वरिष्ठ अधिवक्ता और पूर्व कानून मंत्री शांति भूषण (Shanti Bhushan) का मंगलवार को 97 वर्ष की आयु में निधन हो गया है। वो काफी दिनों से बीमार चल रहे थे। उन्होंने दिल्ली स्थित अपने आवास पर अंतिम सांस ली।
शांति भूषण (Shanti Bhushan) ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय में एक मामले में राजनारायण का प्रतिनिधित्व किया। जिसके परिणामस्वरूप तत्कालीन प्रधान मंत्री इंदिरा गांधी की हार हुई थी।
राम मनोहर लोहिया की एसएसपी के नेता राज नारायण रायबरेली लोकसभा सीट इंदिरा गांधी से हार गए थे। जिसके बाद उन्होंने भ्रष्ट चुनावी प्रथाओं का हवाला देते हुए इंदिरा गांधी के चुनाव को रद्द करने की अपील दायर की थी। शांति भूषण इस मामले के वकील थे।
बाद में उन्होंने 1977 से 1979 तक मोरारजी देसाई सरकार में कानून मंत्री के रूप में कार्य किया। उनके पुत्र, प्रशांत भूषण, एक वकील और एक कार्यकर्ता हैं। उनके निधन पर पीएम मोदी ने भी दुख जताया है।
शांति भूषण (Shanti Bhushan) ने मोरारजी देसाई के मंत्रालय में 1977 से 1979 तक भारत के कानून मंत्री के रूप में कार्य किया था। वो जुलाई 1977 से अप्रैल 1980 में राज्यसभा सदस्य भी रहे थे। शांति भूषण कांग्रेस (ओ) और बाद में जनता पार्टी के सदस्य थे, और अपने राजनीतिक जीवन के दौरान राज्यसभा सांसद भी थे। उनका भाजपा के साथ छह साल का कार्यकाल भी रहा।
उन्होंने कई जनहित मामलों को उठाया। इसके अलावा वो भ्रष्टाचार के मुद्दों पर काफी मुखर थे। वो अपने बेटे प्रशांत भूषण के साथ अन्ना आंदोलन में भी शामिल हुए थे, जिस कारण उनका आम आदमी पार्टी (AAP) से भी लगाव था। लेकिन वह कभी भी पार्टी में नहीं थे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जताया दुःख
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी शांति भूषण (Shanti Bhushan) के निधन पर शोक व्यक्त किया है। उन्होंने ट्वीट कर कहा कि शांति भूषण को कानूनी क्षेत्र में उनके योगदान और वंचितों के लिए बोलने के जुनून के लिए याद किया जाएगा। उनके निधन से दुख हुआ है। उनके परिवार के प्रति संवेदनाएं। ओम शांति।