जाने कैसे भारत का प्रमुख आईलैंड लक्षद्वीप बन गया मुस्लिम बहुल राज्य

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लक्षद्वीप अपनी खूबसूरती के साथ इस बात के लिए भी जाना जाता है कि यहां की 97 फीसदी आबादी मुस्लिम है। इतिहास के पन्ने पलटेंगे तो पाएंगे कि यह बौद्ध और हिन्दू बाहुल्य क्षेत्र था। इस द्वीप को राजा चेरामन पेरुमल को इसे बसाने का श्रेय जाता है। लेकिन समय के साथ यहां इस्लाम का ऐसा प्रचार-प्रसार हुआ कि यह मुस्लिम बाहुल बन गया।

जाने लक्षद्वीप के बारे में

लक्षद्वीप भारत का सबसे छोटा केंद्र शासित प्रदेश है। ये राज्य 32 द्वीपों का एक सुंदर सा समूह है। हालांकि, अब यहां 36 द्वीप हो गए हैं। इस राज्य की राजधानी कावारत्ती है और यहां की 96 फीसदी आबादी इस्लाम धर्म को मानती है। लेकिन, इस्लाम के आने से पहले इस राज्य में हिंदू और बौद्ध धर्म के लोग ज्यादा थे।

कब पहुँचा इस्लाम

लक्षद्वीप में इस्लाम की शुरुआत 631 ई. में एक अरब सूफी उबैदुल्लाह द्वारा की गई थी। जबकि, सरकारी दस्तावेजों में लक्षद्वीप में इस्लाम के उदय की बात 7वीं शताब्दी से की जाती है। यहां इस्लाम के फैलने के पीछे का सबसे बड़ा कारण यहां के एक राजा चेरामन पेरुमल द्वारा इस्लाम को कुबूल करने को माना जाता है। दरअसल, 825 ई. में उन्होंने इस्लाम धर्म को अपना लिया था।

केंद्र शासित राज्य कब बना लक्षद्वीप

1947 में आजादी के बाद इस राज्य को 1956 में भाषा के आधार पर मद्रास प्रेसीडेंसी में मिला दिया गया। इसके बाद फिर इसे केरल राज्य में शामिल किया गया। हालांकि, बात यहां भी नहीं बनी तो उसी साल इस छोटे से राज्य को केंद्र शासित राज्य बना दिया गया। शुरुआती समय में इस राज्य को लैकाडिव, मिनिकॉय और आमिनदीवी के नाम से जाना जाता था। लेकिन 1971 में इस राज्य का नाम लक्षद्वीप रखा गया।

अस्पष्टीकृत पर्यटक गंतव्य

पर्यटन के संदर्भ में अधिकांश लक्षद्वीप और इसके समुद्र तट अस्पष्टीकृत हैं। इसकी अधिकांश आबादी आमतौर पर कुल 36 में से 9-10 द्वीपों पर रहती है। इसलिए, अधिकांश लक्षद्वीप और इसके समुद्र तट पर्यटन के मामले में अस्पष्टीकृत हैं। देश के अन्य राज्यों से यहां आने से पहले लक्षद्वीप पर्यटन से अनुमति लेनी होगी। यहां यात्रा के लिए नकदी लाना बेहतर है क्योंकि लक्षद्वीप के कई क्षेत्रों में इंटरनेट कनेक्टिविटी सीमित है।