बसपा प्रत्याशी ने की टांडा कोतवाल की शिकायत

रामपुर जनपद थाना टांडा के प्रभारी निरीक्षक सुरेंद्र सिंह पचौरी एक बार फिर चर्चा में है।

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लोकसभा चुनाव के पहले चरण के मतदान की तारीख जैसे-जैसे नजदीक आ रही है। वैसे-वैसे प्रत्याशी जनता से जुड़े मुद्दों को उठाना शुरू कर चुके हैं। ऐसा ही मामला रामपुर लोकसभा 7 सीट पर बसपा के टिकट पर चुनाव लड़ रहे प्रत्याशी जीशान खान से जुड़ा है। जिन्होंने जनपद में तैनात एक कोतवाल पर मतदान को प्रभावित करने का आरोप लगाते हुए इसकी शिकायत जिला निर्वाचन अधिकारी से की है।

रामपुर जनपद थाना टांडा के प्रभारी निरीक्षक सुरेंद्र सिंह पचौरी एक बार फिर चर्चा में है। समय लोकसभा के चुनाव का है 19 अप्रैल को यहां पर प्रथम चरण का मतदान होना है। ऐसे में टांडा कोतवाल पर आरोप लगा है कि उनके द्वारा क्षेत्र के मतदाताओं को बिना किसी वजह के भयभीत किया जा रहा है ताकि मतदान प्रतिशत में कमी आए। कोतवाल सुरेंद्र सिंह पचौरी की शिकायत बसपा प्रत्याशी जीशान खान के नेतृत्व में पार्टी प्रतिनिधि मंडल के द्वारा जिला निर्वाचन अधिकारी जोगेंद्र सिंह से की गई है।

गौरतलब है कि कोतवाल सुरेंद्र सिंह पचौरी पटवाई और गंज थाने के भी प्रभारी रह चुके हैं वर्तमान समय में उनकी तैनाती जनपद के थाना टांडा में है। उनके थाना गंज कोतवाल रहते हुए शहर विधानसभा और टांडा प्रभारी निरीक्षक के रूप में तैनाती के दौरान स्वार विधानसभा का उपचुनाव हुआ है। इन दोनों उपचुनाव में भी वह मतदान को प्रभावित करने के आरोप में घिरे रहे थे।

कोतवाल सुरेंद्र सिहं पचौरी की तैनाती के दौरान उनके विवादों की चर्चा अक्सर पहले भी होती रही है। जनपद बरेली में शीशगढ़ के कोतवाल रहने के दौरान उनके द्वारा पराली जलाने को लेकर किए गए कानून के विद्यार्थी का प्रदेश के पुलिस आला अधिकारियों ट्वीट पर दुर्व्यवहार करना और इसके बाद शिकायतकर्ता को जमकर हड़काने का मामला आज भी सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बना रहता है। इस प्रकार ही उन पर एक और दुर्व्यवहार का आरोप लगाते हुए थाना पटवारी में तैनात रह चुके उन्हीं के समकक्ष इंस्पेक्टर क्राइम वीरपाल सिंह के द्वारा कंडीशनरी इस्तीफा देने का मामला भी चर्चित प्रकरण में गिना जाता है। हालांकि बात अलग है तत्कालीन पुलिस आला अधिकारियों के द्वारा इस प्रकरण में पूरी तरह से चुप्पी साधी गई थी जबकि पीड़ित इंस्पेक्टर वीरपाल सिंह डिप्रेशन का शिकार हो गए थे और उन्हें रामपुर के ही एक निजी अस्पताल में अपना इलाज तक कराना पड़ा था।