chapter 10: जादुई एहसास

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(नया मेहमान)

तब मधु ने हंसते हुए कहा, “क्या बात है देवर जी, बहुत फिक्र हो रही है आपको। और हो भी क्यों ना, आखिर इतनी बड़ी खुशी की बात जो है”। यह सुनकर सब लोग हस पड़ते है। उसके बाद प्रिया कहती है, “सुमन, अगर आपको किसी भी चीज की जरूरत हो तो आप मुझसे कह देना। आपको कुछ भी खाने पीने का मन करे तो बताना। मैं बना दूंगी”। सब लोग इसी तरह से बातें कर रहे थे कि तभी सासू मां अचानक से बोलती हैं, “अरे मैं भी ना, तुम लोगों की बातों में सब भूल गई। सुमन तुम रुको बेटा मैं अभी आती हूं”। इतना कहकर माजी अंदर पूजा के कमरे में गई और वहां से थोड़ी देर बाद हाथ में मोली लेकर आई। वह उन्होंने सुमन की कलाई पर बांध दी और कहा, “बेटा ये तुम्हें और तुम्हारे होने वाले बच्चे को बुरी नजर से बचाएगी। इसे हाथ से मत निकालना”। इतना कहने के बाद माजी ने सुमन की नजर उतारी।

वह सब लोग आपस में यूं ही बात कर रहे थे, तभी दरवाजे की डोर बेल बजी। प्रिया ने कहा, “मैं जाकर दरवाजा खोलती हूं”। उसने दरवाजा खोला तो देखा सामने एक लड़की खड़ी थी। वह दिखने में बहुत ही खूबसूरत थी। उसने जींस टॉप पहने हुए थे। उसका रंग खिला हुआ था। उसके बाल नए फैशन के कटे हुए थे। उसने नई फैशन की ज्वेलरी पहनी हुई थी। उसके चेहरे पर एक अलग सा ही तेज था। उसने आते ही कहा क्या विकास घर पर हैं ? यह उनका ही घर है ना ?

प्रिया ने कहा हां यह विकास का ही घर है। पर आप कौन हैं? आपको पहचाना नहीं? उसने कहा मैं विकास की दोस्त हूं। दरअसल में काफी टाइम से इंडिया से बाहर रह रही थी। विकास से मिलना नहीं हुआ। मैं काफी सालों बाद वापस आई हूं, तो मैंने सोचा कि विकास से मिलकर जाऊं। क्या वह घर पर है? प्रिया ने कहा ठीक है आप अंदर आ जाइए। विकास अंदर ही है।

इतना कहकर प्रिया उस लड़की को अंदर घर में ले गयी। दोनों घर में अंदर जाते हैं। विकास उसे देखकर बहुत खुश हुआ। विकास ने खुशी के मारे उसे गले लगा लिया। यह देखकर सुमन को थोड़ा बुरा सा लगा। उसने विकास से कहा, “क्या बात है विकास? खुद ही मिलते रहोगे या हमें भी मिलवाओगे? यह सुनकर विकास ने कहा, “हां हां क्यों नहीं, इसका नाम श्रेया है। यह मेरी बहुत अच्छी दोस्त है”।

बहुत समय बाद लंदन से वापस आई है। श्रेया यह मेरी बीवी सुमन है। उसके बाद वह घर के बाकी सदस्यो मां, बाबूजी अपने भैया भाभी और भतीजे सबसे श्रेया को मिलवाता है। श्रेया बहुत ही खुश मिजाज और मिलनसार लड़की थी। घर में सब लोग उससे मिलकर बहुत खुश हुए। मधु ने कहा, “श्रेया तुम बैठो, मैं तुम्हारे लिए नाश्ता लेकर आती हूं। इसके बाद प्रिया और मधु श्रेया के लिए नाश्ता वगैरह ले आई।

