chapter-3: जादूई एहसास

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पिकनिक का दिन

परिवार वालों की देखभाल से और आराम करने से मधु कुछ ही दिन में ठीक हो जाती है और अपने परिवार के साथ खुशी-खुशी रहने लगती है। एक दिन मधु का बड़ा देवर उमेश कहता है,”भाभी आपको याद है जब आप बीमार हुई थी तो मैंने कहा था कि हम सब वन डे पिकनिक मनाएंगे मैंने तो उसकी तैयारी भी कर ली है भाभी”।

उमेश बहुत ही उत्तेजित होकर कहता है ,”भाभी क्यों ना पिकनिक मनाने के लिए हम सब लोग फॉरेस्ट्री गार्डन चले। वह जगह बहुत ही सुंदर है वहां बहुत सारे प्रकार के पेड़ पौधे, फूलों से सजी क्यारियां बहुत ही सुंदर आकृतियों वाले पेड़ हैं। वहां के पेड़ों की आकृतियां बहुत ही आकर्षित और मन को लुभाने वाली लगती हैं। कुछ पेड़ अलग-अलग जानवर जैसे हाथी, खरगोश, जिराफ, शेर आदि के जैसे दिखाई पड़ते हैं और कुछ पेड़ों की शाखाएं तो इतनी नीची है कि आप वहां बैठकर अपने आप को बहुत ही खुश, शांत और संतुष्ट महसूस करेंगे।

मधु कहती है, “हां भैया, फॉरेस्ट्री गार्डन मुझे भी बहुत पसंद है हम वहां जरूर जाएंगे और बहुत मजे करेंगे। वैसे भी पूरे परिवार को एक साथ कहीं गए हुए और साथ में वक्त बिताए हुए बहुत वक्त हो गया है”। तभी राकेश कहता है, “तो ठीक है, कल फॉरेस्ट्री गार्डन जाने का प्लान तय रहा। मैं कल ऑफिस से छुट्टी ले लेता हूं हम सब आखिर कितने दिनों बाद एक साथ वक्त बिताएंगे”।

सुमन कहती है, “मैं सभी के लिए टेस्टी स्नैक्स और नाश्ता बनाऊंगी”।तब तक विकास भी आ जाता है और कहता है, “क्या बात है भाई। क्या प्लानिंग चल रही है। कोई जरा हमें भी तो कुछ बताओ”। उमेश कहता है, “विकास हम सब वन डे पिकनिक की तैयारी कर रहे हैं पिकनिक के लिए फॉरेस्ट्री गार्डन कैसा रहेगा”। तभी सुमन जाकर विकास के लिए पानी ले आई विकास पानी का ग्लास लेते हुए बोला ,” हां फॉरेस्ट्री गार्डन बहुत अच्छी जगह है। मैं एक काम करता हूं वहां की बुकिंग कर देता हूं और बाकी सब लोग अपनी-अपनी तैयारी कर लीजिए, हम लोग कल पिकनिक के लिए जाएंगे”।

अगले दिन सब लोग बहुत उत्तेजित होकर पिकनिक पर जाने के लिए तैयारी करने लगते हैं सब लोग बहुत ही खुश दिखाई दे रहे थे। प्रिया अपने पति उमेश से कहती है, “हम लोग कितने दिनों बाद इस तरीके से कहीं बाहर वक्त बिताने के लिए जा रहे हैं, मैं क्या पहन लूं”l यह कहते कहते प्रिया अपने कबर्ड से ड्रेस निकाल कर आईने के सामने खड़ी होकर ट्राई करने लगती है और एक एक ड्रेस लेकर अपने सामने लगाकर अपने पति से पूछती है ,”मैं कौन सी ड्रेस पहनू, कौन सी ज्यादा अच्छी लग रही है, पिंक वाली कैसी है या फिर यह नीली वाली कौन सी ज्यादा अच्छी लगेगी”। उमेश कहता है तुम जो पहन लोगी वही ड्रेस हम पर ज्यादा अच्छी लगेगी। तुम तो हर ड्रेस में बहुत खूबसूरत लगती हो। इतना कहकर उमेश तोलिया उठा लेता है और कहता है,”अपना ही सोचती रहोगी या मेरा भी कुछ बताओगी। मेरे लिए भी कोई अच्छी सी शर्ट निकाल दो, मैं नहाने जा रहा हूं और तब तक तुम मेरे लिए एक कप चाय भी बना देना”। इतना कहकर उमेश नहाने चला जाता है।

