भारत जोड़ो यात्रा की अलवर के मालाखेड़ा में हुई कांग्रेस की जनसभा में देश- प्रदेश की सियासत के कई संकेत मिले हैं। मल्लिकार्जुन खड़गे के कांग्रेस अध्यक्ष होने के बावजूद पब्लिक पर्सेप्शन के मोर्चे से लेकर बॉडी लैंग्वेज और मंच पर राहुल गांधी भारी दिखे।कांग्रेस अध्यक्ष खड़गे का भाषण सबसे आखिर में नहीं करवाकर राहुल से करवाया गया। कांग्रेस में किसी भी सभा में जब राष्ट्रीय अध्यक्ष मौजूद होते हैं तो सबसे आखिर में भाषण उन्हीं का होता है।आज की सभा में अध्यक्ष खड़गे का भाषण राहुल से पहले करवाया गया। जबकि अध्यक्षीय निर्णायक भाषण राहुल गांधी का करवाया गया। सबसे आखिर में राहुल के भाषण के सियासी मायने हैं।
राहुल गांधी के सबसे आखिरी भाषण से यह मैसेज गया कि आज भी वे सबसे पावरफुल नेता हैं। राहुल गांधी ने कांग्रेस अध्यक्ष खड़गे के प्रोटोकॉल का पूरा ध्यान रखा, लेकिन सभा के दौरान मंच पर बहुत से ऐसे मौके आए जब वे हर तरह से पावरफुल नेता कम, बॉस की भूमिका में ज्यादा दिखे। खड़गे और राहुल के बीच ज्यादा बातचीत भी नहीं हुई।
खड़गे संगठन चुनाव के जरिए अध्यक्ष चुने गए थे। खड़गे अध्यक्ष बनने के बाद पहली बार राजस्थान में किसी जनसभा में शामिल हुए। जनसभा में राहुल गांधी असली बॉस की भूमिका में नजर आए। जनता ने भी उन्हें उसी तरह का रिस्पॉन्स दिया।राजनीतिक जानकारों का मानना है कि कांग्रेस में गांधी परिवार का ग्लैमर और पकड़ बरकरार रही है। आज की सभा में राहुल की डोमिनेंट पॉजिशन को भी उसी का परिणाम बताया जा रहा है।