सिख धर्म के सबसे पवित्र त्योहारों में से एक है गुरु नानक जयंती, जाने इसका इतिहास और महत्व

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गुरु नानक जयंती, सिख धर्म में बहुत धार्मिक महत्व रखता है। सिख धर्म के अनुयायी इसे बहुत उत्साह और उमंग के साथ मनाते है। सिख धर्म के पहले गुरु माने-जाने वाले गुरु नानक देव का जन्म कार्तिक पूर्णिमा के दिन हुआ था। इस पर्व को प्रकाश गुरु पर्व या प्रकाश पर्व के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन गुरुद्वारे में कई तरह के धार्मिक आयोजन भी होते हैं।

गुरु नानक जयंती 2023 तिथि

हिंदू महीने कार्तिक के पंद्रहवें चंद्र दिवस पर, या कार्तिक पूर्णिमा, जैसा कि ग्रेगोरियन कैलेंडर में जाना जाता है, लोग त्योहार मनाते हैं। हिंदू कैलेंडर के अनुसार, यह नवंबर के महीने में होता है। इस वर्ष, यह शुभ त्योहार दुनिया भर के सिखों द्वारा अत्यंत प्रेम और श्रद्धा के साथ सोमवार, 27 नवंबर को मनाया जाएगा। इसे गुरु नानक देव जी के 554वें जन्मदिन के रूप में मनाया जाएगा।

गुरु नानक जयंती का इतिहास

गुरु नानक साहिब सिख धर्म के पहले गुरु माने गए हैं। गुरु नानक देव जी ने जीवन भर मानव और एक ईश्वर की प्रार्थना का संदेश दिया था। ऐसी मान्यता है कि गुरु नानक सिख धर्म के पहले गुरु हैं। 15 अप्रैल 1469 को गुरु नानक देव का जन्म तलवंडी ननकाना साहिब में हुआ था। इसी कारण से नानक नाम से पता चलता है। यहां ननकाना साहिब नाम से गुरु हैं।कहा जाता है कि गुरु नानक देव ने ही सिख समाज की नींव रखी थी। इसलिए उन्हें संस्थापक कहा जाता है।

इनका विवाह 16 वर्ष की आयु में ही हो गया था। इनके दो पुत्र श्रीचंद और लक्ष्मीचंद थे। पुत्र के जन्म के बाद गुरु नानक देव अपने साथियों के साथ तीर्थयात्रा पर निकल पड़े। उन्होंने अपने जीवन का अधिकांश भाग यात्रा के दौरान त्याग दिया और तीर्थयात्रा के लिए प्रस्थान किया। ये पवित्र स्थान पाकिस्तान में है। नानक देव ने भारत, फारस, अफगानिस्तान, अरब सहित कई देशों की यात्राएं कीं। इन किताबों को पंजाबी में ‘उदासियां’ कहते हैं।