उपेक्षित नवजात बालको के जीवन की रक्षा हेतु मेरठ(Meerut) के LLRM में पालनघर का लोकार्पण किया गया। ये पालनघर स्वचालित है और इसमें सेंसर लगे है । नवजात शिशु के पालने में रखने के 2 मिनट बाद ही पालने का सेंसर एक्टिव होकर अलार्म देगा। अलार्म बजने में 2 मिनट का समय इसलिए रखा गया है ताकि जो भी व्यक्ति बच्चे को पालघर में छोड़ने आये, उस व्यक्ति की पहचान को गुप्त रखा जा सके। किसी भी व्यक्ति के द्वारा नवजात को पालघर में छोड़े जाने के दो मिनट के बाद ही अस्पताल का अलार्म बजने लगेगा और अस्पताल के गायनी विभाग को ये सूचित करेगा कि कोई अंजान नवजात छोड़कर गया है। इस प्रकार ये पालनघर उन नवजातों के जीवन को बचा सकता है, जिनको किसी भी कारणवश उनका परिवार नहीं अपनाना चाहता है।
“फेंके नहीं, हमें दें!” टैगलाइन के साथ पालघर का शुभारम्भ
अंजान नवजातों के जीवन को सुरक्षित करने वाले इस पालघर को आश्रय पालना स्थल नाम दिया गया है। साथ ही इसकी टैगलाइन है “फेंके नहीं, हमें दें!” बिना पहचान बताये पालने में छोड़ जाये। ये पालघर उन नवजातों के लिए जीवनदान की तरह काम करेगा, जिनको विभिन्न कारणों से जन्म के बाद परिजनों द्वारा त्याग दिया जाता है। इनमे मूल रूप से गर्ल चाइल्ड शामिल होती है, जिन्हे बोझ समझकर इधर-उधर छोड़ दिया जाता है। ऐसे में ये पालघर एक प्रयास होगा, उपेक्षित नवजातों का जीवन सुरक्षित करने का।
स्वचालित पालघर, मोशन सेंसर युक्त पालना
मेडिकल कॉलेज के प्रधानाचार्य डॉ आर सी गुप्ता ने आश्रय पालना स्थल के कार्यप्रणाली की जानकारी देते हुए बताया की आश्रय पालना स्थल हाईटेक मोशन सेंसर से युक्त हैं जिससे की पालना स्थल में शिशु को छोड़ने के 2 मिनिट पश्चात चिकित्सालय के लेबर रूम में अपने आप घंटी बजेगी। अलार्म बजने में दो मिनट का समय इसलिए रखा गया है ताकि कोई भी व्यक्ति बच्चे को पालने में छोड़कर आसानी से जा सके और उस व्यक्ति की पहचान की गोपनीयता बनी रहे। दो मिनट के बाद अलार्म बजने की जानकारी अस्पताल के डॉक्टर्स को हो जाएगी जो बच्चे की देखभाल कर सकेंगे। शिशु के स्वस्थ होने पर उसे तत्काल नजदीकी राजकीय मान्यता प्राप्त शिशु गृह में भेज दिया जाएगा।
बच्चो को गोद देने की व्यवस्था
आपको बता दे कि इस अभियान का मुख्य उद्देश्य अंजान और अनचाहे नवजातों को बचाना है। बच्चे को आश्रय पालना स्थल में छोड़े जाने के बाद डॉक्टर्स की टीम उनके स्वास्थय की जांच करेगी और उनकी देखभाल करेगी जिसके बाद उन्हें नजदीकी शिशु गृह में भेज दिया जायेगा। इसके बाद विधिक प्रक्रिया शुरू होगी। जिसमें बाल कल्याण समिति के माध्यम से बच्चा डीएम के ऑर्डर से दत्तक दिया जा सकता है। दत्तक देने में कारा की गाइडलान का पूरा पालन किया जाएगा। इस अभियान से उन परिवारों के घर भी रोशन होंगे जो बच्चे गोद लेना चाहते हैं। जानकारी है यूपी के सात जिलों में ऐसे बालघर खोलने की तैयारी है।