Banda: आपको बता दें कि बांदा में भाई दूज के पर्व पर एक गाय व सुअर को लाकर पूजा अर्चना करने की परंपरा है, जिसमे एक गाय अपने बछड़े को बचाने के लिए तीन बार सूअर को मारती हैं। इसके बाद बुंदेली नृत्य दिवारी (Diwari dance) करते हुए, शौर्य और वीरता का प्रतीक बुंदेलखंड की दिवारी नृत्य (Diwari dance) का भव्य आयोजन किया जाता है। जिसमे दूर दराज के गावों से आए लोग भाग लेने के साथ ही दिवारी नृत्य का आनंद भी लेते है।
बताया जाता है कि बुंदेलखंड में भगवान श्रीकृष्ण के साथ गाय चराने वाले ग्वाल-बालों ने इसकी शुरुआत की थी। गोवंश के खो जाने से श्रीकृष्ण रुठकर मौन हुए थे। तभी से ग्वालों ने मौन धारण करने की परंपरा शुरू की थी। इसी मान्यता के अनुरूप श्रीकृष्ण के भक्त मौन व्रत रखकर दिवाली के एक दिन बाद सात गांवों की परिक्रमा लगाते है।