जो नहीं किया उसे करने की हिम्मत करो

एडवोकेट ममता शर्मा बीए.एलएल.बी., एलएल.एम., पीएचडी (लाॅ) रिसर्च स्कॉलर, इंडियन एंड वर्ल्ड रिकॉर्ड होल्डर, एजुकेशनिस्ट, सोशलिस्टलिस्ट, लाॅ एक्सपर्ट, लेखक, स्पीकर, करियर काउंसलर, लाइफ कोच

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वह काम करने योग्य है जिस काम को करने की हमारी हिम्मत नहीं होती, हम में साहस नहीं होता। सफल होने का उत्कृष्ट मुश्किल और खतरनाक जरिया है। हमें अपने जीवन में वह भाषा बोलना सीखना आना चाहिए, जिसे स्त्रियां अपने जीवन में तब बोलती हैं, जब उनकी गलती निकालने वाला कोई नहीं होता। वैसे ही एक पुस्तक लिखने योग्य तभी है जिसे लिखने का किसी में साहस नहीं है। जो पुस्तक लिख रहे होते हैं, वह आहत करती है, शर्मिंदा करती है, हमें जगाती है, हमारा खून खोलाती है। जिन दीवारों को हम खामोश समझते हैं, उनमें भी बहुत सारे गुप्त रास्ते होते हैं। क्यों नहीं हम अपने अंदर की झूठी स्त्री को मार देते, जो जीवित स्त्री को सांस लेने से रोकती है? उस प्यार से बढ़कर कोई प्यार नहीं है जिसे भेड़िया भेड़ के उस बच्चे के लिए महसूस करता है, जिसे वह खाता नहीं है। हमें चीजों को आपस में मिलाकर उन्हें फिर से जीवित करने की ताकत आनी चाहिए। हम जो देखते हैं, खोजते हैं और आरोप लगाते हैं। हमें उड़ना चाहिए, करना चाहिए, कूदना चाहिए, उतरना चाहिए, प्यार करना आना चाहिए। जिसे अब तक नहीं देखा उस से प्रेम करो। किसी से भी प्रेम मत करो, तुम जिसके हो तुम जिसके होंगे। अपने आपको खुला छोड़ दो, जो सामने आपके झूठ है, उसे अपने सामने से हटा दो और जो आज तक नहीं किया उसे करने की हिम्मत करो। वही करने में जो आनंद, जो खुशी, जो अनुभूति, तुम्हें मिलेगी, जो प्रसंता तुम्हें मिलेगी, अतुलनीय होगी। डर लगने पर उस जगह जरूर जाओ, जिस जगह जाने पर तुम्हें डर लगता है। अपने आप को आगे बढ़ने से मत रोको और अगर तुम ऐसा करोगे तो समझना की तुम सही रास्ते पर हो। जीवन का हर मोड़ हमें कुछ ना कुछ सिखाता है। हर परिस्थितियां हमें कुछ ना कुछ सिखाती है। इसलिए हमेशा निडर होकर उन परिस्थितियों का सामना करें और आगे बढ़ने की हिम्मत करें। हमारे जीवन में खुशियां उन चमकदार ओस की बूंदों की तरह अनंत होती है। उस नेत्र हीन प्राणी से पूछिए जिसने कभी इंद्रधनुष को नहीं देखा किंतु उसकी सुंदरता के बारे में जब उसे बताया गया तो उसकी सुंदरता को वह हमेशा अधूरा और टूटा फूटा ही जान पाएगा। जो आसमान पर कभी पूर्ण आकार में प्रकट नहीं होता यही बात उन सभी चीजों के बारे में भी सही होती है, जिन्हें हम पृथ्वी पर रहने वाले लोग नहीं जानते हैं। जिस तरह से उस सतरंगी इंद्रधनुष का वृतांत खंडित होता है। उसी तरह से यह जीवन भी अधूरा है। हम में से हर एक के