जोशीमठ में जमीन दरकने पर पहला फैसला

जोशीमठ में जमीन धंसने के चलते असुरक्षित हो चुके भवनों को गिराने का अभियान आज मंगलवार से शुरू किया जा रहा है।

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आज से उत्तराखंड में स्थित जोशीमठ (Joshimath) को बचाने का अंतिम प्रयास किया जाएगा। राज्य सरकार की सर्वे रिपोर्ट के बाद आज जोशीमठ में प्रशासन का पहला आधिकारिक कदम होगा। जोशीमठ (Joshimath) में जमीन धंसने से खतरनाक हो चुके ढांचों को गिराने की पहल आज से शुरू हो गई है। जोशीमठ (Joshimath) के दो होटलों, “होटल मलारी” और “माउंट व्यू” को आज गिरा दिया जाएगा। सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट (CBRI) की टीम की निगारानी में दोनों होटल को हटाने का काम शुरू किया जाएगा। जो आज सुबह 10 बजे शुरू होगी। कल मुख्य सचिव की बैठक में होटलों को हटाने का फैसला लिया गया था।

सबसे पहले ‘होटल मलारी इन’ तोड़ा जाएगा। केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान रुड़की के विशेषज्ञों की टीम के निर्देशन और एनडीआरएफ, एसडीआरएफ की मौजूदगी में होटल को तोड़ने की कार्रवाई होगी। इस दौरान 60 मजदूरों के साथ ही 2 जेसीबी, 1 बड़ी क्रेन और 2 टिप्पर ट्रक मौजूद रहेंगे। वहीं, गिराए जाने वाले असुरक्षित भवनों पर लाल निशान लगा दिए गए हैं।

जमीन धंसने से प्रभावित मकानों की संख्या 678

जोशीमठ (Joshimath) में सोमवार को 68 और घरों में दरार देखी गई, जिसके बाद जमीन धंसने से प्रभावित मकानों की संख्या 678 हो गई है। वहीं, 27 और परिवारों को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया गया है। इसमें कहा गया कि अब तक 82 परिवारों को कस्बे में सुरक्षित स्थानों पर भेजा गया है। राज्य के मुख्य सचिव एस एस संधू ने जोशीमठ (Joshimath) में हालात की समीक्षा के लिए राज्य सचिवालय के अधिकारियों के साथ बैठक की और उनसे लोगों को घरों से निकालने के काम में तेजी लाने को कहा, ताकि वे सुरक्षित रहें। उन्होंने कहा, “एक-एक मिनट महत्वपूर्ण है।”

असुरक्षित 200 से अधिक घरों पर लाल निशान

जिला प्रशासन ने असुरक्षित 200 से अधिक घरों पर लाल निशान लगा दिया है। उसने इन घरों में रहने वाले लोगों को या तो अस्थायी राहत केंद्रों में जाने या किराये के घर में शिफ्ट होने को कहा है। इसके लिए प्रत्येक परिवार को अगले छह महीने तक राज्य सरकार से 4000 रुपये मासिक सहायता मिलेगी। राष्ट्रीय आपदा मोचन बल और राज्य आपदा मोचन बल के कर्मियों को राहत और बचाव प्रयासों के लिए तैनात किया गया है।

जोशीमठ (Joshimath) में 16 स्थानों पर प्रभावित लोगों के लिए अस्थायी राहत केंद्र बनाए गए हैं। इनके अलावा, जोशीमठ में 19 होटलों, अतिथि गृहों और स्कूल भवनों को और शहर से बाहर पीपलकोटी में 20 ऐसे भवनों को प्रभावित लोगों के लिए चिह्नित किया गया है।