चंदौली: आयुष मंत्री दयाशंकर मिश्र दयाल ने स्वास्थ्य शिविर का किया आयोजन

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यूपी के चंदौली (Chandauli) में स्वास्थ्य शिविर का आयोजन किया गया। इस आयोजन में मुख्य अतिथि के तौर पर प्रदेश सरकार के आयुष मंत्री दयाशंकर मिश्र दयाल पहुंचे। जहां पर उनका जोरदार स्वागत किया गया। वहीं उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य शिविर में लोगों की मुफ्त में जांच हो सकेगी।

महर्षि दयानंद सरस्वती की जयंती में शामिल होने पहुंचे दयाशंकर मिश्र

चंदौली (Chandauli) जिले में महर्षि दयानंद सरस्वती का 200 वीं जयंती आर्य समाज मंदिर दीन दयाल नगर में मनाई गई।इस अवसर पर मुख्य अतिथि प्रदेश के आयुष मंत्री दयाशंकर मिश्र दयालु ने दीप प्रज्ज्वलित कर निःशुल्क चिकित्सक स्वास्थ्य शिविर एवं दवा वितरण कार्यक्रम का शुभारंभ किया।इस दौरान कुल 280रोगियों का निःशुल्क स्वास्थ्य परीक्षण किया गया।इसके पश्चात उन्हें दवा भी दी गई। जयंती समारोह में आयुष मंत्री डा.दया शंकर मिश्र “दयालु” ने कहा कि स्वामी दयानंद ने “वेदों की ओर लौटो” का नारा दिया।साथ ही उन्होंने देश में स्वतंत्रता का मंत्र फूका और नारियो के शिक्षा पर विशेष बल दिया।उन्होंने कहा कि उनकी शिक्षाएं आज पूरी तरह प्रासंगिक हैं और उन्हें आत्मसात कर के ही हम देश और समाज का उत्थान कर सकते है।इस दौरान उन्होंने शिविर में हो रहे स्वास्थ्य शिविर का भी निरीक्षण किया।

राजेश श्री गुरु ने कहा हम सभी एक ही ईश्वर की संतान है

विशाल भारत संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ राजीव श्री गुरु जी ने कहा कि हम सब एक ही ईश्वर के संतान है तो सबके भीतर सहिष्णुता होनी चाहिए।आर्य समाज मंदिर के प्रधानअरुण कुमार आर्य ने कहा कि जब स्वामी दयानंद जी का जन्म हुआ था तब देश अंग्रेजो की ग़ुलामी सह रहा था और लार्ड मैकाले ने यह घोषणा किया था कि किसी देश पर अक्ष्क्षुण राज्य करने के लिए उसकी संस्कृति को बदलना अति आवश्यक है। इसलिए उसने १८३५ में शिक्षा नीति ऐसी बनाई की भारत के लोग देखने में तो भारतीय हो लेकिन वैचारिक दृष्टिकोण से अंग्रेज इसी विचार के विरुद्ध स्वामी दयानंद ने अपनी संस्कृति को जानने एवं वेदों के प्रचार प्रसार में महती योगदान दिया। उन्होंने देश में स्वतंत्रता का मंत्र फूंका, बाल विवाह का विरोध किया तथा विधवा विवाह का समर्थन किया तथा सभी के शिक्षा पर विशेष बल दिया। हिन्दी भाषी न होते हुए भी अपनी सारी पुस्तके हिन्दी में लिखी।आर्यवीर दल के अधिष्ठाता दीपक आर्य ने वक्ता के कड़ी में आर्य वीरदल के तीन मुख्य उद्देश्य है”संस्कृति रक्षा-शक्ति संचय- सेवा कार्य दीपक आर्य ने आर्यवीर साल द्वारा नौगढ़ व सोनभद्र के सुदूर वनो में जाकर यज्ञ व शिक्षा व धर्मांतरण जैसे गंभीर विषय पर हो रहे कार्यों पर प्रकाश डाला।