Chandrayaan-3 की लैंडिंग का देशवासी बेहद ही बेसब्री से इंतज़ार कर रहा है। जानकारी केअनुसार, चंद्रयान का लैंडर रोवर, जो 14 जुलाई को लॉन्च किया था, वो 23 अगस्त बुधवार को चांद की सतह पर लैंड करेगा। इस बीच ISRO ने चांद के फार साइड एरिया की कई खास तस्वीरें जारी की है। यह चांद का वो सतह है जो पृथ्वी से नजर नहीं आता है। इसरो ने रविवार को जानकारी दी है, जिसमें उसने कहा कि रोवर के साथ लैंडर मॉड्यूल के 23 अगस्त को शाम 6 बजकर 4 मिनट के आसपास चंद्रमा की सतह पर लैंड करने की उम्मीद है।
सूत्रों के मुताबिक, 23 अगस्त से मून पर लूनार डे की शुरुआत होती है। चांद पर एक लूनार दिन धरती के 14 दिनों के बराबर होता है और इन 14 दिनों तक चांद पर लगातार सूरज की रोशनी रहती है। ये 14 दिन Chandrayaan-3 के लिए काफी अहम हैं क्योंकि इसमें जो इंस्ट्रूमेंट लगे हैं। उनकी लाइफ एक लूनार दिन यानी 14 दिन की है। क्योंकि चंद्रयान में लगे इंस्ट्रूमेंट सोलर पावर से चलते हैं इसलिए इन्हें काम करने के लिए सूरज की रोशनी की जरूरत होती है।
इसरो के मुताबिक अगर किसी वजह से 23 अगस्त को चंद्रयान-3 चांद पर लैंडं नहीं कर पाता है तो वह फिर अगले दिन लैंड करने की कोशिश करेगा और अगर उस दिन भी वह इसमें सफल नहीं हो पाता तो उसको 29 दिन या पूरे महीने का इंतजार करना होगा, जो कि एक लूनार डे और एक लूनार नाइट के बराबर है।
चांद पर उतरने से पहले ही रूस का चंद्रयान लूना-3 क्रैश कर गया था। रूसी अंतरिक्ष एजेंसी रोसकॉसमॉस ने कहा कि लैंडर लूना-25 एक अप्रत्याशित कक्षा में चला गया था और चंद्रमा की सतह से टकराने के बाद यह क्रैश हो गया था। क्रैश होने के बाद अंतरिक्ष यान लूना-3 का संपर्क टूट गया था। बता दें कि रूस ने 1976 में सबसे पहली बार 10 अगस्त को अपना मून मिशन भेजा था।
बता दें कि भारत का चंद्रयान-2 (Chandrayaan-2) भी चार साल पहले चंद्रमा की सतह पर दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। इस बार चंद्रयान-3 चंद्रयान-2 की हुई गलतियों को ठीक करने के बाद और पूरी तैयारी के साथ चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने की कोशिश करेगा। भारत का पिछला प्रयास 6 सितंबर 2019 को उस वक्त असफल हो गया था, जब लैंडर चंद्रमा की सतह पर दुर्घटनाग्रस्त हो गया था।