टूरिज्म
अगले दिन विकास ने सभी के लिए ऋषिकेश जाने की टिकट बुक करवा ली और घरवालों को बताया कि टिकट कल सुबह की ही हुई है। तो आज आप लोग अपना पैकिंग वगैरह का और बाकी का काम निपटा लीजिए। तब मधु ने कहा, “भैया इतनी जल्दी सारे काम कैसे होंगे? हमें पैकिंग करने के लिए और शॉपिंग करने के लिए वक्त तो लगेगा ही”।
तो विकास ने कहा, “भाभी अभी की ही टिकट हो पाई है, वरना तो बहुत लेट की टिकट मिल रही थी। आप चिंता मत कीजिए। आज का दिन तो है ही। आप पैकिंग कर सकती हैं”। यह सुनकर मधु ने प्रिया और सुमन से कहा, “एक काम करते हैं, अभी हम लोग जाकर शॉपिंग कर आते हैं और बाकी का बचा हुआ काम शाम को आकर पूरा कर लेंगे”। इसके बाद सुमन, प्रिया, मधु और उनके साथ श्रेया भी शॉपिंग के लिए चले जाते हैं। सुमन और प्रिया एक तरफ जाकर शॉपिंग करने लगती हैं और मधु और श्रेया एक साथ जाकर शॉपिंग करने लगते हैं।
उन लोगों ने काफी देर तक मॉल से शॉपिंग की। उसके बाद जब वापस चारों इकठ्ठा हुई तो आपस में बात करने लगी। श्रेया ने कहा, “अरे यार जल्दी-जल्दी में मैंने तो ठीक से शॉपिंग की ही नहीं की”। तभी प्रिया ने कहा, “हां श्रेया ठीक कह रही हो तुम। जल्दबाजी में यह भी याद नहीं रहा कि क्या चीज लेनी है और क्या नहीं। मैंने तो बहुत ही जरूरी चीजें ले ली है। लेकिन पता नहीं अगर कुछ छूट भी गया हो तो। इतनी जल्दबाजी में तैयारी करनी पड़ रही है कि दिमाग भी काम नहीं कर रहा”।
यह सुनकर सुमन और मधु हंसने लगी तो प्रिया ने कहा, “क्या बात है! मुझे लगता है आप दोनों ने अपनी शॉपिंग पूरी कर ली है। तभी इतना हंस रही हो”। मधु ने कहा, “नहीं ऐसी तो कोई बात नहीं है। लेकिन अपना पूरा वक्त तुम्हारी तरह ड्रेसेस सिलेक्ट करने पर बर्बाद नहीं किया है। हमने घर में सभी के हिसाब की जरूरत की चीजें ले ली है”। तब प्रिया ने पूछा, “और दीदी क्या आपको पहले से पता था कि हम लोग घूमने जाने वाले हैं”। तब सुमन ने कहा, “हां मैंने दीदी से बता दिया था कि हम लोग कहीं बाहर घूमने जाने का प्लान कर रहे हैं। तो दीदी ने कहा था कि विकास का कोई भरोसा नहीं है। उन्हें अपने ऑफिस और काम की बहुत चिंता रहती है तो वह अपना ज्यादा वक्त जाया नहीं करेंगे। इसलिए हमने पहले ही जरूरी जरूरी चीजों की लिस्ट बना ली थी और अब आकर ले ली है। और रही बात हमारी अपनी शॉपिंग की तो इस बार तो हमने कोई नई ड्रेस नहीं खरीदी बस घर वालों की जरूरत का सामान खरीद पाए हैं”।
यह सुनकर श्रेया ने कहा, “क्या आप लोगों ने अपने लिए एक भी ड्रेस नहीं ली है। यह तो कोई अच्छी बात नहीं है”। तब सुमन ने कहा, “चिंता मत करो। हम अभी कुछ दिन पहले ही शॉपिंग करने आए थे और हमारे पास अभी बहुत सारी ड्रेस हैं। तो हम उनमें से सिलेक्ट करके अपनी पैकिंग कर लेंगे। अभी एक काम करते हैं, घर चलते हैं। रास्ते के लिए भी तैयारियां करनी होंगी।
