Siddharthnagar: जहाँ एक ओर देश और प्रदेश की सरकार लोगों को उचित स्वास्थ्य सुविधा दिलाने के लिए लगातार प्रयासरत है, वही दूसरी ओर जब इसकी जमीनी पड़ताल की जाती है तो मामला बस कागजी आंकड़ों तक ही सीमित रह जाता। यही नहीं पर्याप्त बजट होने के बाद भी सरकार द्वारा दी जाने वाली सुविधा आम जनमानस तक नहीं पहुंच पाती। ऐसा ही मामला सिद्धार्थनगर जनपद (Siddharthnagar) के बासी तहसील क्षेत्र अंतर्गत है, जहाँ शासन द्वारा प्राथमिक केंद्रों के मरम्मत के नाम पर भारी लापरवाही देखने को मिल रही है।
यह प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में मऊ 37.64 लाख, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र 36.48 लाख और वहीं प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र चेतिया को 31.60 लाख स्वीकृत हुई। किसके सापेक्ष 27 मार्च 2022 को 9.50 लाख प्रत्येक अस्पताल भवन के मरम्मत के लिए अवमुक्त हुआ लेकिन एक बार फिर आंकड़ों का ही खेल बनकर रह गया। इस संदर्भ में जब इसकी हकीकत जानने का प्रयास किया गया तो तीनों प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में अवमुक्त हुई धनराशि के सापेक्ष 10% भी कार्य नहीं कराया गया था।
वही इस संदर्भ में जब सिद्धार्थनगर जनपद (Siddharthnagar) के जिलाधिकारी से संपर्क किया गया तो उन्होंने कैमरे पर बयान देने से साफ इनकार किया जबकि मुख्य चिकित्सा अधिकारी नरेंद्र बाजपेई ने स्थलीय निरीक्षण की बात कही, साथ ही साथ इस लापरवाही पर सारा भार जिले के जिला अधिकारी पर डालते हुए कहा की जैसा जिलाधिकारी कहेंगे वैसा होगा। अब जहां सरकार एक और जीरो टॉलरेंस की नीति का दावा करती है, वही उनके अधिकारी एक दूसरे के कंधे पर बंदूक रखकर भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने के लिए कोई कोर कसर नहीं छोड़ते और वही जब शिकायत करता या मीडिया इस संदर्भ में जानना चाहती है तो बड़े आसानी से बातों को घूमाते हैं।