उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के कचहरी में आज एक बड़ा शूटआउट हुआ है। उत्तर प्रदेश के पूर्व ऊर्जा मंत्री और बीजेपी के कद्दावर नेता रहे ब्रह्मदत्त द्विवेदी (Brahmadatt Dwivedi) हत्याकांड के आरोपी संजीव जीवा (Sanjeev Jiva) की गोली मारकर हत्या कर दी गई। बता दें कि, ब्रह्मदत्त द्विवेदी जिन्होंने यूपी की मुख्यमंत्री रह चुकीं मायावती को गेस्टहाउस कांड में बचाया था। ब्रह्मदत्त द्विवेदी यूपी के फर्रुखाबाद जिले से राजनीति के शिखर पर पहुंचे थे और वर्तमान में फर्रुखाबाद से उन्हीं के बेटे मेजर सुनील दत्त द्विवेदी (Sunil Dutt Dwivedi) विधायक हैं।
जाने कौन है संजीव जीवा?
संजीव जीवा (Sanjeev Jiva) को माफिया मुख्तार अंसारी (Mukhtar Ansari) का करीबी माना जाता था। संजीव जीवा (Sanjeev Jiva) वेस्ट यूपी का एक कुख्यात अपराधी था, जो कभी कंपाउंडर हुआ करता था। उसने एक बार अपने ही मालिक को किडनैप कर लिया था। पश्चिमी यूपी का कुख्यात अपराधी संजीव जीवा (Sanjeev Jiva) फिलहाल लखनऊ की जेल में बंद था। हाल ही में प्रशासन द्वारा उसकी संपत्ति भी कुर्क की गई थी।
हालही में संजीव माहेश्वरी उर्फ जीवा के गैंग के एक शख्स को बीते दिनों शामली पुलिस ने एके-47,1300 कारतूस और तीन मैगजीन के साथ पकड़ा था। शामली पुलिस ने रास्ते में चेकिंग के दौरान अनिल नाम के शख्स को पकड़ा था। वही संजीव जीवा मुजफ्फरनगर का रहने वाला है। शुरुआती दिनों में वह एक दवाखाना संचालक के यहां कंपाउंडर के नौकरी करता था।
इसी नौकरी के दौरान संजीव जीवा ने अपने मालिक यानी दवाखाना संचालक को ही अगवा कर लिया था। इस घटना के बाद उसने 90 के दशक में कोलकाता के एक कारोबारी के बेटे का भी अपहरण किया और 2 करोड़ की फिरौती मांगी थी। इसके बाद जीवा हरिद्वार की नाजिम गैंग में शामिल हुआ था फिर सतेंद्र बरनाला के साथ जुड़ा था।
संजीव जीवा पर 22 से ज्यादा मुकदमे थे दर्ज
10 फरवरी 1997 को हुई बीजेपी के कद्दावर नेता ब्रह्मदत्त द्विवेदी की हत्या में संजीव जीवा का नाम सामने आया था। जिसके बाद संजीव जीवा को उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी। उसी दौरान जीवा का मुख्तार अंसारी से संपर्क हुआ। जहाँ संजीव जीवा का नाम कृष्णानंद राय हत्याकांड में भी आया था।
वही मुख्तार अंसारी और संजीव जीवा को साल 2005 में हुए कृष्णानंद राय हत्याकांड में कोर्ट ने बरी कर दिया था। पुलिस रिकॉर्ड के अनुसार, संजीव माहेश्वरी उर्फ जीवा पर 22 से ज्यादा मुकदमे दर्ज हुए। इनमें से 17 मामलों में संजीव जीवा बरी हो चुका था।
संजीव जीवा पर साल 2017 में कारोबारी अमित दीक्षित उर्फ गोल्डी हत्याकांड में भी आरोप लगे थे। इसमें जांच के बाद अदालत ने संजीव जीवा समेत 4 आरोपियों को उम्रकैद की सजा सुनाई थी। वही संजीव जीवा लखनऊ की जेल में बंद था लेकिन साल 2021 में जीवा की पत्नी पायल ने चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया को पत्र लिखकर कहा था कि जीवा के जान को खतरा है। बता दें कि, जीवा की पत्नी पायल 2017 में आरएलडी के टिकट पर विधानसभा चुनाव भी लड़ चुकी हैं, जहाँ पर उन्हें हार का सामना करना पड़ा था।
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