एक्शन में नीतीश सरकार भंग कर दिए ये 5 आयोग, जाने पूरी खबर

सरकार का पक्ष रखते हुए शिक्षा मंत्री विजय कुमार चौधरी ने विधेयक में संशोधन को लेकर जताई जा रही आशंकाओं को निराधार बताया।

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बिहार में चलने वाले मदरसा शिक्षा बोर्ड, संस्कृत शिक्षा बोर्ड के साथ ही अल्पसंख्यक, महिला और बाल श्रमिक आयोग भंग हो गए। गुरुवार को बिहार विधानसभा में इन आयोग और बोर्ड से संबंधित संशोधन विधेयकों को स्वीकृति मिल गई। सरकार का पक्ष रखते हुए शिक्षा मंत्री विजय कुमार चौधरी ने विधेयक में संशोधन को लेकर जताई जा रही आशंकाओं को निराधार बताया।

संशोधन विधेयकों को ध्वनिमत से पारित कर दिया गया

विधानसभा में संबंधित विभागों के प्रभारी मंत्रियों ने अपने-अपने विभागों के संशोधन विधेयकों को सदन पटल पर रखा। विपक्षी सदस्यों की ओर से लाए गए संशोधन प्रस्ताव पर चर्चा और उनके अस्वीकृत होने के बाद इन संशोधन विधेयकों को ध्वनिमत से पारित कर दिया गया। संशोधित अधिनियम लागू होने की तिथि से वर्तमान में कार्यरत आयोग व बोर्ड भंग हो जाएंगे। सरकार आयोग से जुड़े मामलों के प्रबंधन के लिए एक प्रशासक नियुक्त करेगी। प्रशासक सचिव स्तर के पदाधिकारी होंगे। सरकार के पास प्रशासन को निर्देश या परामर्श जारी करने का अधिकार होगा और ऐसे निर्देश या परामर्श प्रशासक के लिए बाध्यकारी होंगे।

दो माह के अंदर फिर से आयोग का पुनर्गठन करना अनिवार्य होगा

आयोगों के विघटन के बाद इनके कामकाज के पुनर्गठन के लिए अपनाए जाने वाले उपायों के संबंध में सुझाव देने के लिए विशेषज्ञों की एक समिति गठित होगी। समिति सरकार को महीने भर में प्रतिवेदन देगी। सरकार विशेषज्ञों की समिति की अनुशंसाओं को आवश्यक संशोधनों के साथ स्वीकार कर सकेगी। अनुशंसा प्रतिवेदन मिलने के उपरांत राज्य सरकार को अधिकतम दो माह के अंदर अधिनियम की धारा तीन के अंतर्गत आयोग का पुनर्गठन करना अनिवार्य होगा।

आयोग का विहित कार्यकाल होते हुए भी राज्य सरकार के पास किसी भी समय इन्हें भंग करने की शक्ति होगी। बाल श्रमिक आयोग संशोधन विधेयक 2024 का प्रस्ताव श्रम मंत्री विजय कुमार सिन्हा, अल्पसंख्यक आयोग संशोधन विधेयक 2024 का प्रस्ताव प्रभारी मंत्री बिजेंद्र प्रसाद यादव और महिला आयोग संशोधन विधेयक प्रभारी मंत्री श्रवण कुमार ने रखा।

इन मंत्रियों की मांंग हुई खारिज

इससे पहले अजीत शर्मा, अख्तरूल इमान, समीर कुमार महासेठ, अजय कुमार सिंह सहित अन्य सदस्यों ने विधेयक पर जनमत जानने या प्रवर समिति गठित कर रिपोर्ट लिये जाने के बाद ही संशोधन किए जाने का प्रस्ताव रखा, जिसे अस्वीकृत कर दिया गया।