इस बार देवउठनी एकादशी कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि 22 नवंबर को देर रात 11 बजकर 03 मिनट से शुरू होगी और 23 नवंबर को 09 बजकर 01 मिनट पर समाप्त होगी। सनातन धर्म में उदया तिथि मान है। अतः 23 नवंबर को देवउठनी एकादशी का व्रत रखा जाएगा। इस दिन हिंदु धर्म में भगवान विष्णु जी के लिए व्रत रखा जाता है। क्योंकि वो चार महीने की नींद के बाद जागते हैं। देवोत्थान एकादशी के साथ-साथ इसी दिन भगवान विष्णु के पत्थर रूप शालिग्राम का तुलसी से विवाह किया जाता है।
देव उठनी एकादशी के लिए विष्णु भक्त ब्रह्म मुहूर्त में स्नान कर सूर्य को अर्घ्य देते हुए व्रत का संकप्ल लेते हैं।विष्णु जी को पूजा में बेल पत्र, शमी पत्र और तुलसी चढ़ाई जाती है। वहीं, कुछ भक्त देव उठनी एकादशी की रात सोते नहीं बल्कि देवों को उठाने के लिए रात-भर भजन-कीर्तन करते हैं। यहां जानिए कि आखिर क्यों भगवान विष्णु चार महीनों के लिए सोते हैं?
क्यों चार महीने सोते हैं विष्णु जी ?
पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान विष्णु असुरों का नाश करने तो कभी भक्तों पर कृपा बरसाने के लिए वर्षों सोते नहीं थे। तो कभी अचानक ही वो लाखों वर्षों के लिए सो जाया करते थे। विष्णु जी की इस असमय नींद की वजह से माता लक्ष्मी विश्राम नहीं कर पाती थीं। इसीलिए मां लक्ष्मी ने एक बार विष्णु जी से कहा, हे नाथ! आप समय से नींद नहीं लेते, दिन-रात जागते हैं और फिर कभी अचानक सो जाते हैं। आप नियम से प्रतिवर्ष निद्रा लिया करें। ऐसा करके मुझे भी विश्राम करने का समय मिल जाएगा।
इस बात को सुन विष्णु जी मुस्कुराए और बोले, हे देवी! आपने ठीक कहा। मेरे जागने से आप ही नहीं बल्कि सभी देवों को भी कष्ट हो जाता है। मेरी सेवा के कारण आपको भी आराम नहीं मिल पाता। इसीलिए अब से मैं प्रतिवर्ष नियम से चार माह की निद्रा लूंगा। ऐसे आपको और सभी देवगणों को विश्राम का अवसर मिल सकेगा।
इस कथा के अनुसार, आषाढ़ शुक्ल पक्ष की देवशयनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु चार महीनों के लिए सोते हैं और कार्तिक मास की देवउठनी एकादशी के दिन जागते हैं। देव उठनी एकादशी के बाद सभी शुभ कार्यों की शुरुआत होती है। हिंदू धर्म में इसी दिन के बाद शादियां शुरू हो जाती हैं।