वहीं दूसरी तरफ मधु के लिए राकेश एक बहुत ही सुंदर सी गुलाबी कलर की साड़ी निकालता है जिस पर बहुत ही सुंदर जरी का काम था। वह कहता है, “मधु आज तुम यही साड़ी पहनना। तुम पर बहुत सुंदर लगती है”। मधु कहती है,” क्या बात है, आज भी आपको यह साड़ी पसंद है”। वह दोनों बात कर ही रहे होते हैं तभी बाहर से आवाज आती है। मां जी कहती हैं, “अरे मधु, आज इतने क्या बिजी हो गए सब लोग कि मुझे चाय तक नहीं पूछी। मेरा भजन कब का खत्म हो गया है क्या आज मुझे एक कप चाय मिलेगी”। इतना सुनते ही मधु दौड़ते हुए बाहर आती है और कहती है, “जी मां जी मैं अभी आपके लिए चाय बना कर लाती हूं”। इतना कहकर मधु रसोई में चली जाती है और चाय बनाने लगती है।

सुमन और विकास भी इसी बात की चर्चा में लगे थे कि पिकनिक पर जा कर बहुत मजे करेंगे। वहां जाकर बहुत सारी सेल्फी लेंगे और यादगार पल बनाएंगे। सभी लोग अपनी अपनी तैयारियों में लगे थे कोई अपने आप को शीशे में देख रहा था तो औरतें अपने मेकअप में लगी हुई थी। वही सुमन ने सबसे पहले जाकर सबके लिए स्नेक्स बनाएं और पिकनिक पर ले जाने के लिए कुछ नाश्ता वगैरह तैयार किया।

इसके बाद वह तैयार होने चली गई। कोई 10:00 बजे तक सब लोग तैयार होकर घर के आंगन में इखट्टा हुए। और तब तक उन लोगों की कैब भी आ चुकी थी। सब लोग गाड़ियों में बैठकर फॉरेस्ट्री गार्डन जाने के लिए घर से निकल गए जोकि उनके घर से कुछ 1 घंटे की दूरी पर था। फॉरेस्ट्री गार्डन एक बहुत ही खूबसूरत गार्डन था। वहां बहुत अलग अलग तरह के पेड़ पौधे थे। बहुत सी फूलों की क्यारियां थी जिन पर रंग बिरंगे फूल लगे हुए थे जो कि बहुत ही ज्यादा सुंदर थे।

वहां छोटे-छोटे बहुत से पक्षी और जानवर भी थे जैसे चिड़िया, मोर, खरगोश वगैरह। वहा बहुत प्रकार के झूले भी थे। वही कुछ वॉटर स्लाइड्स और स्विमिंग पूल जैसे एरिया भी थे। माजी तो जाकर फूलों की क्यारियों की तरफ टहलने लगी और उनके बच्चे इधर उधर जाकर पूरे गार्डन में घूमने लगे। सुमन और विकास झूलों की तरफ चले गए वही मधु और राकेश वॉटर स्लाइड्स की तरफ चले गए।

प्रिया और उमेश पेड़ पौधों को देखने लगे। प्रिया एक पेड़ की तरफ इशारा करते हुए बोली, “वह देखो, वह हाथी कितना सुंदर लग रहा है। मेरा एक फोटो लो ना इसके साथ”। उमेश प्रिया की फोटो खींचता है और ऐसे ही करके वह अलग-अलग पेड़ों के पास जाकर फोटो खिंचवाते हैं। कभी पेड़ों के नीचे बैठकर पोज देते तो कभी बड़े पेड़ों की नीची शाखाओं पर बैठकर फोटो खिंचवाते।

दूसरी तरफ राकेश और मधु दोनों ने स्विमिंग कॉस्टयूम पहन लिए और वॉटर स्लाइड्स के मजे लेने लगे। वही एक तरफ विकास अपनी पत्नी को झूला झुलाने लगा। सब लोग बहुत मस्ती से पिकनिक इंजॉय कर रहे थे। कुछ घंटे मस्ती करने के बाद सुमन अपनी सास के पास जाकर कहती है ,”चलिए माजी अब सब लोग मिलकर कुछ नाश्ता करते हैं”। अम्मा जी कहती हैं ,”ठीक है बेटा। मैं विकास के पास जाती हूं, तुम बाकी लोगों को भी बुला लो”। तब सुमन जाकर सब लोगों से आकर खाना खाने के लिए कहती है।

थोड़ी देर बाद सब लोग इकट्ठे होकर खाना खाते हैं और बातें करने लगते हैं। विकास कहता है, “कितना अच्छा लग रहा है ना यहां आकर। पूरा परिवार एक साथ है और कितना खुश है”। तभी उमेश कहता है,”हां भैया, आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी में इस तरीके से पूरे परिवार के साथ खुशी से वक्त बिताना, इससे बढ़कर जिंदगी में और दूसरी क्या ही खुशी हो सकती है”। सब लोग इसी तरह आपस में हंसते खिलखिलाते हुए एक दूसरे से बातें करते हुए नाश्ता करते हैं और उसके बाद राकेश कहता है ,”चलो अब दूसरी जगह देखते हैं”। विकास भी कहता है, “चलो सुमन, अब हम वॉटर स्लाइड्स की तरफ चलते हैं। बहुत मजा आएगा”।

