गोवर्धन पर्वत के नीचे आकर खड़े हो गए।

भगवान श्रीकृष्ण ने देवराज इंद्र के कोप से ब्रज वासियों को बचाने के लिए लगातार 7 दिन तक गोवर्धन पर्वत को अपनी अंगुली पर उठाए रखा। भगवान श्रीकृष्ण ने 7 दिन तक अन्न का एक दाना भी नहीं खाया। इंद्रदेव के माफी मांगने के बाद भगवान श्री कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को वापस उसके स्थान पर रख दिया। भगवान श्री कृष्ण की इस अद्भुत लीला के बाद ब्रज वासियों ने सोचा कि उनके कान्हा 7 दिन तक भूखे रहे हैं। इसलिए उन्हें सुंदर व्यंजन खिलाने चाहिए।

बृजवासी माता यशोदा के पास पहुंचे और उनसे पूछा कि वे अपने लल्ला को दिन में कितनी बार भोजन करवाती थीं। माता यशोदा ने कहा कि मैं अपने लल्ला को दिन के 8 पहर भोजन करवाती हूं। एक दिन में आठ पहर होते हैं। ब्रज वासियों ने 7 दिनों के हिसाब से जब आठ पहर को गुणा किया तो उसका योग 56 आया। इसके बाद पूरे गांव ने मिलकर अपने कान्हा के लिए 56 प्रकार के अलग-अलग स्वादिष्ट व्यंजन बनाएं और उन्हें भोग लगाया। इस प्रकार भगवान कृष्ण को छप्पन भोग लगाने की परंपरा शुरू हुई जो आज भी अनवरत जारी है। जन्माष्टमी आते ही समूचे वृंदावन और मथुरा में कान्हा के लिए छप्पन भोग बनाने की तैयारियां शुरू हो जाती हैं।