विकास ने कहा, “सुमन तुम श्रेया को अपना घर दिखा दो। और इसके रहने का अरेंजमेंट गेस्ट रूम में करवा दो”। तब श्रेया ने हंसकर कहा, “कुछ भी हो विकास, आज तो मैं सुमन के साथ उसके ही कमरे में रहूंगी। आखिर मुझे भी तो जानना है कि ऐसा क्या खास है इसमे, जो तुमने मुझ जैसी मॉडल लड़की को छोड़कर इसे पसंद किया”। यह सुनकर विकास ने कहा, “तुम भी ना श्रेया हमेशा मजाक के मूड में रहती हो। अगर ऐसी बात है तो ठीक है तुम और सुमन आज एक साथ सोना। मैं गेस्ट रूम में सो जाऊंगा”।

फिर उसने सुमन से पूछा, “सुमन तुम्हें कोई परेशानी तो नहीं है ना। सुमन कुछ बोलती, इससे पहले ही श्रेया ने उसकी बात बीच में काटते हुए कहा, “अरे परेशानी कैसे। थोड़ी देर के लिए अपनी बीवी को हमारे पास भी छोड़ दो”। यह सुनकर सब लोग जोर से हंस पड़े। और विकास बाहर की तरफ चला गया। उसके बाद सुमन श्रेया को लेकर घर दिखाने गई। फिर वह लोग बैठकर आपस में हंसी मजाक करने लगे।

सुमन ने पूछा, “श्रेया तुम कब से विकास को जानती हो”? उसने कहा, “मैं और विकास स्कूल और कॉलेज में साथ ही पढ़े हैं। हम दोनों बहुत अच्छे दोस्त हैं। तुम यकीन नहीं करोगी सुमन, मैं विकास के बिना बोले ही समझ जाती थी कि उसे क्या चाहिए? और उसके मन में क्या चल रहा है”? फिर सुमन कहती है, “अच्छा और कौन-कौन थे तुम्हारे फ्रेंड सर्कल में”? प्रिया ने बताया विकास के बहुत ज्यादा दोस्त नहीं थे। एक सुभाष नाम का लड़का था और दो तीन और रेगुलर दोस्त थे। हम लोग कॉलेज के दिनों में बहुत मजे करते थे। फिर सुमन ने कहा, “अच्छा तुम विकास की इतनी अच्छी दोस्त हो। लेकिन विकास ने तो कभी तुम्हारे बारे में नहीं बताया”। श्रेया ने कहा, “अच्छा ऐसी बात! मैं देखती हूं। हो सकता है उसने तुम्हारे डर से ना बताया हो, कि कहीं तुम्हें बुरा ना लगे। उसकी कोई इतनी क्लोज फ्रेंड भी थी”।

यह सुनकर सुमन मुस्कुरा दी। सुमन ने कहा, “श्रेया तुमसे मिलकर वाकई बहुत अच्छा लग रहा है। तुम औरकिस्से बताओ ना अपने और विकास के”। श्रेया ने कहा, “एक बार क्या हुआ हम लोग कॉलेज की तरफ से ही एक फॉरेस्ट्री ट्रिप पर गए थे। वहां हम लोगों को पर्यावरण के बारे में बताया जाने वाला था। उस ट्रिप पर बहुत सारे बच्चे और कॉलेज के टीचर्स भी गए थे। उस जंगल में बहुत सारे जंगली जानवर और बहुत अलग प्रकार के पेड़ पौधे वगैरा थे। सब बच्चे तो पढ़ने में मस्त थे। टीचर सब बच्चों को पेड़ों से बनने वाली दवाइयों के बारे में पढ़ा रहे थे। यह बता रहे थे कि पौधों की देखरेख कैसे की जाती है। जानवरों के साथ कैसा व्यवहार किया जाता है। अगर जंगल में कोई इमरजेंसी आ जाए तो किस तरीके से बचा जा सकता है। लेकिन विकास अपनी ही धुन में मस्त था। उसे पढ़ाई में कभी भी बहुत ज्यादा रुचि नहीं रही थी। तो उसने क्या किया, जैसे सारे टीचर मिलकर बच्चों को अलग-अलग पेड़ पौधों के बारे में, जानवरों के बारे में बता रहे थे। तो वह चुपचाप वहां से खिसक गया और इधर उधर जाने लगा। थोड़ी दूर जाकर एक पेड़ के पीछे से उसने मुझे अपने साथ आने के लिए कहा”।

