Kashi: काशी (Kashi) तेरे रंग हजार और काशी में बसते हर फन के फनकार। इसी काशी (Kashi) में शमशान के भी किस्से है हजार। जी हां ऐसा ही एक नजारा महाशमशान घाट पर उस समय देखने को मिला, जब एक पिता की चिता पर उसकी आखरी भेंट के रुप में पक्का महाल निवासी बेटे ने शैय्या पर लेटे पिता पर शराब गिराई और बनारसी पान के साथ बीड़ी भी रखा।
आपको बता दें कि इस दृश्य को बाहर से आने वाले लोग बड़े ही आश्चर्य से देख रहे थे। वहीं बेटे ने कहा कि पिता की कोई इच्छा अधूरी न रहे, इसलिए अंतिम औपचारिकता पूरी की है। गौरतलब है कि यह दृश्य आम बनारसियों के लिए सामान्य है तो वहीं बाहर से आए हुए लोगों के लिए किसी आश्चर्य से कम नहीं था। जो लोग वहां थे, वे बुदबुदाने लगे और कहने लगे कि अल्हड़पन की जिदंगी जीने वाले यहां के वासी मृत्यु पर शोक की बजाय उत्सव मनाते है।
बता दें कि मणिकर्णिका घाट निवासी पवन कुमार ने बताया कि काशीवासियों को नर्क का डर ही नहीं सताता, क्योंकि वे जानते हैं कि बाबा की नगरी में मृत्यु से सीधे मोक्ष मिलता है। रोज दो-तीन शवों के साथ ढोल-नगाड़े बजाते परिजन आते हैं। जिसकी मृत्यु हुई होती है, उसे खानपान अर्पित करते हैं। खासकर शराब, गांजा, बीड़ी, सिगरेट आदि।