बीते कई दिनों से भू -धंसाव के कारण जोशीमठ (Demolition in Joshimath) के लोग इन परेशानियों से जूझ रहे है| वही आज शुक्रवार की सुबह जोशीमठ (joshimath) में पहली बर्फबारी हुई है। इस भारी बर्फबारी ने जोशीमठ के बाशिंदों की दहशत बढ़ा दी है।
बर्फबारी के कारण खतरनाक घरों को गिराने का कार्य शुक्रवार को रोक दिया गया है। मौसम विभाग ने 23 और 24 जनवरी को भी जोशीमठ, चमोली और पिथौरागढ़ में बारिश और बर्फबारी होने की उम्मीद जताई है|
जोशीमठ में घरो को गिराने का काम रुका
- उधर राष्ट्रीय जल विज्ञान संस्थान (National Institute of Hydrology) की प्राइमरी टेस्ट रिपोर्ट में कहा गया है कि, उत्तराखंड में भू-धंसाव से प्रभावित जोशीमठ (Demolition in Joshimath) की जेपी कॉलोनी की दरारों से निकलने वाला पानी तपोवन की NTPC की सुरंग के पानी से अलग है। आज जोशीमठ (joshimath) में बारिश और बर्फबारी के कारण होटल और खतरनाक घरों को गिराने का कार्य रोक दिया गया है। डिजास्टर मैनेजमेंट सेक्रेटरी डॉ. रंजीत कुमार सिन्हा के अनुसार, पिछले 3 दिनों से दरार में कोई बढ़ोतरी नहीं हुई है। जेपी कॉलोनी के पास एक भूमिगत चैनल से पानी का डिस्चार्ज फिर से बढ़कर 150 लीटर प्रति मिनट हो गया है। 849 घरों में दरारें रिकॉर्ड हुई हैं, जबकि 259 प्रभावित परिवारों को अस्थायी राहत केंद्रों में भेज दिया गया है।
जोशीमठ के धंसने का कारण NTPC की तपोवन-विष्णुगढ़ को बताया गया है
आपदा प्रबंधन सचिव रंजीत कुमार सिन्हा ने दोनों जगहों के पानी के नमूनों का अध्ययन करने वाली प्राइमरी रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि, उनके प्रोफाइल अलग-अलग हैं। उन्होंने कहा कि, “हालांकि, यह केवल एक प्राइमरी रिपोर्ट है जिसका कोई निष्कर्ष नहीं निकाला जाना चाहिए।”
राष्ट्रीय जल विज्ञान संस्थान की यह रिपोर्ट इसलिए भी मायने रखती है, क्योंकि जोशीमठ (joshimath) के धंसने के कारण NTPC की तपोवन-विष्णुगढ़ पनबिजली परियोजना को बताया गया था। आरोप ये भी था कि, 2 जनवरी को प्रोजेक्ट का भूमिगत चैनल फट गया, जिससे लगातार पानी बहता रहा है।
849 इमारतों में हो चुकी है दरारें
बता दे कि, उत्तराखंड के जोशीमठ में जमीन धंसने (Demolition in Joshimath) से झुकी इमारतों को गिराने का कार्य इन दिनों चल रहा है| आज JCB की सहायता से PWD गेस्ट हाउस को गिराया गया। इस इलाके में अब तक 849 इमारतों में दरारें आ गई हैं।
जिस वजह से वहाँ के लोग डरे और सहमे हुए है| वही कई लोग अपने घरो को छोड़कर दूसरी जगह स्थानांतरित हो चुके है| उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर धामी का कहना है कि, जोशीमठ में 65 से 70 प्रतिशत लोगो का जीवन सामान्य चल रहा है|