Kaushambi: मौसम बदलने के चलते इन दिनों आंख के रोगियों की संख्या तेजी से बढ़ी है। नेत्र रोग से पीड़ित लोगों की भीड़ सरकारी अस्पताल से लेकर निजी अस्पतालों तक देखी जाती है लेकिन सरकारी अस्पताल में नेत्र सर्जन से लेकर नेत्र चिकित्सक गायब है। जिससे मरीजों को इलाज नहीं मिल पाता और मरीजों का मर्ज बढ़ता जा रहा है।
ताजा मामला प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र नेवादा का है, जहाँ नेत्र चिकित्सक और नेत्र सर्जन मौजूद नहीं मिलते हैं। सुबह से देर शाम तक नेत्र चिकित्सक के इंतजार में मरीज अस्पताल में बैठे इंतजार करते रहते हैं लेकिन उन्हें दवा नहीं मिल पाती। जिले के अन्य सरकारी अस्पतालों का भी यही हाल है। जिला अस्पताल तक में नेत्र रोग सर्जन चिकित्सक प्रतिदिन मरीजों को नहीं मिलते हैं लेकिन उसके बाद भी नेत्र रोग पर बड़े-बड़े भाषण देने वाले मुख्य चिकित्सा अधिकारी और उनके मातहत नेत्र चिकित्सकों को ड्यूटी पर उपस्थिति कराने का प्रयास नहीं कर रहे हैं।
अब सवाल यह उठता है कि जो नेत्र चिकित्सक इस गंभीर समय में अपनी ड्यूटी पर मौजूद नहीं है। उन चिकित्सकों को निलंबित बर्खास्त करने की कार्यवाही करने में मुख्य चिकित्सा अधिकारी को इतना संकोच क्यों है? लोगों ने उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री स्वास्थ्य मंत्री बृजेश पाठक का ध्यान आकृष्ट कराते हुए नेत्र चिकित्सकों और सर्जन पर कठोर कार्यवाही की मांग करते हुए चिकित्सकों की तैनाती और मुख्य चिकित्सा अधिकारी की लापरवाही पर उन्हें निलंबित किए जाने की मांग की है।