Delhi: जल बोर्ड के बिल में 20 करोड़ का घोटाला

3 गिरफ्तार, बिल कलेक्शन के लिए दिल्ली जल बोर्ड के अलग-अलग दफ्तरों में ऑटोमेटिक बिल कलेक्शन मशीन लगाने का काम कॉरपोरेशन बैंक को दिया गया था।

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Delhi: 20 करोड़ रुपये के दिल्ली जल बोर्ड (water-board) मामले में भ्रष्टाचार निरोधक शाखा ने सोमवार को 3 गिरफ्तारियां कीं। ठेका खत्म होने के बाद भी इन तीनों आरोपियों को भुगतान मिल रहा था। और्रम ई-पेमेंट के मालिक और निदेशक राजेंद्रन नायर हिरासत में लिए गए संदिग्धों में से एक हैं। नायर के पास रूस का पासपोर्ट है। मूलरूप से वह केरल में रहता है। आरोपी दो नंबर गोपी कुमार केडिया है। उन्होंने कंपनी के मुख्य वित्तीय अधिकारी के रूप में कार्य किया। फ्रेशपे आईटी समाधान के निदेशक के साथ-साथ ऑरम ई-पेमेंट के अतिरिक्त निदेशक के रूप में काम करने वाले डॉ. अभिलाष वासुकुट्टन पिल्लई को भी हिरासत में लिया गया है।

दोनों कंपनियों में रतन सिंह नाम का शख्स डायरेक्टर दिखाया गया है, लेकिन जाँच में पता चला कि वो पेशे से ड्राइवर है। एंट्री करप्शन ब्रांच को उसके रूस में होने का शक है। फ्रेशपे आईटी समाधान की 3 और सिस्टर कंपनियां विदेश में है। इनके अकाउंट में भी रकम भेजी गई है।

एसीबी के ज्वॉइंट कमिश्नर मधुर वर्मा के मुताबिक, कलेक्शन के लिए दिल्ली जल बोर्ड (water-board) के अलग-अलग दफ्तरों में ऑटोमेटिक बिल कलेक्शन मशीन लगाने का काम कॉरपोरेशन बैंक को दिया गया था। कॉरपोरेशन बैंक ने फिर ये काम फ्रेशपे आईटी समाधान को दिया। बाद में फ्रेशपे आईटी समाधान ने ये काम और्रम ई-पेमेंट को दिया।

दिल्ली जल बोर्ड के विजिलेंस डिपार्टमेंट ने की जाँच

ये कॉन्ट्रेक्ट 2012 से 10 अक्टूबर 2019 तक था। लेकिन और्रम ई-पेमेंट मार्च 2021 तक पेमेंट कलेक्ट करती रही। शुरुआत में इसकी जाँच दिल्ली जल बोर्ड के (water-board) विजिलेंस डिपार्टमेंट ने की। विजिलेंस डिपार्टमेंट ने पाया की 20 करोड़ रुपये की हेराफेरी हुई है। इस हेरफेरी में बैंक के अधिकारियों के अलावा कुछ दलाल और दिल्ली जल बोर्ड के अधिकारी शामिल है।

इसके बाद 12 नवंबर 2022 को एंटी करप्शन ब्रांच ने केस दर्ज किया। जाँच में पता चला कि दिल्ली के अलग-अलग जल बोर्ड के दफ्तरों से कैश कलेक्ट कर कनॉट प्लेस के ऑफिस लाया जाता था। इसके बाद इकठ्ठे किए पैसे से हेराफेरी कर कुछ पैसे निकालकर अपने खाते में जमा कर देते है। बाकी पैसा दिल्ली जल बोर्ड को ट्रांसफर करते थे।

दिल्ली जल बोर्ड के अधिकारियों के हर रोज कलेक्ट किए गए अमाउंट और जल बोर्ड को भेजे गए अमाउंट का मिलान करना था, लेकिन सबकी मिलीभगत के चलते ऐसा नहीं किया गया। पूरी पेमेंट न होने के बाद भी दिल्ली जल बोर्ड के अफसर और्रम ई-पेमेंट का कॉन्ट्रेक्ट समय समय पर बढ़ाते रहे। इस मामले में बैंक के अधिकारियों और दिल्ली जल बोर्ड के अधिकारियों की भूमिका की जाँच चल रही है।