कौशाम्बी: चायल तहसील क्षेत्र के भरवारी और उसके आसपास की शत्रु संपत्तियों के अभिलेखो में बड़ी हेराफेरी कर दुश्मन देश के लोगों को लाभ पहुंचाने का प्रयास अधिकारियों के सहयोग से किया जा रहा है। शत्रु संपत्तियां बेचकर करोड़ अरबो के धन एकत्रित कर पाकिस्तान (Pakistan) पहुचाए जा रहे हैं लेकिन राजस्व प्रशासन मूकदर्शक बना तमाशा देख रहा है। देखते देखते भरवारी में करोड़ों की शत्रु संपत्ति बिक चुकी है।
गौर तलब है कि भारत देश की आजादी के बाद भरवारी कस्बा और उसके आसपास के तमाम लोगो का प्रेम दुश्मन देश पाकिस्तान (Pakistan) से जागा और वह भरवारी छोड़कर के दुश्मन देश पाकिस्तान (Pakistan) में बस गए। उनकी संपत्तियों में शत्रु संपत्ति लिखकर शत्रु संपत्ति घोषित की गई थी या फिर शत्रु संपत्ति ना लिखने में राजस्व विभाग ने बड़ा खेल किया है। दुश्मन देश में बसने वाले लोग अब वापस लौटकर यहां शत्रु संपत्तियों को बेच रहे हैं और करोड़ों की दौलत लेकर पाकिस्तान की मदद कर रहे हैं। इन्ही गोपनीय धन को गलत कार्यों में लगा करके देश के लोगों को परेशान कर रहे हैं। आतंकवाद भी पनपने के पीछे ऐसे लोगों का हाथ है।
पाकिस्तान चले जाने वाले लोगों को चिन्हित कर उनकी संपत्तियों को शत्रु संपत्ति घोषित कर बिक्री किए जाने पर रोक लगाए जाने की मांग इलाके के लोगों ने की है। साथ-साथ शत्रु संपत्तियां जो बिक गई हैं, उसकी जांच कर शत्रु संपत्ति बेचने खरीदने वालों पर मुकदमा दर्ज कराए जाने उनकी गिरफ्तारी कराए जाने और शत्रु संपत्ति को वापस सरकार के कब्जे में दिलाए जाने की मांग लोगों ने की है।
स्थानीय लोगों की माने तो आजादी के बाद दो दर्जन से अधिक लोग भरवारी छोड़कर पाकिस्तान जाकर बस चुके हैं और पाकिस्तान बसने वाले लोगों के पास भरवारी और उसके पास सैकड़ो हेक्टेयर से अधिक भूमि राजस्व अभिलेखों में दर्ज थी जो धीरे-धीरे बिक रही है। भरवारी छोड़कर जाने वालों का शत्रु देश से अधिक लगाव है लेकिन उनकी संपत्तियों को शत्रु संपत्ति घोषित करने में तहसील प्रशासन ने बड़ी हेरा फेरी कब की है? तहसील प्रशासन के कारनामों की जांच कराकर इन्हें बर्खास्त किए जाने की जरूरत है। इन अफसरों के संपर्क शत्रु देश में बसने वाले लोगों से हैं और परदे की ओट से शत्रु देश पाकिस्तान की मदद करने में अफसर लगे हैं।