Allahabad High Court द्वारा झांसी मंडल (jhansi-divisional) रेलवे को कानूनी प्रक्रिया अपनाए बगैर जबरन कब्जा की गई खेती की जमीन का मय ब्याज नए सिरे से मुआवजा तय करने का आदेश हुए चीफ प्रोजेक्ट मैनेजर पर एक करोड़ रुपये का हर्जाना लगाया है। यह हर्जाना 2014 से रेलवे द्वारा कोर्ट को गुमराह करने व याची को परेशान करने के लिए लगाया गया है। कोर्ट ने जनवरी में रेलवे को मार्केट रेट से नियमानुसार जमीन का मुआवजा तय करने का आदेश देते हुए पूछा था कि क्यों न याची को एक करोड़ रुपये हर्जाना दिया जाए।
अधिवक्ता मनोज कुमार सिंह से कोर्ट ने कहा है कि रेलवे झांसी मंडल (jhansi-divisional) के चीफ प्रोजेक्ट मैनेजर कंस्ट्रक्शन डिवीजन याची के नाम एक करोड़ के डिमांड ड्राफ्ट के साथ व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल करें। कोर्ट ने जिलाधिकारी को राजस्व अधिकारियों की मदद लेकर मार्केट रेट से ब्याज सहित मुआवजा तय करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने कहा है कि यदि इस आदेश का पालन नहीं किया गया तो कोर्ट को गुमराह करने पर प्रतिकूल आदेश पारित किया जायेगा। सुनवाई 2 मार्च को होनी है। न्यायमूर्ति सुनीता अग्रवाल तथा न्यायमूर्ति नंद प्रभा शुक्ला की खंडपीठ ने महोबा के चंदन चांदपुर गांव के चिरंजी लाल की याचिका पर आदेश दिया है।
मुख्य प्रोजेक्ट मैनेजर कंस्ट्रक्शन ने व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल कर बताया कि जिला प्रशासन को जमीन अधिग्रहण करने के लिए अनुरोध किया गया गया है। किंतु हर्जाने के मुद्दे पर कोई सफाई नहीं दी। कहा, सहमति से मुआवजा तय किया गया है। इस पर कोर्ट ने कहा बिना कानूनी कार्यवाही किए जबरन जमीन हथिया लिया तो सहमति का प्रश्न नहीं उठता।