बुधवार यानि 13 दिसंबर को संसद भवन की सुरक्षा में सेंध लगने की घटना को लेकर राजनीति माहौल खूब गरमाया हुआ है। जहाँ कांग्रेस पार्टी ने केंद्र सरकार पर हमला बोला है। कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने गृह मंत्री अमित शाह से इस मुद्दे पर सदन में बयान देने की मांग की है। कांग्रेस ने कहा है कि वर्ष 2001 में हुई घटना के बाद तात्कालीन गृहमंत्री लालकृष्ण आडवाणी ने सदन में बयान दिया था। अधीर रंजन चौधरी ने लोकसभा अध्यक्ष को पत्र लिखकर कहा है कि चूंकि मामले की गंभीरता इस तथ्य में निहित है, जो हमारी अपनी सुरक्षा से संबंधित है। इसलिए विपक्ष के सदस्यों का सरकार से स्पष्टीकरण और तत्काल सुधारात्मक कदम उठाए जाने की मांग है।
कांग्रेस नेता ने माना कि दोनों घटनाएं (2001 और 2023 उल्लंघन) ‘एक दूसरे से अलग’ हैं। साथ ही उन्होंने कहा कि हालिया घटना ने संस्थानों की सुरक्षा से संबंधित मुद्दों को भी सामने ला दिया है जो हमारी लोकतांत्रिक प्रथाओं और लोकाचार का मूल हैं। जब लालकृष्ण आडवाणी ने 2001 के हमले के बाद एक विस्तृत बयान दिया, तो सभी पार्टी के सदस्य पार्टी लाइन को छोड़कर मजबूती के साथ सरकार के साथ खड़े हुए थे। तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने तत्कालीन प्रधान मंत्री एबी वाजपेयी और उनके उप-प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी से मुलाकात भी की थी। लोकसभा में कांग्रेस पार्टी के नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि वर्तमान उदाहरण में भी, गृह मंत्री को सदन में बयान देना चाहिए।
इससे पहले, ओम बिरला ने सभी सांसदों को लिखे पत्र में कहा है कि उन्होंने संसद परिसर में सुरक्षा के सभी पहलुओं की समीक्षा करने और ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो, यह सुनिश्चित करने के लिए एक ठोस कार्य योजना तैयार करने के लिए एक ‘उच्चाधिकार प्राप्त समिति’ का गठन किया है।
वही लोकसभा में विपक्षी सदस्यों ने संसद की सुरक्षा में चूक के मुद्दे पर सरकार से जवाब की मांग करते हुए गुरुवार को भारी हंगामा किया था। जिसके कारण 14 सांसदों को पूरे सत्र के लिए निलंबित कर दिया गया। इनमें 9 कांग्रेस, 2 सीपीएम, 1 सीपीआई और 2 डीएमके के सांसद थे। इनमें कांग्रेस के टीएन प्रतापन, हिबी इडेन, जोतिमणि, रम्या हरिदास और डीन कुरियाकोस शामिल हैं।