लिए टूटा-फूटा है। पृथ्वी पर टूटे हुए कण की तरह हम उसे तब तक नहीं समझ पाएंगे, जब तक हम अपने जीवन में उस शून्य से अनंत की ओर नहीं बढ़ेंगे। अगर जीवन में सुख का एक द्वार बंद होने पर दूसरा खुल जाए। लेकिन कई बार हम बंद दरवाजे की तरफ इतनी देर तक ताकते रहते हैं की जो हमारे द्वारा हमारे लिए खोल दिया गया है, उसे देख ही देख ही नहीं पाते। हमारे जीवन में आनंद और स्वार्थ-सिद्धि से वह कभी नहीं मिलता है। बल्कि वह हमारे जीवन में किसी समुचित उद्देश्य के प्रति ही अगर हम वफादार होते हैं तभी मिलता है। हमारे जीवन में निश्चिंता और बेफिक्री कल्पना मात्र है। जीवन अगर हमारा सहज है, हिम्मत से भरा हुआ है, तो कुछ नहीं होगा। जो लोग खुशी की तलाश में हमेशा इधर-उधर घूमते रहते हैं। अगर वह क्षण भर के लिए रुके तो समझ जाएंगे कि जीवन में सचमुच खुशियां अपार हैं, अनगिनत है। जिस तरह से एक ओस की चमकदार बूंद अनंत होती है। उसी तरह से हम अपनी कल्पना शक्ति के द्वारा अपने धैर्य के द्वारा उस अनंत तक पहुंच सकते हैं।

हमारे जीवन में विश्वास की शक्ति भयंकर से भयंकर तूफान से भी हमें बाहर निकाल सकती है। हमारी जिंदगी में बहुत कुछ चल रहा होता है। कुछ खट्टा, कुछ मीठा और कुछ कड़वा जब हम गर्दिश में होते हैं, तो जितना बाहर चलता है, उससे कहीं ज्यादा हमारे भीतर चलता है। तमाम तरह की भावनाओं की आंधी हमारे भीतर चलने लगती है। हमें लगता है कि कहीं हम उसमें उड़ ना जाए और यह उड़ जाने की बात बेफिजूल नहीं होती। हम सचमुच आंधी में उड़ सकते हैं। कभी यूं कहें कि आंधी आती है, तो हम क्या करें, कहीं दुबक जाते हैं या उसे गुजरने देते हैं और धूल मिट्टी से हो‌ जाते है। लेकिन हम उससे उभरते हैं, धूल मिट्टी को छोड़ते हैं और आगे बढ़ जाते हैं। इसी तरह से हम अगर अपने निजी जीवन में जो हमारे साथ होता है। हम कहीं ना कहीं उससे परेशान हो जाते हैं। उसका सीधा असर हमारे जीवन पर तो होता ही है और ना जाने कितनी तरह की भावनाएं हमारे अंदर उमड़ने लगती हैं। हमें अपने आप पर भरोसा रखना चाहिए कि यह जो भावनाओं की आंधी है यह भी गुजर जाएगी, वह ज्यादा देर तक नहीं रहेगी। लेकिन सबसे पहले हमें यह देखना है कि यह आंधी कहीं हमें बर्बाद ना कर दे। उसके लिए हमें बहुत सोच समझ कर काम करना होता है। अगर आंधी ने हमें चोट पहुंचाई है तो उसे ठीक भी करना होता है। आंधी के बाद कुछ नए सिरे से करना होता है और हमें उसके लिए हमेशा अपने आप को तत्पर तैयार करना होता है। ताकि हम अपने जीवन में आगे बढ़ सके जो सोचा है, उसे पूरा कर सके किसी भी परिस्थिति में डगमगाने की खबराने की जरूरत नहीं होती। हर परिस्थिति से अगर हम अपने अंदर के तूफान से विचलित नहीं होंगे तो हम अपने लक्ष्य को अपनी मंजिल को जरूर पा जाएंगे। जीवन में