ऐसे ही बातें करते करते सब लोग उठकर फिर से घूमने फिरने में मग्न हो जाते हैं। सब लोग वहां बहुत मजे करते हैं और माजी एक तरफ घूमने लगती हैं। उन सबको घूमते घूमते और वहां गार्डन का मजा लेते लेते लगभग शाम के 8:00 बज जाते हैं। तब सब लोग एक साथ इकट्ठे होते हैं और घर जाने की तैयारी करने लगते हैं। तभी सुमन कहती है, “अरे माजी अभी तक नहीं आई। वह कहां रह गई”। उमेश कहता है, “मैं देख कर आता हूं शायद यही कहीं घूम रही होंगी”। इतना कहकर उमेश मां को देखने चला जाता है।

उसे गए हुए थोड़ी ही देर हुई इतने में उसकी चीख सुनाई दी। सब लोग दौड़कर उमेश की तरफ जाते हैं और देखते हैं कि उमेश जमीन पर पड़ा है और बेहोश है। उसे देख कर सब घबरा जाते हैं। तभी प्रिया पानी लेकर आती है और उसके मुंह पर छिड़कती है। उमेश को हल्का हल्का सा होश आता है। तभी प्रिया कहती है, “क्या हुआ, आप बेहोश कैसे हो गए। आप ठीक तो हो ना”। इतना कहकर वह उमेश को कंधों से पकड़ कर सहारा देखकर बिठाने की कोशिश करती है।

उमेश बहुत ही घबराया हुआ लग रहा था। वह प्रिया की बाहों में लिपट कर रोने लगता है। सब लोग उसे संभालने की कोशिश करते हैं। राकेश कहता है क्या हुआ उमेश, तू बेहोश कैसे हो गया। तू ठीक तो है ना और मां कहां है। उमेश घबराकर सिसकता हुआ कहता है ,”वह मां मां मां म” वह घबराया हुआ था तो कुछ ठीक से बोल नहीं पाया राकेश ने कहा, “घबराओ मत, जो भी बात है बताओ। तुम ठीक तो हो और मां कहां है”।

“तुम तो मां को देखने आए थे ना” कहकर राकेश उमेश को संभालने लगता है। तभी उमेश एक दीवार की तरफ इशारा करते हुए बताता है, “वह मां उस दीवार की तरफ जाकर अचानक गायब हो गई”। उसकी यह बात सुनकर राकेश कहता है तुझे कोई भ्रम हुआ होगा। ऐसा थोड़ी होता है। मां यहीं कहीं होगी, मैं देखता हूं। इतने में मां पीछे से आ जाती है और कहती है, “अरे तुम सब यहां हो। मैं कब से तुम लोगों को ढूंढ रही थी। तुम सभी यहां क्या कर रहे हो। घर नहीं चलना है क्या”।

मां उन सब की तरफ आगे बढ़ते हुए कहती हैं, और जैसे ही देखती हैं कि उमेश जमीन पर ऐसे बैठा है और बहुत घबराया हुआ सा है तो वह कहती हैं ,”क्या हुआ उमेश, ऐसे क्यों बैठा है”। उमेश बहुत ज्यादा घबरा जाता है और कहता है, “मां आप तो उस दीवार के पास जाकर कहीं गायब हो गई थी ना, आप इधर से कैसे आ रही हो”। मां हल्की मुस्कुराहट के साथ कहती हैं “क्या कह रहा है तू। मैं कोई जादूगर हूं जो दीवार में समा गई और जादू से बाहर आ गई। तुझे जरूर कोई भ्रम हुआ होगा”। वह कहता है, “नहीं मां, मुझे कोई भ्रम नहीं हुआ। मैंने अपनी आंखों से देखा है”।

मां कहती है, “लगता है तुझे कमजोरी की वजह से चक्कर आ गए। कैसी बहकी बहकी बातें कर रहा है। वैसे भी तू अपना खाने-पीने का ध्यान ठीक से नहीं रखता। जब देखो तब काम की जल्दबाजी में लगा रहता है”। यह कहकर मां उसे चुप करा देती है और सब लोग उमेश को कहते हैं कि अपना ध्यान रखा करो। हो सकता है थकान की वजह से तुम्हें चक्कर आ गए हो और तुमने कुछ सपना सा देख लिया हो”।