इतना बोल कर श्रेया और प्रिया तो दोनों अपनी अपनी पैकिंग में लग गई थी। दोनों को अपने मेकअप और ड्रेस की चिंता हो रही थी। श्रेया ने हड़बड़ाहट में आकर सुमन से कहा, “सुमन जल्दबाजी में कोई काम नहीं हो पाया है। तुम्हारे पास मेरी ड्रेस की मैचिंग लिपस्टिक है क्या। और देखो मुझे इस ड्रेस के साथ के इयररिंग्स भी नहीं मिले और यह ज्वेलरी कैसी लगी”। इतना सुनकर सुमन हंसने लगी और कहा, “शांत हो जाओ, तुम तो बहुत ज्यादा उतावली हो रही हो। तुम एक काम करो तुम्हें जिस भी चीज की जरूरत हो, वह तुम मेरे कमरे में से जाकर ले लो। मेरे ड्रेसिंग टेबल पर ही सारे मेकअप का सामान रखा है। जो भी चाहिए वह वहां से देख लेना”।
इतना सुनकर श्रेया खुश होकर सुमन को थैंक यू बोलती है और वहां से उसके रूम में जाकर अपनी जरूरत की चीजें ढूंढने लगती है। तब तक मधु भी किचन में जाती है और वह सुमन से कहती है कि, “सुमन यह दोनों तो अपने में ही बिजी हैं। इन दोनों को वक्त नहीं मिलेगा हमारी मदद करने का। एक काम करते हैं हम ही रास्ते में नाश्ते के लिए कुछ चीजें बना लेते हैं”। इतना कहकर सुमन और मधु दोनों रसोई में लग गई और रास्ते में ले जाने का नाश्ता तैयार करने लगी। तभी दूसरी तरफ माजी अपने पूजा का सामान, जप की माला वगैरा रख रही थी और बार-बार आवाज दे रही थी अरे मेरी यह चीज कहां है, अरे मेरी वह चीज कहां है। यह सुनकर सुमन और मधु दोनों हंसने लगे और कहने लगी देखो घर में सब लोग कितने खुश हैं। ऐसा लग रहा है मानो इन्हे क्या खास मिल गया हो।
सब लोग घर में अपनी अपनी पैकिंग कर लेते हैं और उसके बाद रात को सुमन और मधु ने भी अपनी अपनी पैकिंग की। इसके बाद सुबह सब लोगों ने टैक्सिया मंगवाई और रेलवे स्टेशन गए। उनकी ट्रेन बस कुछ ही देर में आने ही वाली थी। तो उससे पहले पिताजी ने कहा, “सब लोग ध्यान से अपनी अपनी सारी चीजों को देख लेना। किसी का कोई सामान छूट ना जाए। अपने-अपने बेगो का बहुत अच्छे से ध्यान रखना”। यह सुनकर राकेश ने कहा, “पिताजी आप चिंता मत कीजिए सब कुछ ठीक है। और सब लोग अपना अपना सामान ध्यान से रख लेंगे। आप बस अपना ध्यान रखिए”।
तब तक ट्रेन भी प्लेटफार्म पर आ चुकी थी और सब लोग अपना अपना सामान लेकर ट्रेन में चढ़ गए। इसके बाद पिताजी ने कहा, “मैं तो जल्दबाजी में ठीक से कुछ खा भी नहीं पाया। एक काम करो मधु बेटा, तुम जो नाश्ता लेकर आई हो मुझे उसमें से कुछ खाने के लिए ही दे दो”। तभी विकास ने कहा, “हां भाभी कुछ खाने का मन तो मेरा भी कर रहा है”। तब मधु कहती है, “ठीक है। आप लोग रुकिए। मैं सबके लिए खाने के लिए कुछ निकाल देती हूं। सुमन आओ तो मेरी मदद कर दो”। इसके बाद वह दोनों नाश्ता निकालती है और घरवालों को देती है।