दर्द सब के एक से है लेकिन उनके फैसले अलग-अलग होते हैं अपने जीवन में ही कोई हताश होकर बिखर जाता है और कोई अपने द्वारा किए हुए संघर्ष से निखर जाता है। ऐसे भी हादसे दर्ज हैं ऐसी भी तारीखें दर्ज है लम्हों ने गलती की और सजा सदियों ने पाई है। हमारे अंदर ही अनंत शक्ति छिपी हुई है। प्रत्येक एक अणु में अनंत शक्ति होती है। बूंद में भी एक अनंत महासागर छिपा है। रहस्य की चाबी हमारे ही पास है हमारे मन में अद्भुत शक्तियां निहित है। मनुष्य जो चाहे वह पा सकता है, उसके लिए कुछ भी असाध्य नहीं है। परंतु मनुष्य को स्वयं पर ही विश्वास नहीं होता उसके भीतर अथाह शक्तियां विद्यमान है।अज्ञानवश लोगों को जो कुछ भी प्रत्यक्ष दिखाई देता है उसी को सच मान लेते हैं। हमारे अंदर की गहराई में हमारा मन, बुद्धि, आत्मा, मिलकर व्यक्ति को एक आंतरिक पर्यावरण प्रदान करते हैं। अगर चाहे तो मनुष्य अपने ज्ञान अर्जन के द्वारा, निपुणता के द्वारा, अपने जीवन में अनेकों उपलब्धियां प्राप्त कर सकता है। उसे अपने आंतरिक स्वरूप और स्वभाव को जानना होगा। उसके मन के सागर में छिपे हुए बहुमूल्य रत्नों की जानकारी उसे होनी चाहिए। न जाने क्यों हम अपने मन में गलत धारणा बना लेते हैं। जो लोग अपने जीवन में किस्मत से जल्दी कुछ पा जाते हैं, जल्दी सफल हो जाते हैं। उनसे अपनी तुलना करके स्वयं को ही हम अक्षम, अयोग्य, असफल समझने लगते हैं। छोटी-छोटी गलतियों पर अपने शिक्षक से मिली डांट-फटकार सुनकर कई बार अपना आत्मविश्वास खो बैठते हैं। अपने परिवार जनों के द्वारा भी कई बार मन को बड़ा आघात पहुंचता है। मन में नकारात्मक भाव विकसित हो जाते हैं। चाहे कितनी भी चेष्टा कर ले सफलता पाने में नाकाम रहते हैं। लेकिन हमें आशावादी होना चाहिए जो असफलता हमें मिली है, वह पीड़ादाई हो सकती है। आत्मविश्वास खो जाता है फिर वह‌ किसी पुरस्कार या किसी भी प्रोत्साहन जैसे शब्दों के द्वारा प्रेरित नहीं करता। पढ़ना-लिखना कुछ भी अच्छा नहीं लगता। फिर वह बार-बार असफल होना, अपनी हंसी उड़ाना नहीं चाहता। अगर हम अपने ‌मन की धारणा को बदले उस धारणा को बदलने में सहायता करें, तो जरूर सफल हो सकते हैं। अपने स्वाभिमान को क्षति पहुंचाए बिना धैर्य पूर्वक अपना मार्गदर्शन करें। निर्माण का प्रयास करें और थोड़ी सी सफलता, प्रशंसा और प्रोत्साहन के द्वारा बार-बार असफल होने पर जो पर निराशा, पराजय और हताशा के भाव मन में थे। वह धीरे-धीरे दूर हो जाएंगे और आत्मविश्वास फिर से लौट आएगा और जो चाहा है कोई ऐसी चीज़ नहीं है जिसे नहीं कर पाएंगे हमारी इच्छाएं भावनाएं हमारी स्वयं की धारणा पर ही निर्भर करती है। निकाल फेंको अपने मन से उस डर को और कर डालो जो आज तक नहीं किया क्योंकि कुछ भी ऐसा नहीं है जिसे तुम नहीं कर सकते।