उस वक्त हम दोनों बहुत मस्ती किया करते थे। विकास ने कहा श्रेया मैं बहुत बोर हो रहा हूं। इस पढ़ाई से टीचर्स कितना बोर कर रहे हैं। एक काम करते हैं, चलो हम लोग यहां पर एडवेंचर करते हैं और नई नई चीजें अपलोड करेंगे। मैंने भी उसकी हां में हां कर दी। इसके बाद हम दोनों इधर उधर घूमने लगे और घूमते घूमते हम थोड़ा दूर निकल गए। वहां हमने देखा एक गड्ढे में बहुत सारा पानी भरा हुआ था। और आसपास बहुत ही सुंदर फूल भी खिले हुए थे। बहुत सारी तितलियां वहां उड़ रही थी। हम लोग फोटो खींचने के चक्कर में आगे जाने लगे। मैं जैसे ही आगे बढ़ी तो वहां के पत्थरों में काई लगी हुई थी। और बहुत ज्यादा फिसलन हो रही थी। वहां जाकर मेरा पैर फिसल गया। और मैं जाकर पानी में गिरी।

यह सुनकर मधु, प्रिया और सुमन हंसने लगी। फिर प्रिया ने कहा, “फिर क्या हुआ श्रेया? आगे बताओ”। श्रेया ने आगे बताना शुरू किया। हुआ क्या उसके बाद मुझे बचाने के लिए विकास भी पानी में उतर आया। और हम दोनों बहुत मजे से वहां नहाने लगे। बहुत मजे से स्विमिंग कर रहे थे। उसके बाद विकास मुझे अलग-अलग स्टंट करके दिखाने लगा और कहने लगा देखो मैं यह भी कर सकता हूं मैं वह भी कर सकता हूं। हम दोनों फुल मस्ती में थे। आसपास का कुछ ध्यान ही नहीं दिया। तभी पता नहीं कहां से एक सांप निकल आया। मैंने तो ध्यान ही नहीं दिया था। विकास ने एकदम से देखा कि वहां पर सांप है। उसने मुझसे कहा, “श्रेया जल्दी यहां से चलो! वह देखो सांप”। सांप को देखकर मेरी चीख निकल गई
और सांप भी हमारी तरफ आगे बढ़ने लगा। इसके बाद हम दोनों हताश होकर वहां से बहुत तेज भागे और बहुत दूर निकल गए। हम दोनों जंगल में खो गए थे। और इतनी हड़बड़ाहट में हमारा कंपास भी कहीं गिर गया। अब तो हम दोनों बहुत बुरी तरह घबरा रहे थे कि क्या होगा? वापस कैसे जाएंगे ?

