महान ऊदा देवी पासी की जयंती में एक बार फिर बुंदेलखंड अलग राज्य की चर्चा

इतिहास के पन्नों पर छुपी वो वीरांगना जिन्होंने अकेले ही दर्ज़न से अधिक अंग्रेज़ों को मार गिराया। साल 1857 की क्रांति इतिहास में लहू और वीरता की मिसाल है।

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बांदा में जैन धर्म शाला में उदा देवी पासी के जन्मदिन पर बुंदेलखंड राज्य की चर्चा जोरों से शुरू हुई है। जल्द ही पैदल यात्रा शुरू होगी बुंदेलखंड राज्य के लिए संघर्ष समिति के पदाधिकारी व समाजसेवियो ने सदियों से संघर्ष कर रहे है लेकिन सरकारों के कान में जूं तक नही रेंग रही है।

इतिहास के पन्नों पर छुपी वो वीरांगना जिन्होंने अकेले ही दर्ज़न से अधिक अंग्रेज़ों को मार गिराया। साल 1857 की क्रांति इतिहास में लहू और वीरता की मिसाल है। इसमें कई वीरांगनाओं ने अपनी वीरता का परिचय देते हुए अंग्रेज़ों के छक्के छुड़ा दिए। फिर वो बेग़म हज़रत महल हों, झलकारी बाई हों, रानी लक्ष्मीबाई हों या फिर ‘ऊदा देवी पासी। जी हां इतिहास का एक पन्ना इस ‘दलित वीरांगना’ की वीरता को भी कहता है, जिसने लखनऊ के सिकंदर बाग़ में ब्रिटिश सेना को नाकों चने चबवा दिए।

ऊदा देवी का जन्म लखनऊ की ‘पासी’ में जाति में हुआ था, उनकी शादी मक्का पासी से होने के बाद ससुराल में उनका नाम ‘जगरानी’ रख दिया गया। उसी दौरान लखनऊ के छठे नवाब वाजिद अली शाह अपनी सेना में सैनिकों को बढ़ाना चाहते थे, जिसमें एक सैनिक ऊदा देवी के पति भी थे। अपने पति को आज़ादी की लड़ाई के लिए सेना के दस्ते में शामिल होता देख ऊदा देवी भी वाजिद अली शाह के महिला दस्ते में शामिल हो गईं।

1857 की क्रांति को कोई नहीं भूल सकता और 10 जून 1857 का वो दिन जब अंग्रेज़ों ने अवध पर हमला कर दिया था। उन अंग्रेज़ों का सामना करने के लिए लखनऊ के इस्माइलगंज में मौलवी अहमद उल्लाह शाह के नेतृत्व में एक पलटन लड़ रही थी। इसी पलटन में मक्का पासी भी थे, जो लड़ते-लड़ते वीरगति को प्राप्त हो गए। जब ऊदा देवी पासी को ये पता चला तो अंग्रेज़ों के ख़िलाफ़ लड़ने और बदला लेने का उनका इरादा और पक्का हो गया। उन्होंने महिला दस्ते में रहकर और कई दलित महिलाओं को एक अलग बटालियन तैयार की, जिसे ‘दलित वीरांगनाओं’ के रूप में जाना जाता है।

ऊदा देवी पासी ने अकेले दो दर्ज़न से भी ज़्यादा ब्रिटिश सैनिकों को मार गिराया। इसके चलते अंग्रेज़ आग बबूला हो गए, लेकिन वो समझ नहीं पा रहे थे कि गोली बारी कौन कर रहा है तभी एक अंग्रेज सैनिक के नज़र पीपल के पेड़ के पत्ते से गोलियां बरसाती ऊदा देवी पर पड़ी और उसने निशाना साधकर गोली चलाई, तो ऊदा देवी नीचे गिर पड़ीं। इसके बाद जब ब्रिटिश अफ़सरों ने बाग़ में प्रवेश किया, तो उन्हें पता चला कि वो पुरूष वेश-भूषा में एक महिला सैनिक है।

वही इस कार्यक्रम में उपस्थिति शालिनी सिंह पटेल जेडीयू प्रदेश अध्यक्ष महिला मंच यूपी, दिव्यांग पार्टी के नेता श्याम बाबू तिवारी, रमेश चंद्र दुबे, किसान नेता बलराम तिवारी, गुड्डन प्रजापति ,रामसेवक, जानकी देवी, सरिता देवी आदि सैकड़ों लोग उपस्तिथि रहे।