लेकिन उमेश अभी बहुत घबराया हुआ था और वह सोच रहा था कि यह सब अचानक क्या हुआ। उसने कैसी परछाई देखी। मां कैसे अचानक दीवार के पार चली गई और अब सामने से कैसे आ गई। उसके मन में बहुत सारी उलझने चल रही थी पर उसने कुछ नहीं कहा। उसे लगा सब यही कहेंगे कि तुझे भ्रम हुआ है। फिर विकास कहता है, “भैया, मां, अब हम सबको घर चलना चाहिए। अंधेरा काफी होने लगा है, घर पहुंचते-पहुंचते बहुत लेट हो जाएगा”। विकास और राकेश सहारा देकर उमेश को उठाते हैं और सब लोग घर जाने के लिए निकल पड़ते हैं।

रात को करीब 10:00 बजे तक सब लोग घर पहुंचते हैं। पूरे दिन मौज मस्ती करके अब सब लोग थक चुके थे। लेकिन उमेश की तबीयत बिगड़ने की वजह से सबको उसकी चिंता भी थी। राकेश कहता है, “उमेश अब कैसा महसूस कर रहा है। तू ठीक है”। विकास पूछता है, “कैसे हो भैया, किसी डॉक्टर को बुलाये”। तब उमेश कहता है, “नहीं, अब मैं पहले से बेहतर हूं। डॉक्टर की कोई जरूरत नहीं है”। विकास कहता है, “ठीक है भैया, कोई बात नहीं अब आप आराम कीजिए”। मां कहती है, “प्रिया उमेश को लेकर कमरे में जाओ और आराम करो। और बाकी सब लोग भी अपने अपने कमरे में जाओ। सब थक गए होंगे अब आराम कर लो”। सब लोग इतना सुनकर अपने अपने कमरे में चले जाते हैं और कपड़े वगैरह चेंज करके आराम करने लगते हैं।

लेकिन उमेश की आंखों में नींद नहीं थी। उसके दिमाग में वही सब घूम रहा था कि उसने क्या देखा। वह कैसा एहसास था। कैसी परछाई थी। प्रिया कहती है, “अभी तक आप सोए क्यों नहीं। आपकी तबीयत भी ठीक नहीं है। आपको आराम करना चाहिए”। उमेश कहता है, “प्रिया क्या तुम्हें भी लगता है कि मुझे भ्रम हुआ। मेरा यकीन करो मैंने सब कुछ अपनी आंखों से देखा। ऐसा लग रहा था बिल्कुल हकीकत है। यह कोई भ्रम नहीं था”। प्रिया कहती है, “आप इस बात को भूल जाइए। अक्सर थकान और कमजोरी की वजह से या किसी टेंशन की वजह से भ्रम हो जाते हैं। आप आराम कीजिए सब कुछ ठीक है”। ऐसा कहकर प्रिया लेट जाती है और आराम करने लगती है। लेकिन उमेश पड़ा पड़ा बस उसी सब के बारे में सोच रहा था। यह सब अचानक क्या हुआ वह ख्याल उसके मन से निकल ही नहीं रहा था।

इधर उमेश अपनी उधेड़बुन में लगा हुआ था। वहीं दूसरी तरफ सुमन सोच रही थी कि यह अचानक सबको इस तरह के सपने क्यों आ रहे हैं। ऐसे भ्रम क्यों हो रहे हैं। क्या कुछ गलत तो नहीं है। सबके मन में इतने डरावने ख्याल आना.. पहले राकेश भैया का बेहोश होना, फिर मधु भाभी का बेहोश होना और अब उमेश भैया का बेहोश होना। यह सब क्यों हो रहा है। कहीं इसके पीछे किसी के कुछ गलत इरादे तो नहीं। क्या सच में यह इन लोगों के भ्रम ही थे। मुझे इस बारे में मां जी से बात करनी चाहिए। वह घर में सबसे बड़ी हैं और वैसे भी मधु दीदी और उमेश भैया के किस्से में तो मां जी जुड़ी हुई हैं”।

आखिर यह सब क्या है। मुझे इस बारे में जरूर माजी से बात करनी चाहिए। कहीं कोई अनहोनी ना हो जाए। यह सोचते सोचते सुमन की आंख लग जाती हैं। मन में बहुत सी बातें सोचते सोचते वह सो जाती है और सुबह देर से उठती है तो देखती है घर में सब लोग अपने अपने काम में व्यस्त हैं सुबह उठते ही सुमन को सबसे पहले माजी का ख्याल आया और मां जी के कमरे में गई। वहां जाकर उसने मां जी से बात करनी चाही लेकिन देखती है कि माजी भजन में बैठी हुई हैं। फिर वह सोचती है कि इस वक्त मां जी को तंग करना ठीक नहीं होगा।

To be continued….

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