कौशाम्बी: यूपी के कौशाम्बी जिले के कोखराज टोल प्लाजा पर फर्जी fastag के सहारे करोड़ो की ठगी करने वाले गिरोह का जिले की एसओजी टीम और कोखराज थाना पुलिस ने पर्दाफाश किया है। एसपी बृजेश श्रीवास्तव के निर्देशन में एसओजी टीम प्रभारी सिद्धार्थ सिंह और कोखराज प्रभारी विनोद मौर्या को बड़ी कामयाबी मिली है। पुलिस टीम ने फर्जी फास्टैग बनाने वाले 6 शातिरों को गिरफ्तार किया है। एसपी बृजेश कुमार श्रीवास्तव ने मामले का प्रेस कांफ्रेंस कर खुलासा किया है।
कोखराज थाना क्षेत्र में स्थित कोखराज हंडिया बाईपास टोल प्लाजा पर पिछले कुछ महीनों से फर्जी fastag के सहारे कुछ शातिर टोल प्लाजा और बैंक को लगातार फ्रॉड कर नुकसान पहुंचा रहे थे। आमदनी कम होने पर टोल प्लाजा के मालिक ने कोखराज थाना में मामला दर्ज कराया था, जिसके बाद एसपी बृजेश श्रीवास्तव ने पुलिस के साथ एसओजी टीम को लगाया और सर्विलांस की सहायता से फर्जी फास्टैग मामले का खुलासा कर दिया और गिरोह का पर्दाफाश करते हुए 6 शातिरो को गिरफ्तार कर लिया।
एसपी बृजेश कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि यह शातिर 1250 के fastag को 5 सौ में बेचने का काम करते थे। एक फास्टटैग के सहारे कई गाड़िया टोल प्लाजा से क्रॉस कराते थे और गाड़ी टोल प्लाजा से क्रॉस करने के बाद उसे वापस ले लेते थे और फिर दूसरी गाड़ी उसी फास्टटैग से क्रॉस कराते थे। इस तरह प्रतिदिन 35 से 40 हजार की यह लोग कमाई कर लेते थे।
पुलिस टीम ने रायबरेली के एक प्रतापगढ़ के एक और कोखराज थाना क्षेत्र के चार शातिर युवकों को गिरफ्तार किया है। पुलिस को गिरफ्तार शातिरो के पास से 20 फर्जी फास्टैग एवं 4 एंड्रॉयड मोबाइल फोन बरामद हुए है। पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर सभी 6 आरोपियों को जेल भेज दिया।
गौरतलब हो कि अभियुक्तों द्वारा फर्जी fastag आई0डी0 के माध्यम से अलग-अलग तिथियों में अवैध रूप से बड़े वाहनों का प्रवेश व निकास कराते थे। यह एक नवीनतम साइबर अपराध है, इसमें अभियुक्तों द्वारा सुनियोजित तरीके से गिरोह बनाकर अपराध कारित किया जाता है। गिरोह के कुछ सदस्यों द्वारा अलग अलग बैंक के माध्यम से फास्टैग की एजेंट आई0डी0 प्राप्त कर एजेंट के रूप में टॉल प्लाजा के आस पास फास्टैग बनाने का कार्य शुरू कर देते थे। इसी क्रम में अपने ही लोगो के मोबाइल नंबरों पर ओटीपी प्राप्त कर किसी अज्ञात वाहन नम्बर या काल्पनिक वाहन नंबर डालकर फर्जी फास्टैग आई0डी0 बना लेते है। इस तरह से इनके द्वारा अवैध रूप से सैकडों फास्टैग आई0डी0 एक्टिवेट करके उसे अपने गिरोह के अन्य सदस्यों को दे देते है।
इनके द्वारा टोल प्लाजा के आउटर पर जाकर आने जाने वाले बडे वाहनों के चालकों से बातचीत करके उन्हे कम पैसों में टोल प्लाजा पास कराने का लालच देकर उन्हे फास्टैग कार्ड दे देते थे, जैसे ही वाहन टोल प्लाजा पार करता था। अभियुक्तों द्वारा अपना दिया हुआ फास्टैग कार्ड वापस ले लेते थे तथा उक्त वाहन को आगे आने वाले टोल प्लाजा से एक्जिट कराने के लिये उन्हे दूसरा एक्टिवेटेड फास्टैग कार्ड दे देते थे। वाहन एक्जिट होने के बाद इस गिरोह के अन्य सदस्य दिये हुए फास्टैग कार्ड को वापस ले लेते थे तथा यही फास्टैग कार्ड दूसरे वाहनों में इस्तेमाल करते थे। इस प्रकार इस गिरोह के द्वारा एक फास्टैग कार्ड से प्रतिदिन 70 से 80 वाहन अवैध रूप से पास कराया जाता था तथा उनसे अवैध रूप से प्राप्त धनराशि आपस में बांट लेते थे।
अभियुक्तों द्वारा बताया गया कि 1250 रू0 के फास्टैग को बड़े वाहनों के चालको को मात्र 500 रू0 में दिया जाता था। इससे गाड़ी चालक को 750 रू0 का लाभ होता था। चूंकि एक ही फास्टैग का एक दिन में 70 से 80 बार उपयोग किया जाता था, जिससे अभियुक्तगणों को एक दिन में एक कार्ड से 35,000 से 40,000 रू0 का अवैध रूप से लाभ होता था। उल्लेखनीय है कि टोल प्लाजा को इसमें सर्वाधिक आर्थिक नुकसान होता था।
कोखराज टोल प्लाजा के खाता में ट्रांजेक्शन का नियम
विशेषज्ञों के मुताबिक कोखराज टोल प्लाजा से फास्टैग के द्वारा पास हुये वाहन से आहरित धनराशि तब तक टोल प्लाजा के खाते में नहीं आती थी, जब तक वाहन अगले टोल से एक्जिट न कर जाये। इसका फायदा उठाकर अभियुक्तगण द्वारा वाहन इंट्री से पूर्व अलग फास्टैग कार्ड तथा एक्जिट से पूर्व अलग फास्टैग कार्ड का इस्तेमाल किया जाता था। अलग-अलग फास्टैग कार्ड व वाहन नम्बर होने के कारण ट्रांजेक्शन सक्सेज नहीं हो पाता था। कोखराज टोल प्लाजा के खाते में फास्टैग के माध्यम से आहरित धनराशि का 72 घण्टे बाद ट्रांजेक्शन होता है। इसका फायदा उठाकर अभियुक्तगण द्वारा एक फास्टैग कार्ड को 72 घण्टे तक लगातार विभिन्न वाहनों को पास कराने में उपयोग करते थे। 72 घण्टे के बाद जब फास्टैग कार्ड माइनस में हो जाता, तो स्वतः ब्लॉक हो जाता था। इस प्रकार अपराधियों द्वारा एक फास्टैग कार्ड का इस्तेमाल 72 घण्टे तक किया जाता था तथा प्रतिदिन लगभग 70 से 80 वाहनों में एक ही फास्टैग का उपयोग कर धोखाधडी की जाती थी।