मेंढकों की शादी बारिश के भगवान को खुश करने का एक तरीका है जिसमें दो मेंढकों की शादी बिल्कुल उसी तरह की जाती है जैसे किसी हिंदू शादी में होती है। भारत के अलग-अलग हिस्सों में ये अलग-अलग रूप धारण करते हैं और अलग-अलग नामों से जाने जाते हैं। जब भी बारिश का मौसम आता है तो हर जगह के लोगों की मांग होती है कि बारिश हो जाए।फिर जब लंबे समय तक बारिश नहीं होती है, इसके लिए किसान और ग्रामीण भारत के लोग कई अलग अलग तरीकों से बारिश करवाने के लिए टोटके करते हैं।
बारिश के लिए जो दो मेंढ़क की शादी करवाई जाती है, ये शादी इंसानों की शादी से ज्यादा अलग नहीं होती है। इस शादी में भी कई तरह की रस्मों को पालन किया जाता है, जैसा इंसान की शादी में होता है। मेंढकों को माला पहनाई जाती है, मंत्र बोले जाते हैं। आम शादियों की तरह शादी की सजावट भी जाती है और नाच-गाना भी होता है। मेहमानों के लिए भोज का इंतजाम भी होता है। फिर शादी होती है।
आपको ये जानकार हैरानी होगी कि मेंढ़क, अपनी होने वाली पत्नी की शादी की मांग में सिंदूर भी भरता है। इस शादी को देखकर आपको इंसान की शादी की अनुभूति होगी। परंपराओं के अनुसार, एक बार शादी होने के बाद उन जोड़े को नदी या तालाब में छोड़ दिया जाता है। इसके बाद इस शादी को पूरा माना जाता है। कहा जाता है कि अगर ऐसा हो जाए तो उस इलाके में बारिश होती है। बात यहीं पर खत्म नहीं होती है ,इसके बाद इनका तलाक भी करवाया जाता है। मान्यताओं के हिसाब से होता क्या है कि मेंढ़क की शादी करवाने के बाद बारिश हो जाती है। तो जब मेंढ़क का तलाक होता है तो बारिश भी रुक जाती है।