सब लोग हंसी मजाक करते करते इसी तरीके से ऋषिकेश पहुंच जाते हैं। वहां जाकर राकेश ने सभी के लिए टैक्सी मंगवाई। टैक्सी पहले से ही उन सब के लिए बुक की गई थी और उसके बाद सब लोग अपनी बुकिंग की हुई धर्मशाला में चले गए। वहां जाकर राकेश ने सबसे कहा कि अभी आप लोग जाकर फ्रेश हो जाइए और थोड़ी देर आराम कीजिए उसके बाद हम लोग घूमने चलेंगे। इतना कहकर सब लोग अपने अपने कमरों में चले गए और विकास और सुमन दोनों अपनी कमरे की बालकनी में खड़े होकर वहां का नजारा देखने लगे।
चारों तरफ हरियाली ही हरियाली थी। वह जिस धर्मशाला में रुके हुए थे वहां से बाहर का भी बहुत ही अच्छा नजारा था। यह देख कर वह दोनों अपनी बालकनी में गए और वहां से देखने लगे। वहां इतनी शांति थी कि किसी को भी ऐसा लगे मानो इंसान की पूरी जिंदगी यहां आकर खुशहाल हो जाए। कितना भी दुखी से दुखी इंसान हो उसका भी मन यहां आकर एक बार को हंसने का जरूर करेगा। ऋषिकेश में बहुत ही सुंदर झरने और पहाड़ियां हैं। वहां का मौसम भी बहुत ही खुशनुमा होता है। वहां बहुत सारे भगवान के मंदिर हैं और खासकर भोलेनाथ के मंदिर तो वहां की शान में चार चांद लगा देते हैं।
इसके बाद सुमन विकास से कहती है, “कितना अच्छा वक्त बीत रहा है ना हमारा। काफी वक्त से काफी सुकून भरी जिंदगी चल रही है। किसी भी तरह की कोई परेशानी नहीं हुई और हम लोग इस वजह से इंजॉय भी कर रहे हैं। बस अब भगवान से यही प्रार्थना है कि हमारी यह ट्रिप भी खुशहाल और यादगार बन जाए”। इतना कहकर वह कहती है, “विकास अब तुम भी जाकर फ्रेश हो जाओ। वरना ऐसा होगा कि हम दोनों यहाँ खड़े-खड़े बात ही करते रहेंगे और बाकी सब लोग तैयार होकर भी आ जाएंगे”।
इतना बोल कर दोनों अंदर चले जाते हैं और तैयार होने लगते हैं। थोड़ी देर बाद तैयार होकर सब लोग एक साथ इकट्ठे होते हैं और तब तक उनका टूरिस्ट गाइड भी आ चुका था। गाइड ने उन्हें बताया कि सबसे पहले वह उन सब को लेकर वहां के मंदिरों के दर्शन कराने ले जाएगा। सब लोग बहुत हंसी खुशी गाइड के साथ चल दिए और शाम तक घूमते फिरते रहे। उन लोगों ने बहुत मजे किए और सारे भगवानों के दर्शन किए। ऋषिकेश में मंदिरों पर बहुत ही सुंदर कारीगरी और सजावट थी। वहां हर वक्त भक्तों का मेला सा लगा रहता था।
वहां जाकर इंसान के मन में अलग ही श्रद्धा और भक्ति के भाव जाग जाते हैं। वहां का माहौल इंसान को इतना खुशनुमा कर देता है कि इंसान का वही बसने का मन करने लगता है और वापस कहीं और जाने का मन ही नहीं करता। यह लोग भी ऋषिकेश में जाकर बहुत खुश थे। सब लोग बहुत मजे कर रहे थे। फिर शाम को सब लोगों ने आकर जिस होटल में रुके थे उसी में एक साथ खाना खाया और फिर उमेश ने कहा कि टूरिस्ट ने मुझसे कहा है कि वह हमें घुमाने के लिए कल सुबह 8:00 बजे लेने आने वाला है तो सब लोग याद से तैयार हो जाना और वक्त पर नीचे भी आ जाना। इतना बोल कर सब एक दूसरे को गुड नाइट बोलते हैं और अपने अपने कमरों में चले जाते हैं।