बहुत देर तक कोशिश भी की, इधर उधर से रास्ता ढूंढने की। लेकिन कुछ भी समझ नहीं आया तो वापस एक जगह कर बैठ गए। इसके बाद विकास ने रोना शुरू कर दिया। विकास छोटे बच्चों की तरह रो रहा था कि अब मैं घर कैसे जाऊंगा? मेरा क्या होगा? अगर कोई जंगली जानवर आ गया तो मुझे खा जाएगा। मैंने विकास को बड़ी मुश्किल से चुप कराया और कहा तुम्हें परेशान होने की बिल्कुल भी जरूरत नहीं है। हम लोग अपने घर पहुंच जाएंगे। जबकि सही बात तो यह थी कि मैं उसे तो दिलासा दे रही थी लेकिन मैं खुद बहुत बुरी तरह घबराई हुई थी, कि अगर हम दोनों साथ में होंगे तो क्या होगा। बहुत देर तक दोनों बैठे एक साथ रोते रहे और कुछ समझ नहीं आया। तब तक अंधेरा भी होने लगा था और भूख भी लग रही थी। और हम दोनों के पास कुछ सामान भी नहीं था, क्योंकि हम दोनों टीचर से छुपकर भागे थे। इधर हम दोनों बैठे रो रहे थे, उधर हमारे टीचर और बाकी बच्चे भी हमें ढूंढ रहे थे। बहुत बुरा हाल था हम दोनों का रो-रोकर। फिर विकास को मस्ती सूझी, “उसने कहा चलो हम एक काम करते हैं यहीं खुश रहने का इंतजाम करते हैं”। हम दोनों एक पेड़ पर चढ़ गए। उस पेड़ पर फल भी लगे थे। हमने फल तोड़कर खाए और अपनी भूख मिटाई। उसके बाद दोनों पेड़ पर ही बैठे बैठे सो गए। कुछ पता ही नहीं चला इसके बाद।

फिर मधु ने कहा, “क्या बात है, तुम दोनों इतने शैतान थे। यह तो हमें अभी पता चला है”। यह सुनकर सब लोग हँसते है। फिर मधु ने कहा, आगे क्या हुआ? तुम दोनों वापस कैसे आए”? यह सुनकर श्रेया ने कहा कि उसके बाद हम दोनों अगली सुबह उठे और पेड़ से नीचे उतर आए। अब इतना डर नहीं लग रहा था और मजा आने लगा था। उसके बाद हम दोनों इधर-उधर घूम कर खेलने लगे और मजे करने लगे। तभी थोड़ी देर बाद ही हमारे एक टीचर आए। जिनका नाम मिस्टर अशोक सिंधी था। बड़े ही गुस्से वाले टीचर थे वह। हम उन्हें देखकर पेड़ के पीछे छुप गए कि अब तो बहुत डांट पड़ेगी।अब तो सजा मिलेगी। बहुत डांट पड़ेगी। यह सोचकर हम दोनों पेड़ के पीछे छुपे रहे। लेकिन सर ने हमें देख लिया था। वही हमारे पास आए और कहा, “डरो मत बच्चों यहां आओ”। हम डरते डरते सर की तरफ आगे बढ़े। सर बिल्कुल शांत खड़े थे। हमें लगा वह अच्छे मूड में है तो हमें कुछ नहीं कहेंगे। लेकिन जैसे ही हम उनके पास गए, दोनों को दो दो चांटे पड़े और बहुत डांट पड़ी। इसके बाद सर हम दोनों को लेकर वापस अपने कैंप में आए।

उसके बाद बाकी टीचर और स्टूडेंट्स ने हमसे पूछा कि हम कहां चले गए थे। और कैसे खो गए थे। हम लोगों को कुछ समझ नहीं आ रहा था तो हमने कहा कि हम गलती से खो गए थे। क्योंकि अगर सच बता देते तो और भी ज्यादा डांट पड़ती। उसके बाद तो हम लोगों ने वहां कैंप में 3 दिन और साथ बिताए और खूब मजे किए। उसके बाद सब लोग अपने अपने घर आ गए। यह सुनकर रिया ने कहा, “चलो शुक्र है कि तुम दोनों सही सलामत आ गए थे वापस, पर तुमने यह भी नहीं सोचा कि अगर कुछ हो जाता तो क्या होता”। तब मधु ने कहा, “प्रिया यह तब की बात थी। अब छोड़ो भी क्या रखा है इन बातों में”। सुमन ने पूछा, “और बताओ श्रेया तुम्हारी शादी हुई या नहीं”। श्रेया ने मुस्कुरा कर कहा, “नहीं, अभी मेरी शादी नहीं हुई है”। फिर सुमन ने पूछा, “अच्छा तो कोई बॉयफ्रेंड है क्या तुम्हारा”? श्रेया ने कहा, “नहीं, अभी तो कोई बॉयफ्रेंड भी नहीं है”। फिर मधु ने कहा, “ऐसा तो नहीं हो सकता श्रेया। अब हमसे भी क्या छुपाना। बताओ ना कौन है तुम्हारा बॉयफ्रेंड “? फिर श्रेया ने कहा, “मेरा तो कोई बॉयफ्रेंड नहीं है भाभी। मैं कुछ नहीं छुपा रही। सच में नहीं है कोई भी बॉयफ्रेंड।अगर होता तो आप लोगों को जरूर बता देती”। फिर प्रिया ने पूछा, “क्यों कोई मिला नहीं या कोई पसंद नहीं आया”। श्रेया ने कहा, “बस एक विकास पसंद आया था उसने भी शादी कर ली। उसके जैसा कोई मिला ही नहीं”।

