चन्द्रमा तो रोज निकलता है लेकिन शुक्रवार का चाँद (Friday Moon) कुछ खास था। जिस किसी ने भी चन्द्रमा को देखा बस वह देखता ही रहा गया। चंद्र और शुक्र की इस युति ने तो जैसे सभी का मन मोह ही लिया। यूं तो तीसरे नवरात्र पर मां चंद्रघंटा की पूजा होती है। लेकिन आसमान में चाँद को देखकर ऐसा प्रतीत हो रहा था जैसे माँ चंद्र घंटा स्वयं दर्शन दे रही हो।
चाँद अपनी विशेष कला या कहें तो अपनी दूसरी कला से दूज का चाँद यानी द्वितिया तिथि का चांद अपने निखार पर होता है। आपको बता दें कि इसकी खूबसूरती देखते ही बनती है। हालांकि चांद के दिखने का समय काफी कम होता है। इसका मनमोहक दृश्य आसमान पर छाया रहता है।
आस्था की डुबकी में माँ चंद्र घंटा के दर्शन
शुक्रवार शाम 6 बजे से ही इस अद्भुत नजारे को लोग अपनी आंखों से निहार मोहित हो रहे थे और मां चंद्रघंटा के दर्शन को दिल में बसा रहे थे। लोग इस अद्भुत खगोलीय घटना को अपने मोबाइल के कैमरों में कैद करते नजर आये। लोग इस खगोलीय घटना को ईश्वर के चमत्कार से जोड़ रहे थे और अपनी आस्था की डुबकी लगते हुए मां के इस चमात्कार के सामने सिर झुका रहे थे। उस समय आसमान में चंद्रमा के ठीक नीचे शुक्र ग्रह चमक रहा था।
इस दिन के चाँद है विशेष महत्व
ज्योतषियो द्वारा इस दिन के चांद का विशेष महत्व बताया गया है। अमावस्या के दूसरे दिन यानी शुक्लपक्ष की द्वितिया तिथि को निकलने वाला यह चांद भले ही थोड़ी देर के लिए दिखाई दे, लेकिन इसे निरोगी काया का जनक माना जाता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इस चंद्र की पूजा करने से शारीरिक परेशानियों से मुक्ति मिलती है साथ ही सुख, समृद्धि और सौभाग्य में भी वृद्धि होती है।
बाबा के मस्तक पर अर्धचंद्र
इस दिन चंद्रमा और सूर्य दोनों एक क्षितिज पर होते हैं और दोनों के बीच का अंतर 13 से 24 डिग्री के बीच का होता है। सूर्यास्त के बाद कुछ समय के लिए चंद्र का दर्शन संभव हो पाता है। ऐसे में आज आसमान में द्वितिया तिथि के दिन एक विशेष खगोलीय घटना देखने को मिली। जहां चंद्रमा के साथ शुक्र ग्रह का भी नजारा लोगों को देखने को मिला। ऐसे में बाबा बैद्यनाथ धाम, झारखंड से आई तस्वीर ने सबका मन मोह लिया। इस दूज के चांद के साथ शुक्र ग्रह का नजारा मंदिर के शिखर पर बाबा के मस्तक पर अर्धचंद्र जैसा प्रतीत हो रहा था।