इसके बाद अगले दिन सब लोग वहां की पहाड़ियों और झरनों पर घूमने गए। विकास, उमेश और राकेश तीनों तो बड़ी मस्ती से झरनों में नहाने लगे। तभी उमेश को मस्ती सूझी और वह सब के ऊपर हाथ से पानी फेकने लगा। इसके बाद उसने बाकी सब को भी झरने के नीचे खींच लिया और सब लोगों ने बहुत इंजॉय किया। सब लोग बहुत ही मस्ती कर रहे थे। शाम को फिर वहां से घूम फिर कर सब लोग वापस अपने कमरों में आए और खाना-वाना खा कर आराम करने लगे।
तब तक रात के लगभग 11:00 बज गए थे। तभी अचानक कोई आकर विकास और सुमन का कमरा दरवाजा खटखटाने लगा। तब उसने देखा कि सामने माजी खड़ी थी और बहुत ही घबराई हुई थी। उन्होंने कहा कि बेटा जल्दी से मेरे साथ मेरे कमरे में चलो। विकास ने कहा, “क्या हुआ आप इतनी घबराई हुई क्यों है? सब ठीक तो है ना। और बाबूजी कहां है? आप इस वक्त यहां कैसे”? तब मां ने कहा, “विकास अभी इन सब बातों का वक्त नहीं है। तुम जल्दी से बाकी सब लोगों को भी बुलाओ और जल्दी चलो मेरे साथ तुम्हारे बाबू जी की तबीयत बहुत खराब हो रही है”।
यह सुनकर विकास और सुमन दोनों भागे भागे मां और बाबू जी के कमरे में गए और देखते हैं कि बाबूजी लगभग बेहोश से पढ़े हैं। और उन्होंने अपने सीने पर हाथ रखा हुआ था। उन्हें देखकर विकास को समझते देर नहीं लगी कि उन्हें हार्ट अटैक आया है। विकास ने सुमन से कहा, “कि तुम जाकर जल्दी से बाकी के घरवालों को बुलाकर लाओ, फटाफट जाओ सुमन”। उसने जाकर सबको बताया कि बाबूजी की तबीयत अचानक खराब हो गई है तो बाकी सब लोगों भी एक साथ इकट्ठा हो गए। इसके बाद राकेश और उमेश दोनों ने विकास से पूछा, “विकास यह सब कैसे हुआ”?
तब विकास ने कहा, “कि भैया पता नहीं मैं भी अपने कमरे में ही था तभी अचानक मां आई और उन्होंने मुझे बताया कि बाबूजी की तबीयत खराब हो रही है। उसके बाद मैं सीधे यहां आ गया और आप सबको भी बुलवा लिया”। तब राकेश ने कहा, “बाबू जी की तबीयत तो बिगड़ते ही जा रही है। मैं एक काम करता हूं, मैं यहां एंबुलेंस बुलाता हूं और तुम लोग भी बाबूजी को हॉस्पिटल ले जाने की तैयारी करो”।
इतना कहकर राकेश ने हॉस्पिटल में फोन किया और एंबुलेंस मंगवाई। थोड़ी देर में एंबुलेंस भी आ गई और सब लोग बाबूजी को लेकर हॉस्पिटल गए। हॉस्पिटल में डॉक्टर ने कहा कि इन्हें हार्ट अटैक आया है और अगर आप लोग थोड़ी सी भी देर और कर देते तो इनकी जान भी जा सकती थी। तब उमेश ने घबराकर पूछा, “डॉक्टर साहब कोई घबराने की बात तो नहीं है ना। बाबू जी ठीक तो है”। डॉक्टर ने कहा, “हां अभी आपको चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है। आपके बाबू जी बिल्कुल ठीक है।अभी वह खतरे से बाहर हैं क्या उन्हें पहले भी हर्ट अटैक आया है”?