यह बोलकर श्रेया हॅसने लगी लेकिन सुमन को उसकी बात थोड़ी-थोड़ी बुरी लग रही थी, पर उसने कुछ कहा नहीं। सुमन ने कहा, “श्रेया तुम ऐसे अगर कंपेयर करोगी तो यह सही नहीं होगा हर इंसान में कुछ खूबियाँ और कुछ खामियां होती है। कभी भी किसी की तुलना किसी से नहीं करनी चाहिए”।

श्रेया ने कहा, “अरे ऐसी कोई बात नहीं है। मैं तो मजाक कर रही थी”। इसके बाद मधु ने कहा, “अच्छा ठीक है! अब तुम लोग यह बहस बंद करो और चलो, अब हम लोग मिलकर खाना बना लेते हैं”। उसके बाद मधु ने श्रेया की तरफ देखते हुए कहा, “श्रेया तुम आराम करो। तुम थकी हुई होगी। हम लोग अब जाकर खाना बनाने की तैयारी करते हैं”। इसके बाद मधु और सुमन किचन में जाने के लिए उठती हैं तभी प्रिया कहती है, “दीदी मुझे बच्चों के असाइनमेंट बनाने हैं। मैं अपने कमरे में जा रही हूं”। मधु कहती है, “हां ठीक है, तुम जाओ, खाना मै और सुमन बना लेंगे”। यह कहकर वे लोग चले जाते हैं और श्रेया बैठ कर टीवी देखने लगती है।

सुमन और मधु किचन में चले जाते हैं। मधु कहती है, “सुमन तुम चावल बनाओ और आटा लगा दो मैं तब तक सब्जियां काटती हूं”। इतना कहकर मधु सब्जियां उठाती है और काटने लगती है। सुमन भी अपने काम में लग जाती है। काम करते-करते वह दोनों आपस में बातें कर रही थी। सुमन ने कहा, “दीदी आपको श्रेया कैसी लगी” ? मधु ने कहा, “ठीक है। अच्छी लड़की है। काफी खुशमिजाज भी है और मिलनसार भी है। अभी उसे आए हुए थोड़ी ही देर हुई है और ऐसे घुल मिल गई है जैसे मानो घर की ही हो”। यह सुनकर सुमन चुप हो जाती है और अपना काम करने लगती है। उसको इतना चुप देखकर मधु सुमन से पूछती है, “क्या बात है सुमन? तुम इतनी चुप क्यों हो ? क्या तुम्हें श्रेया का घर आना अच्छा नहीं लगा”?

