भारत की चिंता, तवांग ही नहीं, डोकलाम और लद्दाख में भी चीन की तैयारियां बढ़ा सकती हैं

सैटेलाइट तस्वीरों में सामने आया है कि चीन एलएसी पर तेजी से इन्फ्रास्ट्रक्चर बढ़ा रहा है. लद्दाख में पैंगॉन्ग झील के पास पुल बना रहा है, सैनिकों के लिए शेल्टर बना रहा है. तो डोकलाम में अवैध गांव बसाए जा रहे हैं.

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अरुणाचल प्रदेश के तवांग में भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच हुई लड़ाई के बाद चीन की विस्तारवादी रणनीति एक बार फिर सुर्खियों में है। अपनी विस्तारवादी रणनीति के तहत चीन भारत के एक बड़े हिस्से पर दावा करता रहा है। गलवान और डोकलाम में चीनी सेना की घुसपैठ इसका सबूत है। चीन ने इसी योजना के तहत डोकलाम और लद्दाख में अपनी तैयारी तेज कर दी है, जो भारत के लिए आफत बन सकता है।

दरअसल, सिर्फ तवांग ही नहीं, बल्कि लद्दाख और डोकलाम के पास भी चीन तेजी से इन्फ्रास्ट्रक्चर बढ़ा रहा है. सड़कें-पुल बना रहा है. गांव बसा रहा है. सैनिकों के लिए शेल्टर बना रहा है. कुल मिलाकर चीन वहां वो सबकुछ कर रहा है जो जंग होने की स्थिति में उसकी मदद कर सकता है.

अमेरिकी रक्षा मंत्रालय पेंटागन ने भी इस पर चिंता जताई है. पेंटागन का कहना है कि चीन एलएसी के पास सैनिक जुटा रहा है और सेना के लिए इन्फ्रास्ट्रक्चर बना रहा है.

इसके अलावा सैटेलाइट तस्वीरों में भी सामने आया है कि चीन किस तरह से एलएसी के पास अपनी तैयारियां बढ़ा रहा है. ये वो सबूत हैं जो भारत के लिए चिंता बढ़ा सकता है.

लद्दाख में क्या कर रहा है चीन?

चीन के साथ लद्दाख की 1,597 किलोमीटर लंबी सीमा लगती है. लद्दाख का करीब 38 हजार वर्ग किमी हिस्सा चीन के कब्जे में है, जिसे अक्साई चीन कहा जाता है. लद्दाख से लगी एलएसी पर तो ढाई साल से भी ज्यादा लंबे समय से तनाव है.

लद्दाख में पैंगॉन्ग झील के पास चीन तेजी से इन्फ्रास्ट्रक्चर विकसित कर रहा है. पैंगॉन्ग झील के फिंगर 8 तक को भारत अपना अधिकार क्षेत्र मानता है, जबकि चीन फिंगर 4 तक अपना दावा करता है. पूरी एलएसी पर सिर्फ पैंगॉन्ग झील पर ही भारत-चीन के बीच जल सीमा है. फरवरी 2021 में भारत-चीन की सेना पीछे हट गई थी.

हाल ही में सैटेलाइट तस्वीरों में सामने आया है कि पीछे हटने के बावजूद चीन वहां इन्फ्रास्ट्रक्चर बढ़ा रहा है. सैटेलाइट तस्वीरों में पैंगॉन्ग झील के उत्तरी तट के पास नए ढांचे दिख रहे हैं.

तस्वीरों में दिख रहा है कि 40 बाय 30 मीटर के शेल्टर जैसे ढांचे बने हैं, जिन्हें हथियार सुरक्षित रखने के लिए बनाया गया है. कुछ ऐसे शेल्टर भी हैं जिन्हें सैन्य वाहन रखने के लिए बनाया गया है.

सैटेलाइट तस्वीरों के मुताबिक, पैंगॉन्ग झील के फिंगर फोर से लगभग 6.5 किमी दूरी पर एक हेडक्वार्टर और सैनिकों के लिए शेल्टर भी बना है. सैनिकों के शेल्टर से लगभग 2.5 किमी पूर्व में एक कंस्ट्रक्शन साइट है, जिसमें रेडोम लगा है जो रडार, सिग्नल या एंटीना की सुरक्षा करता है.

इसके अलावा पैंगॉन्ग झील पर चीन एक दो-मंजिला पुल भी बना रहा है, जो झील के उत्तरी और दक्षिणी छोर की दूरी को कम करता है.

2020 में जो जगह खाली थी, वहां अब डिवीजन लेवल का हेडक्वार्टर है और सैनिकों के लिए शेल्टर है. चिंता बढ़ाने वाली बात ये है कि ये सारे ढांचे उस जगह से थोड़ी ही दूर पर है जहां से चीन ने सैनिकों को पीछे हटने की बात कही थी.

रेडोम साइट के पास अभी भी कंस्ट्रक्शन का काम चल रहा है और सैटेलाइट तस्वीरों में दो टॉवर और कनेक्टिंग रोड भी साफ दिख रही है. 

डोकलाम में क्या कर रहा है चीन?

डोकलाम वैसे तो भूटान में पड़ता है, लेकिन ये ट्राई-जंक्शन है जो चीन, भारत और भूटान के बीच है. 2017 में 73 दिनों तक डोकलाम में भारत और चीन के सैनिक आमने-सामने थे. उस समय चीन डोकलाम में सड़क बना रहा था और भारत ने इसे रोक दिया था.

इंटेलिजेंस रिपोर्ट के मुताबिक, डोकलाम विवाद खत्म होने के बाद चीन ने सीमा पर बुनियादी ढांचे को मजबूत किया है, भारी हथियारों को स्टोर करने के लिए सुरंगें बनाईं हैं और सीमा के पास अपनी ताकत दोगुनी कर दी है. सीमा से कुछ ही मीटर की दूरी पर एक पुल भी बन रहा है, जिससे टकराव हो सकता है.

ट्राई-जंक्शन से लगभग 9 किमी दूरी पर चीन अपनी मौजूदगी बढ़ा रहा है. 2020 में यहां पर जिस पंगडा गांव को बसाया गया था, वो 2021 में और बढ़ गया और हाल ही इसके दक्षिण में और विस्तार देखा गया है.

इतना ही नहीं, सैटेलाइट तस्वीरों में सामने आया है कि सीमा से 20 किलोमीटर दूर चीन एक और गांव बसा रहा है, जिसे लैंगमारपो नाम दिया गया है. ये गांव भूटान में ही बस रहा है. इसके कंस्ट्रक्शन का काम तेजी से चल रहा है.

भारत भी मुस्तैद!

सूत्रों का कहना है कि भारत चीन की गतिविधियों पर नजर रख रहा है और अगर ऐसा लगता है कि भारत की संप्रभुता को खतरा है तो एक्शन लिया जाएगा.
गलवान घाटी में गतिरोध के बाद भारत भी तेजी से अपने इन्फ्रास्ट्रक्शन को बढ़ा रहा है. अरुणाचल के पास भी चीन बुनियादी ढांचे को विकसित कर रहा है. पिछले साल पेंटागन ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया था कि अरुणाचल से सटी सीमा पर चीन एक गांव को बसा रहा है.

अरुणाचल सीमा के पास भारतीय सेना ने लंबी दूरी की निगरानी वाले ड्रोन, रडार और नाइट विजन वाले कैमरे तैनात किए हैं. इन सर्विलांस सिस्टम की मदद से भारतीय सेना को एलएसी के पास चीनी गतिविधियों की सटीक तस्वीरें मिलती हैं.