तब राकेश ने कहा, “नहीं डॉक्टर साहब यह पहली बार हुआ है”। यह सुनकर डॉक्टर ने कहा, “ठीक है, आप लोग चिंता मत करो। मैं इन्हें दवाइयां दे देता हूं। आप लोग भी इनका ध्यान रखना। वैसे ऐसी कोई चिंता की बात नहीं है लेकिन फिर भी इनके खाने-पीने और दवाइयों का ध्यान रखिएगा। और यह भी ध्यान रखिएगा कि यह किसी भी तरह की टेंशन ना ले। चिंता करने से इनकी सेहत पर बुरा असर पड़ सकता है”।
इसके बाद वह सब लोग वहां से डिस्चार्ज करवा कर बाबूजी को वापस धर्मशाला में लेकर आते हैं। और कहते हैं बाबू जी अब आप कैसा महसूस कर रहे हैं? अगर आपको अच्छा नहीं लग रहा है या आपको लग रहा है कि आप की तबीयत ठीक नहीं है, तो बताइए हम लोग वापस घर चलते हैं। तब बाबू जी कहते हैं, “कैसी बात कर रहे हो तुम ! मुझे यहां से कहीं नहीं जाना। मैं बिल्कुल ठीक हूं”। तब विकास कहता है, “लेकिन बाबूजी अभी तो आप हॉस्पिटल से आए हैं। मुझे लगता है कि हमें घर ही चले जाना चाहिए”।
तब बाबू जी कहते हैं, “कैसी बात कर रहे हो विकास! यह भगवान की कृपा है कि मैं भगवान के दरबार में आया और उन्हीं के आशीर्वाद से मैं इतनी जल्दी ठीक भी हो गया और तुम कह रहे हो कि मैं यहां से चला जाऊं। अरे लोग तो दुआ करते हैं कि उन्हें अंतिम वक्त में भगवान के दर्शन हो जाए और मैं यहां भगवान की भूमि में आकर वृंदा के पवित्र किनारे पर आकर घर वापस चला जाऊं। ऐसा नहीं होगा। यह भगवान का ही आशीर्वाद है कि मुझे कुछ नहीं हुआ। और तुम लोग मेरी बिल्कुल भी चिंता मत करो अब मैं बिल्कुल ठीक हूं”। इतना कहकर बाबूजी लेट जाते हैं और मधु से कहते हैं, “बेटा मुझे कुछ फल दे दो काटकर। मुझे खाने का मन कर रहा है”। मधु कहती है, “ठीक है बाबू जी! मैं अभी आपके लिए सेव काट कर लाती हूं”। फिर विकास कहता है, “अगर ऐसी बात है बाबूजी, तो ठीक है! हम यही रुकते हैं। लेकिन अगर किसी भी तरह की कोई परेशानी हो तो आप मुझे बता दीजिएगा। हम लोग यहां से वापस चले जाएंगे”।
तब बाबू जी कहते हैं, “जाने की जरूरत मुझे नहीं, तुम सबको है। अब तुम लोग एक काम करो, अपने अपने कमरों में जाओ और आराम करो। और मुझे भी आराम करने दो”। इसके बाद वह सब लोग अपने अपने कमरों में चले जाते हैं और आराम करने लगते हैं। तब सुमन कहती है, “देखो विकास मैंने तो पहले ही कहा था कि कुछ गड़बड़ ना हो जाए और बाबूजी की तबीयत खराब हो गई”। तभी विकास ने कहा, “तुम्हें चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है। बाबू जी अब ठीक हैं और भगवान के आशीर्वाद से सब ठीक ही होगा। हादसे तो जिंदगी में अक्सर होते ही रहते हैं। उनकी चिंता करके क्या इंसान जीना छोड़ दे। बस अब तुम ज्यादा इस बारे में मत सोचो और इतना ध्यान रखना कि बार-बार बाबूजी के कमरे में जाकर उनकी दवाइयों का और खाने-पीने का अच्छे से ध्यान रखते रहना। बाकी और सब चीजों को संभालने के लिए और उन चीजों का ध्यान रखने के लिए तो हम हैं ही यहां पर, भैया भाभी भी हैं और पूरा परिवार है सब ठीक ही होगा”।
इसके बाद कुछ दिन और वे लोग वही रुकते हैं और बहुत मजे करते हैं। सब कुछ ठीक-ठाक ही रहता है और बाबूजी की भी तबीयत इस दौरान बिल्कुल ठीक ही थी। इसके बाद वह लोग अपने घर वापस लौट आते हैं और तब सब लोग बहुत खुश थे। घर वापस लौट कर मधु कहती है, “चलो कितनी अच्छी बात है कि भगवान के दर्शन कितने अच्छे से हो गए। सब कुछ बहुत अच्छे से हो गया। बाबूजी की ऐसी तबीयत देखकर तो मैं घबरा ही गई थी। लेकिन भगवान के आशीर्वाद से सब कुछ ठीक हो गया”। तभी श्रेया उन्हें बताती है कि उसकी कंपनी का कॉल आ गया है और उसे अगले 2 दिन में यहां से जाना होगा।
To be continued….
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