सुमन ने पूछा, “आप ऐसा क्यों कह रही है दीदी”? मधु ने कहा, “मैंने देखा, जब श्रेया विकास के बारे में बात कर रही थी तो तुम्हें कितना बुरा लग रहा था। लेकिन तुम उसकी बातों का बुरा मत मानो। तुम्हें अपने मन में कुछ बुरा सोचने की जरूरत नहीं है। दोस्तों के बीच हंसी मजाक तो चलते ही रहते हैं”। सुमन ने कहा, “वह सब तो ठीक है दीदी लेकिन उसका इस तरीके से गले मिलना और ऐसे हंस हंस कर बातें करना। यह मुझे कुछ अच्छा नहीं लगता। अब विकास की शादी हो चुकी है। उसे यह बात समझनी चाहिए”। यह बोलकर वह अपना काम करती रही और थोड़ा सा उदास सी हो गई। फिर मधु जोर से हंसी और कहने लगी, “मैं समझ रही हूं तुम्हारे मन का हाल। देखो सुमन अगर अपने पति के बारे में कोई दूसरी औरत बात करें तो बुरा लगता है और लगना जायज भी है क्योंकि तुम विकास की बीवी हो। लेकिन जरूरी नहीं है कि पति की अगर कोई और दोस्त है तो उसमें हमेशा बीवी को बुरा ही लगे। दोस्त तो कोई भी किसी का हो सकता है ना। तुम इतना बुरा मत मानो”।

यह सुनकर सुमन ने कहा, “हां दीदी आप ठीक कह रही हैं शायद मैं ही ओवर रिएक्ट कर रही हूं। मुझे ऐसा नहीं सोचना चाहिए। वह हमारी मेहमान है और वैसे भी कुछ ही दिनों के लिए तो आई है। उसके बाद तो वह चली जाएगी”। यह कहकर दोनों हंसने लगती हैं और अपने अपने कामों में फिर से व्यस्त हो जाती हैं। लगभग थोड़ी देर बाद ही खाना भी तैयार हो गया था और तब सुमन ने कहा, “दीदी मैं बाहर टेबल पर खाना लगा देती हूं। आप एक काम कीजिए जाकर सबको बुला लाइए”। यह सुनकर मधु कीचन से बाहर चली गई और सुमन खाना उठाकर टेबल पर लगाने लगी।

थोड़ी देर में सब लोग एक साथ इकट्ठा हुए और खाना खाने लगे। सुमन और प्रिया खाना परोस रही थी और बाकी सब लोग आपस में खाना खाते हुए हंसी मजाक भी कर रहे थे। दादा जी ने कहा, “भाई श्रेया तुम्हारे आने से तो घर में बड़ा ही खुशहाल सा माहौल हो गया गया है”। श्रेया ने कहा, “हां बाबूजी मुझे भी आप सब से मिलकर बहुत अच्छा लगा। मुझे ऐसा लग रहा है कि मैं अपने ही परिवार के साथ हूं”। फिर वह मधु की तरफ मुड़ती है और कहती है, “वाह दीदी खाना दो बहुत टेस्टी बना है। आज बहुत दिनों बाद मै ऐसा खाना खा रही हूं”। सुमन ने कहा, “ऐसा खाना मतलब”। तब श्रेया ने कहा, “अरे मेरा मतलब मैं आज बहुत दिनों बाद इंडियन खाना खा रही हूं और वह भी घर का बना हुआ खाना। इतना स्वादिष्ट है कि बस पूछो मत”। यह कहकर वह खाना खाने लगती है और सब लोग भी अपना अपना खाना खाते हैं।

खाना खाने के बाद सब लोग अपने अपने कमरे में चले गए थे। श्रेया विकास और सुमन के कमरे में बैठी हुई थी। तभी श्रेया कहती है, “विकास तुम्हें याद है, हम दोनों जब कॉलेज के दिनों में हॉस्टल में रहते थे। तो रोज रात को आइसक्रीम खाने जाते थे चुपके चुपके और वॉर्डन को पता भी नहीं चलता था। चलो ना आज भी आइसक्रीम खाने चलते हैं। मेरा बहुत मन है तुम्हारे साथ आइसक्रीम खाने का”। यह सुनकर विकास भी कहता है, “हां हां चलते हैं! क्यों नहीं? बहुत मजा आएगा”। फिर विकास सुमन से कहता है, “सुमन तुम भी हमारे साथ चलो। रात में आइसक्रीम खाने का मजा ही अलग है। इसके बाद वह तीनों आइसक्रीम खाने बाहर चले जाते हैं और घूमते घूमते वहां से वापस आते हैं।

To be continued….

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