काशी में की जाएगी ग्यारह लाख शिवलिंग की स्थापना

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Kashi

Kashi: स्वामी अविमुक्तेश्वरानन्द सरस्वती के आह्वान पर पूरे देश में आदि विश्वेश्वर की डोली रथ यात्रा निकलेंगी। ग्यारह लाख शिव लिंग की स्थापना होगी। हर गाँव व मोहल्ले से ग्यारह लाख शिवलिंग आएंगे। राष्ट्रीय प्रभारी शैलेन्द्र योगीराज सरकार व पूज्यपाद शंकराचार्य के मीडिया प्रभारी ने कहा कि आदिविश्वेश्वर प्रतीक पूजा एवं ग्यारह लाख शिवलिंग की स्थापना काशी (Kashi) में की जाएगी।

शैलेन्द्र योगीराज सरकार, संजय पाण्डेय व ग्रीष चन्द्र तिवारी ने संयुक्त रूप से बताया कि यह आदि विश्वेश्वरा यात्रा प्रतापगढ़ से चलकर काशी पहुँची है। बहुत जल्द ही काशी (Kashi) में भी यह डोली रथ यात्रा भ्रमण करेंगी। आदि विशेश्वर की डोली रथयात्रा भारत के सात लाख गांवों व चार लाख मुहल्लों में निकाल कर सनातनधर्मियों से एक एक शिवलिंग प्रदान करने की अपील की जाएगी।

आपको बता दें कि जगदगुरु शंकराचार्य महाराज ने काशी (Kashi) से प्रस्थान करने से पूर्व शंकराचार्य घाट स्थित श्रीविद्यामठ में स्फटिक के शिवलिंग पर प्रकट की प्रतीक पूजा के उपरांत उपस्थित सन्तों, भक्तों व देश के सनातनधर्मियों को एक संदेश जारी करते हुए कहा था कि आदि विशेश्वर का प्रकट हुए एक वर्ष से अधिक समय बीत गया है, लेकिन अभी तक उनके पूजन, राग भोग की व्यवस्था सुनिश्चित नहीं की है। सभी सनातन धर्मियों ने आदि विशेश्वर की प्रतीक पूजा की है। उन सभी से एक एक शिवलिंग काशी आकर देने की अपील करते हैं और उन 11 लाख शिवलिंगों को काशी स्थापित कर उनकी प्रतीक पूजा की जायेगी।

ज्ञात है कि पिछले साल आदि विशेश्वर के प्रकट होने पर ब्रम्हलीन द्वयपीठाधीश्वर जगदगुरु शंकराचार्य जी महाराज के आदेश पर वर्तमान शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती जी महाराज आदि विशेश्वर शिवलिंग की पूजा करने जा रहे थे, जिन्हें प्रशासन ने रोक दिया था। जिससे क्षुब्ध होकर पूज्यपाद शंकराचार्य जी महाराज भीषण गर्मी में काशी स्थित विद्यामठ में निर्जल तपस्या पर बैठ गए थे। अपनी तपस्या पर अडिग होकर 108 घण्टे तक बैठे रहे। उनका स्वास्थ जब अत्यधिक बिगड़ने लगा तो और इसकी जानकारी ब्रम्हलीन शंकराचार्य स्वरूपानंद जी महाराज को हुई तो उन्होंने वर्तमान शंकराचार्य स्वामिश्री द सरस्वती जी महाराज को आदेश दिया कि तुम अपनी तपस्या समाप्त करो और प्रकट हुए आदि विशेश्वर की प्रतीक पूजा करो। गुरु आज्ञा को मानकर वर्तमान ज्योतिष्पीठाधीश्वर जी महाराज ने अपनी तपस्या समाप्त कर दी और देश वासियों से उनके नजदीक स्थित शिवलिंग पर आदि विशेश्वर की प्रतीक पूजा करने की अपील की। जिसके बाद पूरे देश में 11 लाख से अधिक सनातनधर्मियों ने प्रतीक पूजा की और सम्बंधित छायाचित्र व चलचित्र पूज्यपाद महाराज जी के पास भेजा।